संज्ञा, लिंग, वचन, कारक का अर्थ, परिभाषा, प्रकार
संज्ञा, लिंग, वचन, कारक का अर्थ, परिभाषा, प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इसमें दी गयी है।
संज्ञा, लिंग, वचन, कारक
शब्द और पद : जब शब्द का प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है। और वाक्य के बाहर होता है तो यह शब्द कहलाता है, किन्तु जब शब्द का प्रयोग वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होता है तो इसे पद कहा जाता है। मतलब कि स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने पर शब्द 'शब्द' कहलाता है, किन्तु वाक्य के अंतर्गत प्रयुक्त होने पर शब्द 'पद' कहलाता है।
पद के भेद : पद के पांच भेद होते हैं - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय
संज्ञा का अर्थ, परिभाषा, भेद और उदाहरण
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नामों को 'संज्ञा' कहते हैं। जैसे : राम, पेन, दिल्ली, मुर्खता आदि।
संज्ञा को नाम भी कहा जाता है। दूसरे शब्दों में किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है तथा इस नाम से ही उसे पहचाना जाता है। संज्ञा न हो तो पहचान अधूरी है और भाषा का प्रयोग भी बिना संज्ञा के सम्भव नहीं है।
संज्ञा के भेद या संज्ञा के प्रकार
1. व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा
2. अर्थ के आधार पर संज्ञा
3. प्राणिवाचक तथा अप्राणिवाचक के आधार पर संज्ञा
4. गणना के आधार पर संज्ञा
1. व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा
व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा तीन प्रकार की होती है -
रूढ़
यौगिक
योगरूढ़
रूढ़
ऐसी संज्ञाएँ जिनके खंड करना संभव न हो रूढ़ संज्ञा कहलाते हैं, जैसे- कृष्ण, कृष्ण शब्द का कृ और ष्ण अलग-अलग कर दें, तो इनका कुछ भी अर्थ नहीं हो सकता। यमुना, घर, हाथ, मुँह आदि ये सब रूढ़ संज्ञा के उदाहरण हैं।
यौगिक
ऐसी संज्ञाएँ जिनके खंड करना संभव हो यौगिक संज्ञा कहलाते हैं, जैसे-पाठशाला। पाठशाला के दो खंड किये जा सकते हैं - पाठ और शाला। ये दोनों खंड सार्थक हैं। पनघट, विद्यार्थी, पुस्तकालय, हिमालय आदि यौगिक संज्ञा के उदाहरण हैं।
योगरूढ़
ऐसी संज्ञाएँ जिनके खंड किये जा सकते हों, परन्तु उनको खंडीत करने परअर्थ भिन्न निकलते हो; जैसे- पंकज। पंकज के दोनों खंड पंक और ज सार्थक हैं। पंक का अर्थ है कीचड़ और ज का अर्थ है जन्मा हुआ; किन्तु 'पंकज' का अर्थ होगा कमल न कि कीचड़ से जन्मा हुआ।
2. अर्थ के आधार पर संज्ञा
अर्थ के आधार पर संज्ञा के पाँच भेद हैं :
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
3. समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun)
4. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
5. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध कराती है। जैसे- सुमन, गंगा, प्रयागराज आदि,
व्यक्तिवाचक संज्ञा की संख्या सर्वाधिक है। व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में निम्नलिखित नाम सम्मलित हैं जैसे -
- व्यक्तियों के अपने नाम : सुमन, महेश, राम आदि।
- नदियों के नाम : गंगा, यमुना, ताप्ती आदि।
- झीलों के नाम : डल, बैकाल आदि।
- समुद्रों के नाम : प्रशान्त महासागर, हिन्द महासागर आदि।
- पहाड़ों के नाम : आल्प्स, विन्ध्य, हिमालय आदि।
- गाँवों के नाम : रेवड़ाडीह, पाण्डेयपार, कोटवा आदि।
- नगरों के नाम : दिल्ली, वाराणसी, गोरखपुर आदि।
- सड़कों, दुकानों, प्रकाशनों आदि के नाम : अशोक राजपथ, Only I Win पब्लिकेशन आदि।
- महादेशों के नाम : एशिया, यूरोप आदि।
- देशों के नाम : चीन, भारतवर्ष, रूस आदि ।
- राज्यों के नाम : उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र आदि।
- पुस्तकों के नाम : रामचरितमानस, सूरसागर आदि।
- पत्र-पत्रिकाओं के नाम : दिनमान, अवकाश जगत् आदि।
- ऐतिहासिक घटनाओं, त्योहारों के नाम : गणतंत्र दिवस बाल दिवस, रक्षाबंधन, शिक्षक-दिवस, होली, गोलमेज-सम्मलेन आदि।
