विराम चिन्ह | Viraam Chinha | Hindi Grammar
उद्धरण चिह्न (" ") -
किसी और के वाक्य या शब्दों को ज्यों-का-त्यों लिखना, जैसे-तुलसीदास ने कहा "रघुकुल रीति सदा चली आई। प्राण जाय पर वचन न जाई ।।"
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हिन्दी में विराम चिन्हों का प्रयोग |
विराम चिन्ह का अर्थ Meaning Of Punctuation
विराम का अर्थ है, ठहराव या रुकना। जिस तरह हम काम करते समय बीच-बीच में रुकते है, और फिर आगे बढ़ते हैं, वैसे ही लेखन में भी विराम की आवश्यकता होती है, अतः पाठक के मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए भाषा में विरामों का उपयोग आवश्यक है। श्री कामता प्रसाद गुरु जी ने विराम चिन्हों को अंग्रेजी से लिया हुआ मानते हैं। वे पूर्ण विराम को छोड़ शेष सभी विराम चिह्नों को अंग्रेजी से सम्बद्ध करते हैं।
विराम चिह्नों के भेद
श्री कामता प्रसाद गुरु ने विराम चिह्न 20 बताये हैं, जो इस प्रकार है।
1. पूर्ण विराम (Full Stop) ( । )
पूर्ण विराम का प्रयोग सबसे अधिक होता है। यह चिह्न हिन्दी का प्राचीनतम विराम चिह्न है। इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक (?) और विस्मयादिबोधक (!) वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे- अमन स्कूल से आ रहा है।
दोहा, श्लोक, चौपाई आदि की पहली पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरी पंक्ति के अंत में दो पूर्ण विराम (।।) लगाने की प्रथा है, जैसे
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून ।।
2. अर्द्धविराम (Semicolon) (;)
जहाँ अपूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर और अल्पविराम की अपेक्षा अधिक देर तक रुकना हो, वहाँ अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है।
आम तौर पर अर्द्धविराम दो उपवाक्यों को जोड़ता है जो थोड़े से असंबद्ध होते हैं एवं जिन्हें 'और' से नहीं जोड़ा जा सकता है, जैसे - फलों में आम को सर्वश्रेष्ठ फल माना गया है; किंतु श्रीनगर में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।
दो या दो से अधिक उपाधियों के बीच अर्द्धविराम का प्रयोग होता है, जैसे - एम. ए.; बी. एड.।, एम. ए.; पी. एच. डी.।
3. अल्पविराम (Comma)(,)
जहाँ पर अर्द्धविराम की तुलना में कम देर रुकना हो तो अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है -
➤ एक ही प्रकार के कई शब्दों का प्रयोग होने पर प्रत्येक शब्द के बाद अल्पविराम लगाया जाता है, लेकिन अंतिम शब्द के पहले 'और' का प्रयोग होता है, जैसे - अमित अपनी संपत्ति, भूमि, प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।
➤ हाँ, नहीं, अतः, वस्तुतः, बस, अच्छा जैसे शब्दों से आरंभ होने वाले वाक्यों में इन शब्दों के बाद जैसे -
- हाँ, जा सकते हो।
- नहीं, यह काम नहीं हो सकता।
- अतः, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
- वस्तुतः, वह पागल है।
- बस, हो गया, रहने भी दो।
- अच्छा, अब मैं चलता हूँ।
➤ वाक्यांश या उपवाक्य को अलग करने के लिए जैसे - अंग्रेजी का पाठ्यक्रम बदल जाने से, मैं समझता हूँ, परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा।
➤ कभी-कभी संबोधन सूचक शब्द के बाद अल्पविराम भी लगाया जाता है, जैसे - रवि, तुम इधर आओ।
➤ शब्द युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए जैसे - पाप और पुण्य, सच और झूठ, कल और आज
➤ पत्र में संबोधन के बाद जैसे - पूज्य पिताजी, मान्यवर, महोदय आदि। ध्यान रहे कि पत्र के अंत में भवदीय, आज्ञाकारी आदि के बाद अल्पविराम नहीं लगता।
➤ क्रियाविशेषण वाक्यांशों के बाद भी अल्पविराम आता है। जैसे–महात्मा बुद्ध ने, मायावी जगत के दुःख को देख कर, तप प्रारंभ किया।
➤ किंतु, परंतु, क्योंकि, इसलिए आदि समुच्चयबोधक शब्दों से पूर्व भी अल्पविराम लगाया जाता है, जैसे - आज मैं बहुत थका हूँ, इसलिए विश्राम करना चाहता हूँ।
➤ तारीख के साथ महीने का नाम लिखने के बाद तथा सन्, संवत् के पहले अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है, जैसे - 2 अक्तूबर, सन् 1869 ई० को गाँधीजी का जन्म हुआ।
➤ उद्धरण से पूर्व 'कि' के बदले में अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है, जैसे- नेता जी ने कहा, "दिल्ली चलो। ('कि' लगने पर- नेताजी ने कहा कि "दिल्ली चलो" ।)
➤ अकों को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- 6, 7, 8, 9, 10, 15, 30,60, 70, 100 आदि ।
➤ एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने पर अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-भागो, भागो, आग लग गई है।
➤ जहाँ 'यह', 'वह', 'अब', 'तब', 'तो', 'या' आदि शब्द लुप्त हो; जैसे -
- वह कब लौटेगा, कह नहीं सकता। ('यह' लुप्त है)
- मैं जो कहता हूँ, ध्यान लगाकर सुनो। ('वह' लुप्त है)
- कहना था सो कह दिया, तुम जानो। ('अब' लुप्त है)
- जब जाना ही है, चले जाओ। ('तब' लुप्त है)
- यदि तुम कल आओ, मेरी किताब लेते आओगे । ('तो' लुप्त है)
4. प्रश्नवाचक चिह्न (Markof Interrogation) (?)
