भारतीय जैव विविधता | Indian Biodiversity
भारत जैव विविधता की दृष्टि से दक्षिण एशिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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Indian Biodiversity |
भारतीय जैव विविधता
(Indian Biodiversity)
भारत जैव विविधता (bhartiya Jaiv Vividhta) की दृष्टि से दक्षिण एशिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत विश्व स्थलीय भाग का 2.4% तथा ज्ञात प्रजातियों का 7.8% को समाहित करते हुए एक मेगा डाइवर्स वाला देश है।
- विश्व के 17 मेगा जैव विविधता वाले देशों में भारत को भी सम्मिलित किया गया है।
- विश्व के 35 हॉटस्पॉट में से 4 भारतीय क्षेत्र से सम्बन्धित हैं।
- विश्व में बड़े स्तनधारी जीवों की प्रजातियों की दृष्टि से भारत का महत्वपूर्ण स्थान है।
- भारत के पूर्वोत्तरी राज्यों को 'जैव विविधता का द्वार' कहा जाता है।
- भारत में एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका तीनों ही प्रकार की जीव-जातियाँ पायी जाती हैं।
- जैव विविधता में भारत का विश्व में 12वाँ स्थान है ।
- विश्व के समस्त ज्ञात पौधों का 17.4% तथा जंतु प्रजाति का 7.4% भाग यहाँ पाया जाता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में अफ्रीका का लकड़बग्घा चिंकारा, यूरोपीय भेड़िया, जंगली बकरी तथा कश्मीरी स्टैग एवं दक्षिण पूर्वी एशिया के हाथी, गिब्बन आदि पाये जाते हैं।
- भारतीय भौगोलिक कारक तथा जलवायुवीय दशाओं के परिणामस्वरूप विभिन्न पारितंत्र का विकास हुआ है।
- भारत की जैव विविधता को निम्नलिखित 4 खण्डों में बाँटा जा सकता है-
- (1) मलायन जैव क्षेत्र, विविधता
- (2) इथोपियन जैव विविधता क्षेत्र,
- (3) यूरोपियन जैव विविधता क्षेत्र
- (4) प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र।
- भारत की जैव विविधता को क्षेत्र के आधार पर तीन खण्डों में विभक्त किया जा सकता है-
- (i) हॉटस्पॉट,
- (ii) समुद्री जैव विविधता क्षेत्र,
- (iii) जैव भौगोलिक क्षेत्र।
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भारत के तीन जैव विविधता हॉटस्पॉट
पश्चिमी घाट
- भारत का पश्चिमी घाट क्षेत्र भारत के दक्षिणी पश्चिमी तटीय क्षेत्र एवं श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम उच्च भूमि तक है।
- पश्चिम घाट क्षेत्र भारत का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है।
- पश्चिम घाट क्षेत्र में 6 हजार पादप प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
- इस क्षेत्र में भारतीय बाघ, एशियाई हाथी, बड़े आकार की गिलहरी, नीलगिरि ताहर, शेर जैसी पूँछ वाला बन्दर आदि हैं।
- पश्चिम घाट क्षेत्र अधिक वर्षा होने के कारण आर्द्र पर्णपाती व वर्षा वन पाये जाते हैं।
- पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका हॉट स्पॉट भारत का सबसे छोटा हॉट स्पॉट क्षेत्र है।
- इसका विस्तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आदि राज्यों में फैला है।
- पश्चिम घाट में पर पाये जाने वाले उभयचरों की प्रजातियों में कई स्थानिक प्रजातियों की अधिकता है।