- ग्रह-नक्षत्रों के नाम : चंद्र, रोहिणी, सूर्य आदि ।
- महीनों के नाम : आश्विन, कार्तिक, जनवरी आदि।
- दिनों के नाम : सोमवार, मंगलवार, बुधवार आदि।
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
संज्ञा जो किसी जाति का बोध कराती है, वे जातिवाचक संज्ञा कही जाती हैं। जैसे - नदी, पर्वत, लड़की आदि नदी जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह सभी नदियों का बोध कराती है जबकि गंडक एक विशेष नदी का नाम है इसलिए गंडक व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
जातिवाचक संज्ञाओं में निम्नलिखित नाम सम्मलित हैं जैसे -
- पशुओं, पक्षियों एवं कीटो के नाम : खटमल, गाय, घोड़ा, चील, मैना आदि।
- फलों, सब्जियों तथा फूलों के नाम : आम, केला, परवल, पालक, आदि।
- सवारियों के नाम : नाव, मोटर, रेल, साइकिल आदि।
- संबंधियों के नाम : बहन, भाई आदि।
- व्यावसायिकों, पदों एवं पदाधिकारियों के नाम : दर्जी, धोबी, राज्यपाल आदि।
- पहनने, ओढ़ने, बिछाने आदि के नाम : तकिया, तोशक, कुर्ता, जूता, धोती, साड़ी आदि ।
- अन्न, मसाले, मिठाई आदि पदार्थों के नाम : गेहूँ, चावल, जलेबी, रसगुल्ला आदि।
- विभिन्न सामग्रियों के नाम : आलमारी, कुर्सी, घड़ी, टेबुल आदि।
समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun)
जो संज्ञा समूह या समुदाय का बोध कराते है, समूहवाचक संज्ञा कहलाते है। ये शब्द किसी एक व्यक्ति या वस्तु का बोध न कराकर अनेक या उनके समूह का बोध कराते हैं। जैसे- वर्ग, टीम, सभा, समिति, आयोग, परिवार, पुलिस, सेना, अधिकारी, कर्मचारी, ताश, आर्केस्ट्रा आदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
द्रव्यवाचक संज्ञा किसी धातु या द्रव्य का बोध कराती है, जैसे -
ठोस पदार्थ : सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, ऊन आदि ।
द्रव पदार्थ : तेल, पानी, घी, दही आदि ।
गैसीय पदार्थ : धुआँ, ऑक्सीजन आदि ।
भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
किसी भाव, गुण, दशा आदि का ज्ञान कराने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत आते है।, जैसे- क्रोध, मिठास, यौवन, कालिमा आदि ।
भाववाचक संज्ञाओं में निम्नलिखित नाम सम्मलित हैं जैसे -
- गुण : कुशाग्रता, चतुराई, सौन्दर्य आदि।
- भाव : कृपणता, मित्रता, शत्रुता आदि।
- अवस्था : जवानी, बचपन, बुढ़ापा आदि।
- माप : ऊँचाई, चौड़ाई, लम्बाई आदि।
- क्रिया : दौड़धूप, पढ़ाई, लिखाई आदि।
- स्वाद : कड़वापन, कसैलापन, तितास, मिठास आदि।
- गति : फुर्ती, शीघ्रता, सुस्ती आदि।
- अमूर्त्त भावनाएँ : करुणा, क्षोभ, दया आदि।
3. प्राणिवाचक व अप्राणिवाचक के आधार पर संज्ञा
वस्तु की जीवंतता या अजीवंतता के आधार पर प्राणिवाचक संज्ञा तथा अप्राणिवाचक संज्ञा के रूप में किया जा सकता है। जैसे - लड़का, घोड़ा, पक्षी आदि में जीवन है, अतः ये चल-फिर सकते हैं, इन्हें प्राणिवाचक संज्ञा कहेंगे। जबकि पेड़, ईंट, दीवार आदि में जीवन नहीं है, ये न चल सकते हैं, न बोल सकते हैं, इसलिए इन्हें अप्राणिवाचक संज्ञा कहलायेंगे।
4. गणना के आधार पर संज्ञा
गणना के आधार पर संज्ञा दो प्रकार के हो सकते है।
गणनीय संज्ञा (Countable Noun) : जिसे हम गिन सकते हैं, गणनीय संज्ञा कहे जाते है जैसे - आम, कपडे, गाय, पेन, आदि ।
अगणनीय संज्ञा (Uncountable Noun) : जिसे हम गिन नहीं सकते हैं, अगणनीय संज्ञा कहे जाते है जैसे - दूध, प्रेम-घृणा आदि ।
संज्ञाओं का विशिष्ट प्रयोग
व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में :
कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में होता है। जैसे -
आज के युग में भी हरिश्चंद्रों की कमी नहीं है।
यहाँ हरिश्चन्द्र किसी व्यक्ति का नाम न होकर सत्यनिष्ठ व्यक्तियों की जाति का बोधक है।
देश को हानि जयचंदों से होती है।
यहाँ जयचंदों किसी व्यक्ति का नाम न होकर विश्वासघाती व्यक्तियों की जाति का बोधक है।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवचाक संज्ञा के रूप में :