प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे - तुम क्या कर रहे हो ? वहाँ क्या रखा है ?, इस चिह्न का प्रयोग संदेह प्रकट करने के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है; जैसे- क्या कहा, वह निष्ठावान (?) है।
5. विस्मयादिबोधक चिह्न (Mark of Exclamation) (!)
विस्मय, आश्चर्य, हर्ष, घृणा आदि का बोध कराने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जैसे - वाह ! आप यहाँ कैसे पधारे ? हाय ! बेचारा व्यर्थ में मारा गया ।
6. उद्धरण चिह्न (Inverted Commas) (" ")
किसी और के वाक्य या शब्दों को ज्यों-का-त्यों रखने में इसका (दूहरे उद्धरण चिह्न) प्रयोग किया जाता है, जैसे-तुलसीदास ने कहा "रघुकुल रीति सदा चली आई। प्राण जाय पर वचन न जाई ।।"
(' ') : पुस्तक, समाचारपत्र आदि का नाम, लेखक का उपनाम, वाक्य में किसी शब्द पर जोर देने के लिए तथा उद्धरण के भीतर उद्धरण देने के लिए इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग करते हैं, जैसे -
तुलसीदास कृत 'रामचरितमानस' एक अनुपम कृति है। लेखक ने कहा, "मैं जानता हूँ कि पुस्तक की छपाई संतोषप्रद नहीं है, पर कल ही प्रकाशक महोदय कह रहे थे, ऐसा प्रेस के लोगों ने जान-बूझकर किया है।"
7. योजक चिह्न (Hyphen) (-)
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है -
- (a) सामासिक पदों या पुनरुक्त और युग्म शब्दों के मध्य, जैसे - जय-पराजय, लाभ-हानि, दो-दो, राष्ट्र-भक्ति
- (b) तुलनावाचक 'सा', 'सी', 'से', के पहले, जैसे चाँद-सा चेहरा, फूल-सी मुसकान
- (c) एक अर्थवाले सहचर शब्दों के बीच, जैसे कपड़ा-लत्ता, धन-दौलत, मान-मर्यादा, रुपया-पैसा ।
- (d) सार्थक-निरर्थक शब्द-युग्मों के बीच, जैसे अनाप-शनाप, उलटा-पुलटा, काम-वाम, खाना-वाना ।
8. निर्देशक चिह्न (Dash) (―)
निर्देशक चिह्न (―), योजक चिह्न (-) से थोड़ा बड़ा होता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है -
- संवादों को लिखने के लिए, जैसे - रमेश― तुम कहाँ रहते हो ?
- कहना, लिखना, बोलना, बताना, शब्दों के बाद, जैसे - गाँधी जी ने कहा― हिंसा मत करो।
- किसी प्रकार की सूची के पहले, जैसे - सफल होने वाले छात्रों के नाम निम्नलिखित हैं― राजीव, रमेश, मोहन।
- जहाँ किसी भी विचार को विभक्त कर बीच में उदाहरण दिए जाते हैं, वहाँ दोनों ओर इसका प्रयोग किया जाता है, जैसे - श्याम बाज़ार से कुछ सामान―दाल सब्जी―खरीदने गया।
9. कोष्ठक (Brackets) [( )]
कोष्ठक के भीतर मुख्यतः उस सामग्री को रखते हैं जो मुख्य वाक्य का अंग होते हुए भी पृथक की जा सकती है, जैसे-
क्रिया के भेदों (सकर्मक और अकर्मक) के उदाहरण दीजिए।
- किसी कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए; जैसे आप की सामर्थ्य (शक्ति) को मैं जानता हूँ।
- नाटक में अभिनय निर्देशों को कोष्ठक में रखा जाता है, जैसे - मेघनाद―(कुछ आगे बढ़ कर) लक्ष्मण यदि सामर्थ्य है तो सामने आओ।
- विषय, विभाग सूचक अंकों अथवा अक्षरों को प्रकट करने के लिए, जैसे संज्ञा के तीन भेद हैं- 1. व्यक्तिवाचक 2. जातिवाचक और 3. भाववाचक संज्ञा
10. हंसपद / त्रुटिबोधक (Caret) (^)
जब किसी वाक्य अथवा वाक्यांश में कोई शब्द अथवा अक्षर लिखने मे छूट जाता है तो छूटे हुए वाक्य के नीचे हंसपद चिह्न का प्रयोग कर छूटे हुए शब्द को ऊपर लिख देते हैं।
जन्मसिद्ध
जैसे - स्वतंत्रता हमारा ^ अधिकार है।
11. रेखांकन चिह्न (Underline) (_)
वाक्य में महत्त्वपूर्ण शब्द, पद, वाक्य रेखांकित कर दिया जाता है, जैसे गोदान उपन्यास, प्रेमचंद द्वारा लिखित कृति है।
12. लाघव चिह्न (Sign of Abbreviation) (०)
संक्षिप्त रूप लिखने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग किया जाता हैं, जैसे - कृ० प० उ० = कृपया पृष्ठ उलटिए
13. लोप चिह्न (Mark of Omission) (...)
जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, जैसे गाँधीजी ने कहा, "परीक्षा की घड़ी आ गई है ......... हम करेंगे या मरेंगे" ।
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