क्रिया: अर्थ परिभाषा प्रकार और पहचान कैसे करे

क्रिया - क्रिया के भेद और परिभाषा अच्छे से समझने के लिये इस पोस्ट को जरुर पढे इसमे उदाहरण से साथ समझाया गया है...
kriya-Hindi-Grammar
kriya Hindi Grammar

क्रिया की परिभाषा

जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा करने का बोध हो, वह क्रिया कहलाता है, जैसे -
(1) अमित दूध पी रहा है। (2) रीना काम कर रही है। (3) अनीता नाच रही है।
इसमें पी रहा है, कर रही है, नाच रही है शब्द कार्य-व्यापार का बोध करा रहे हैं। इनसे किसी कार्य के करने अथवा होने का बोध हो रहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं।
क्रिया-क्रिया-के-भेद-kriya-Hindi-Grammar
क्रिया | क्रिया के भेद

धातु (Root)

क्रिया के मूल रूप ( मूलांश) को धातु कहते हैं। धातु से ही क्रिया पद का निर्माण होता है इसीलिए क्रिया के सभी रूपों में धातु उपस्थित रहता है। जैसे—
चलना क्रिया में चल धातु है । पढ़ना क्रिया में पढ़ धातु है ।

प्रायः धातु में ना प्रत्यय जोड़कर क्रिया का निर्माण होता है । 
पहचान कैसे करे: धातु पहचानने का सबसे सरल सूत्र है कि दिये गए शब्दांश में ना लगाकर देखें और यदि ना लगने पर क्रिया बने तो समझना चाहिए कि वह शब्दांश धातु है।

धातु के भेद

धातु के दो भेद हैं-
  1. मूल धातु
  2. यौगिक धातु

मूल धातु

यह स्वतन्त्र होती है तथा किसी अन्य शब्द पर निर्भर नहीं होती, जैसे—जा, खा, पी, रह आदि।

यौगिक धातु

यौगिक धातु मूल धातु में प्रत्यय लगाकर, कई धातुओं को संयुक्त करके अथवा संज्ञा और विशेषण में प्रत्यय लगाकर बनाई जाती है। यह तीन प्रकार की होती है—
  1. प्रेरणार्थक क्रिया (धातु)
  2. यौगिक क्रिया (धातु)
  3. नाम धातु
प्रेरणार्थक क्रिया (धातु) प्रेरणार्थक क्रियाएँ अकर्मक एवं सकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं। आना / लाना जोड़ने से प्रथम प्रेरणथक एवं वाना जोड़ने से द्वितीय प्रेरणार्थक रूप बनते हैं। जैसे—
मूल धातुप्रेरणार्थक धातुमूल धातुप्रेरणार्थक धातु
उठ-नाउठाना, उठवानासो-नासुलाना, सुलवाना
दे-नादिलाना, दिलवानाखा-नाखिलाना, खिलवाना
कर-नाकराना, करवानापी-नापिलाना, पिलवाना

यौगिक क्रिया (धातु)

दो या दो से अधिक धातुओं के संयोग से यौगिक क्रिया बनती है। जैसे— रोना-धोना, उठना बैठना, चलना-फिरना, खा लेना, उठ बैठना, उठ जाना आदि।

नाम धातु

संज्ञा या विशेषण से बनने वाली धातु को नाम धातु कहते हैं। जैसे- गाली से गरियाना, लात से लतियाना, बात से बतियाना, गरम से गरमाना, चिकना से चिकनाना, ठंडा से ठंडाना आदि।

क्रिया के भेद

कर्म के अनुसार या रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं— 
  1. सकर्मक क्रिया
  2. अकर्मक क्रिया

सकर्मक क्रिया (Transitive Verb)

जिस क्रिया के साथ कर्म हो या कर्म की संभावना हो तथा जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़ता हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे-
राम फल खाता है। (खाना क्रिया के साथ फल कर्म है)
सीता गीत गाती है। (गाना क्रिया के साथ गीत कर्म है)
मोहन पढ़ता है। (पढ़ना क्रिया के साथ पुस्तक कर्म की संभावना बनती है)

अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb)

अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है। जैसे -
राधा रोती है। (यहा कर्म का अभाव है तथा रोती है क्रिया का फल राधा पर पड़ता है)
मोहन हँसता है। (यहा भी कर्म का अभाव है तथा हँसता है क्रिया का फल मोहन पर पड़ता है)

इसे पहचाने कैसे: सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान क्या और किसको प्रश्न करने से होती है। यदि दोनों का उत्तर मिले, तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक। जैसे -
राम फल खाता है। (यहा प्रश्न करने पर कि- राम क्या खाता है? उत्तर मिलेगा - फल। अतः खाना क्रिया सकर्मक है।)
बालक रोता है। (प्रश्न करने पर कि बालक क्या रोता है? कोई उत्तर नहीं मिलता, बालक किसको रोता है कोई उत्तर नहीं मिलता। अतः रोना क्रिया अकर्मक है।)

किया के कुछ अन्य भेद

किया के कुछ अन्य भेद निम्नवत हैं -
  1. सहायक क्रिया (Helping Verb)
  2. पूर्वकालिक क्रिया (Absolutive Verb)
  3. नामबोधक क्रिया (Nominal Verb)
  4. द्विकर्मक क्रिया (Double Transitive Verb)
  5. संयुक्त क्रिया (Compound Verb)
  6. क्रियार्थक संज्ञा (Verbal Noun) 

सहायक क्रिया (Helping Verb)

सहायक क्रिया मुख्य क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर अर्थ को स्पष्ट एवं पूर्ण करने में सहायता करती है। जैस 
मैं घर जाता हूँ। (यहाँ जाना मुख्य क्रिया है और हूँ सहायक किया है)
वे हँस रहे थे। (यहाँ हँसना मुख्य किया है और रहे थे सहायक क्रिया है)

पूर्वकालिक क्रिया (Absolutive Verb)

जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त कर दूसरी क्रिया करना प्रारम्भ करता है तब पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता है। जैसे- अमन भोजन करके सो गया।
यहाँ भोजन करके पूर्वकालिक क्रिया है, जिसे करने के बाद उसने दूसरी क्रिया (सो जाना) सम्पन्न की है ।

नामबोधक क्रिया (Nominal Verb):

संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जुड़ने से नामबोधक क्रिया बनती है। जैसे-
संज्ञा+क्रिया=नामबोधक क्रिया
लाठी+मारना=लाठी मारना
रक्त+खौलना=रक्त खौलना
विशेषण+क्रिया=नामबोधक क्रिया
दुःखी+होना=दुःखी होना
पीला+पड़ना=पीला पड़ना

द्विकर्मक क्रिया (Double Transitive Verb)

जिस क्रिया के दो कर्म होते हैं उसे द्विकर्मक क्रिया कहा जाता है। जैसे -
अध्यापक ने छात्रों को हिन्दी पढ़ाई।
(दो कर्म- छात्रों, हिन्दी)
श्याम ने राम को थप्पड़ मार दिया।
(दो कर्म- राम, थप्पड़)
'कर्म + को/से' को अप्रधान / गौण कर्म एवं 'कर्म-को/से' को प्रधान कर्म कहते हैं; जैसे-पहले वाक्य में 'छात्रों को' अप्रधान कर्म एवं 'हिन्दी' प्रधान कर्म है ।

संयुक्त क्रिया (Compound Verb)

जब कोई क्रिया दो क्रियाओं के संयोग से निर्मित होती है, तब उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे—
वह खाने लगा
मुझे पढ़ने दो
मैंने किताब पढ़ ली
अब त्यागपत्र दे ही डालो

क्रियार्थक संज्ञा (Verbal Noun)

जब कोई क्रिया संज्ञा की भांति व्यवहार में आती है तब उसे क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं। जैसे -
टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
देश के लिए मरना कीर्तिदायक है।


इस Blog का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों को अधिक से अधिक जानकारी एवं Notes उपलब्ध कराना है, यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया गया है।