कभी-कभी जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में होता है। जैसे -
गोस्वामी जी ने रामचरितमानस की रचना की।
यहाँ गोस्वामी किसी जाति का नाम न होकर व्यक्ति (गोस्वामी तुलसीदास) का बोधक है।
शुक्ल जी ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा।
यहाँ शुक्ल किसी जाति का नाम न होकर व्यक्ति (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल) का बोधक है।
भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में :
कहीं-कहीं भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक के रूप में प्रयोग पाया जाता है। जैसे-
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भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय में -आव, -त्व, -पन, -अन, -इमा, -ई, -ता, -हट आदि प्रत्यय जोड़कर किया जाता है। जैसे -
लिंग (Gender)
लिंग किसे कहते हैं?
शब्द के जिस रूप से यह पता चले कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे व्याकरण में लिंग कहते हैं।
लिंग का शाब्दिक अर्थ है - चिह्न। शब्द के जिस रूप से यह जाना जाय कि वर्णित वस्तु या व्यक्ति पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। लिंग के द्वारा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों की जाति का बोध होता है।
हिन्दी में लिंग दो प्रकार के होते हैं
पुंलिंग ( Masculine) : पुम् + लिंग।
स्त्रीलिंग (Feminine)
हिन्दी में लिंग निर्धारण के लिए निम्न आधार हैं :
1. रूप के आधार पर
2. प्रयोग के आधार पर एवं
3. अर्थ के आधार पर
रूप के आधार पर
रूप के आधार पर लिंग निर्णय का अर्थ है - शब्द की व्याकरणिक बनावट। शब्द की रचना में किन प्रत्ययों का प्रयोग हुआ है तथा शब्दान्त में कौन-सा स्वर है, इसे आधार बनाकर शब्द के लिंग का निर्धारण किया जाता है। जैसे:
पुंलिंग किसे कहते हैं? (परिभाषा)
जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति का बोध हो अथवा जो शब्द पुरूष जाति के अन्तर्गत माने जाते हैं, वे पुल्लिंग हैं जैसे- कुत्ता, लड़का, घर, पेड़, सिंह आदि
पुल्लिंग की पहचान
- आ, आव, पा, पन, न ये प्रत्यय जिन शब्दों के अंत में हों, वे प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे - मोटा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लड़कपन, लेन-देन ।
- पर्वत, मास, वार और कुछ ग्रहों, के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- विन्ध्याचल, हिमालय, वैशाख, सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध आदि।
- पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - पीपल, नीम, आम, शीशम, सागौन, जामुन, आदि।
- अनाजों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - बाजरा, गेहूं, चावल, चना, मटर, जौ, उड़द, आदि।
- द्रव पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - पानी, सोना, ताँबा, लोहा, घी, तेल आदि।
- रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - हीरा, पन्ना, मूंगा, मोती माणिक आदि।
- देह के अवयवों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - मस्तक, दाँत, हाथ, कान, गला, तालु, रोम आदि।
- जल, स्थल और भूमण्डल के भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - समुद्र, भारत, देश, नगर, द्वीप, आकाश, पाताल, घर, सरोवर आदि।
- वर्णमाला के अनेक अक्षरों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे - अ, उ, ए, ओ, क, ख, ग, घ, च, छ, य, र, ल, व श आदि।
- नित्य पुल्लिंग शब्द : तोता, मच्छर, कौवा, बिच्छू आदि।
स्त्रीलिंग किसे कहते हैं? (परिभाषा)
जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का बोध हो अथवा जो शब्द स्त्री जाति के अन्तर्गत माने जाते हैं, वे स्त्रीलिंग हैं। जैसे गाय, घड़ी, लड़की, कुर्सी, छड़ी, नारी आदि।
स्त्रीलिंग की पहचान
- अनुस्वारांत, ईकारांत, ऊकारांत, तकारांत, सकारांत, संज्ञाएं स्त्रीलिंग कहलाती हैं। जैसे - रोटी, टोपी, नदी, चिट्ठी, उदासी रात, बात, छत, भीत, लू, साँस आदि।
- जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ख होता है, तो स्त्रीलिंग कहलाते हैं। जैसे- ईख, भूख, चोख, राख आदि।
- जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ट, वट या हट होता है, वे स्त्रीलिंग कहलाती हैं। जैसे- झंझट, आहट, चिकनाहट, बनावट, सजावट आदि।
- भाषा, बोली और लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- हिन्दी, संस्कृत देवनागरी, पहाड़ी, तेलुगु, पंजाबी।
- जिन शब्दों के अंत में इया आता है, वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे - कुटिया, खटिया, लुटिया, चिड़िया आदि।
- नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे - गोदावरी, यमुना, गंगा, ताप्ती आदि ।
- तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- पहली, दूसरी, प्रतिपदा, पूर्णिमा आदि।
- पृथ्वी ग्रह स्त्रीलिंग है।
- नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे - अश्विनी, रोहिणी, भरणी आदि।
- नित्य स्त्रीलिंग शब्द : कोयल, मैना, चील आदि।
उभयलिंगी शब्द
कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनका प्रयोग दोनों लिंगों (पुंलिंग तथा स्त्रीलिंग) में हो सकता है। इन शब्दों में लिंग परिवर्तन नहीं होता, जैसे- प्रधानमंत्री, मंत्री, इंजीनियर, डॉक्टर, मैनेजर आदि।
स्त्रीलिंग प्रत्यय (शब्दों का लिंग परिवर्तन)
पुंलिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने के लिए कुछ प्रत्ययों को शब्द में जोड़ा जाता है जिन्हें स्त्री० प्रत्यय कहते हैं।
पुंलिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रत्यय इस प्रकार है :
1. आनी प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ → आनी /आणी)
2. आइन प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ, आ, ई, ऊ, ए → आइन)
3. ई प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ, आई)
4. इया प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (आ → इया)
कुछ अ/आ अन्त वाले शब्दों के 'अ/आ' का लोप हो जाता है तथा उनके स्थान पर इया प्रत्यय आ जाता है। इसके साथ-साथ :
- मूल शब्द का पहला स्वर ह्रस्व हो जाता है।
- यदि मूल शब्द में व्यंजन वित्व है (कुत्ता) तो एक व्यंजन का लोप हो जाता है (कुतिया)।
5. इन प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द : मूल शब्द के अंतिम स्वर का लोप हो जाता है और उसके स्थान पर इन प्रत्यय आ जाता है ।
6. नी प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ → अनी)
7. इनी प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ, ई → इनी / इणी) : शब्दांत में अ आने वाले शब्दों में- नी प्रत्यय अ के स्थान पर आ जाता है। परन्तु कुछ शब्दों में जिनके अंत में ई स्वर आता है- नी प्रत्यय लगने से पूर्व ई → इ (ह्रस्व स्वर) में बदल जाता है। जैसे :
8. इका प्रत्यय जोड़कर (अक → इका) :
9. कुछ संज्ञा शब्द जिनके अंत में वान/मान आते हैं उनके स्थान पर वती/मती स्त्री प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग शब्द बनाए जाते हैं। जैसे :
10. कुछ शब्दों में मूल शब्द स्त्रीलिंगवाची होते हैं और उनमें प्रत्यय जोड़कर पुंलिंग रूप बनाए जाते हैं। जैसे
हिंदी में कुछ स्त्री प्रत्यय संस्कृत से आए हैं और उसी के अनुसार हिन्दी में स्त्रीलिंग शब्द बनते हैं। जैसे
11. 'आ' प्रत्यय जोड़कर (अ → आ)
12. कुछ तत्सम शब्दों में ता को त्री करने से (ता → त्री)
13. नित्य पुंलिंग या नित्य स्त्रीलिंग शब्दों में मादा या नर शब्द लगाने से :
14. भिन्न रूप वाले स्त्रीलिंग शब्द : हिंदी में अनेक संज्ञा शब्द ऐसे भी हैं जिनके पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्दों में पर्याप्त भिन्नता दिखाई देती है। जैसे :
वचन (Number)
वचन का अभिप्राय संख्या से होता है। विकारी शब्दों के जिस रूप से उनकी संख्या (एक या अनेक) का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन दो हैं : एकवचन बहुवचन
एकवचन (Singular)
शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या एक पदार्थ का ज्ञान होता है, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे बालक, घोड़ा, किताब, मेज आदि ।
बहुवचन (Plural)
शब्द के जिस रूप से अधिक वस्तुओं या पदार्थों का ज्ञान होता है, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे - बालकों, घोड़ों, किताबों, मेजों आदि
बहुवचन बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय
1. ए प्रत्यय जोड़कर : आकारान्त पुंलिंग, तद्भव संज्ञाओं में अन्तिम आ के स्थान पर ए की मात्रा लगा देने से बहुवचन हो जाता है। जैसे :
2. I. एं प्रत्यय जोड़कर : अकारान्त एवं आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में एं जोड़ने पर वे बहुवचन बन जाते हैं। जैसे :
2. II. आकारान्त ऊकारान्त/औकारांत आदि शब्दों में अन्तिम स्वर का लोप नहीं होता। अंतिम स्वर के बाद एँ प्रत्यय जुड़ जाता है। जैसे :
3. आँ प्रत्यय जोड़कर : जब ईकारान्त संज्ञा शब्दों में आँ बहुवचन सूचक प्रत्यय लगता है तो अंतिम स्वर ई का परिवर्तन ह्रस्व इ में हो जाता है तथा इ और आँ के मध्य य व्यंजन का आगम हो जाता है, जैसे- दासी + आँ + य् + आँ → दासियाँ
4. ओं प्रत्यय जोड़कर : ओं का प्रयोग करके भी बहुवचन बनते हैं। जैसे:
5. कभी-कभी कुछ शब्द भी बहुवचन बनाने के लिए जोड़े जाते है। जैसे - वृन्द (मुनिवृन्द), जन (युवजन), गण (कृषकगण), वर्ग (छात्रवर्ग), लोग (नेता लोग) आदि ।
6. सदैव बहुवचन में प्रयोग होने वाले शब्द : आँसू, केश, समाचार, दर्शन, प्राण, हस्ताक्षर, बाल, लोग, प्रजा, रोम, होश आदि।
7. सदैव एकवचन में प्रयोग होने वाले शब्द : क्रोध, क्षमा, छाया, प्रेम, जल, जनता, पानी, दूध, वर्षा, हवा, आग आदि।
8. आदरणीय व्यक्ति के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे :
पिताजी आ रहे हैं।
तुलसी श्रेष्ठ कवि थे।
आप क्या चाहते हैं ?
कारक (Case)
संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य पदों (विशेषतः क्रिया) से जो संबंध होता है, उसे कारक कहते हैं। जैसे : राहुल ने रहीम को पत्थर से मारा ।
इस वाक्य में राहुल क्रिया (मारा) का कर्ता है; रहीम इस मरण क्रिया का कर्म है; पत्थर से यह क्रिया सम्पन्न की गई है, अतः पत्थर क्रिया का साधन होने से करण है।
कारक एवं कारक चिह्न
हिन्दी में कारकों की संख्या आठ मानी गई है। इन कारकों के नाम एवं उनके कारक चिह्नों का विवरण इस प्रकार हैं
कारकों की पहचान
कारकों की पहचान कारक चिह्नों से की जाती है। कोई शब्द किस कारक में प्रयुक्त है, यह वाक्य के अर्थ पर भी निर्भर है। सामान्यतः कारक निम्न प्रकार पहचाने जाते है :
- कर्ता (Nominative) : क्रिया को सम्पन्न करने वाला
- कर्म (Accurative) : क्रिया से प्रभावित होने वाला
- करण (Instrumental) : क्रिया का साधन या
- सम्प्रदान (Dative) : जिससे क्रिया के उद्देश्य / प्रयोजन का बोध हो, जिसके लिए कोई क्रिया सम्पन्न की जाय या जिसे कुछ प्रदान किया जाय।
- अपादान (Ablative) : जहाँ अलगाव हो वहाँ ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है। अलगाव के अलावा कारण, तुलना, भिन्नता, आरंभ, सीखने आदि का बोधक
- संबंध (Genitive) : जहाँ दो पदों का पारस्परिक संबंध बताया जाए।
- अधिकरण (Locative) : जो क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर) आदि का बोध कराये ।
- सम्बोधन (Vocative) : किसी को पुकार कर सम्बोधित किया जाय ।
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➭ वर्णमाला ➭ संज्ञा ➭ लिंग ➭ वचन ➭ कारक ➭ सर्वनाम ➭ विशेषण ➭ क्रिया ➭ क्रिया विशेषण ➭ संधि ➭ समास ➭ शब्दालंकार ➭ रस ➭ अर्थालंकार ➭ विराम चिन्ह ➭ उपसर्ग तथा प्रत्यय ➭ क्रिया व क्रिया के भेद
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