- यहाँ की विशिष्ट एवं स्थानिक प्रजातियाँ फ्लाइंग गिलहरी, लॉयन टेल्ड मकाक आदि हैं।
इण्डो-म्यांमार क्षेत्र
- इस क्षेत्र का विस्तार भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी भाग, म्यांमार तथा दक्षिणी चीन के युन्नान प्रान्त हैं।
- इण्डो-म्यांमार क्षेत्र के अंतर्गत थाइलैण्ड, वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया हैं ।
- इस क्षेत्र में बन्दर, लंगूर, गिब्बन आदि कपि प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं।
- यहाँ स्थानीय प्रजाति वाले ताजे पानी के कछुए अधिक पाये जाते हैं ।
- यह हॉटस्पॉट क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है।
- भारत का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट इण्डो-बर्मा ( भारत-म्यांमार) क्षेत्र है।
हिमालय जैव विविधता हॉट स्पॉट
- यह क्षेत्र भारत के उत्तर-पूर्वी भाग, दक्षिणी मध्य एवं पूर्वी नेपाल एवं भूटान के क्षेत्रों में फैला हुआ है।
- पर्यावरण असंतुलन के कारण यह क्षेत्र बहुत प्रभावित हो रहा है।
- विश्व का सर्वोच्च शिखर माउण्ट एवरेस्ट और भारत का सर्वोच्च शिखर K2 (गाडविन ऑस्टिन) इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
- इस क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख जीव नीली भेड़, हिम तेंदुआ, पिग्मीहॉग, एक सींग वाला गैंडा, सुनहरा लंगूर, गंगा डाल्फिन आदि हैं।
- यह क्षेत्र अत्यधिक समृद्धि वाला है यहाँ की पादप प्रजातियाँ सिर्कास्तेरिया, ब्यूटोमेसिया, स्टेकीयूरेशिया हैं।
समुद्री जैव विविधता क्षेत्र
- भारत की कुल समुद्र तटीय क्षेत्र 7,516.6 किमी. तक विस्तृत है।
- समुद्री जैव विविधता क्षेत्र में विविध मैंग्रोव, एश्चुअरी और प्रवाल भित्ति क्षेत्र सम्मिलित हैं।
- प्रवाल भित्तियों को 'समुद्री वर्षा वन' भी कहा जाता है।
- प्रवाल भित्तियाँ जीवों के लिए एक आदर्श पारितंत्र प्रदान करती हैं।
- मैंग्रोव वृक्ष जलमग्न रहकर लवणीय पर्यावरण में अपना पोषण एवं संवर्द्धन करते हैं ।
- समुद्री जैव विविधता में मोलस्का (घोंघा), क्रस्टेशियन, पॉलीकीट्स एवं प्रवाल प्रजातियों की अधिकता पायी जाती है।
जैव भौगोलिक क्षेत्र
- इस क्षेत्र के अंतर्गत जीवों, प्रजातियों तथा पारिस्थितिकी तंत्रों के वितरण का अध्ययन किया जाता है।
- भारत के सघन वन जैव विविधता की दृष्टि से संसार में जैव भूगोल अपना विशेष स्थान रखता है।
- ब्राजील के पश्चात् भारत के सघन वनों में सर्वाधिक जैव विविधता है।
- पूर्व में मासिनराम और चेरापूँजी में सर्वाधिक वर्षा होती है।
- दक्षिण-पश्चिम में क्षारीय कच्छ का रन है।
- देश के पश्चिमी भाग में थार का मरुस्थल तथा धुर उत्तर में हिमाच्छादित क्षेत्र है।
- भारत को कुल 10 जैव भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- ट्रांस हिमालय काराकोरम एवं लद्दाख पर्वत, तिब्बत पठार, सिक्किम
- .उत्तर-पश्चिम हिमालय - उत्तर-पश्चिम, केन्द्रीय एवं उत्तर-पूर्वी हिमालय।
- मरुस्थल थार का मरुस्थल, कच्छ का रन ।
- पश्चिमी घाट - मालाबार मैदान एवं पर्वत ।
- अर्द्ध शुष्क मैदान, पंजाब का मैदान, गुजरात का राजपुताना।
- दक्कन प्रायद्वीपीय पठार - केंद्रीय उच्च भूमि, छोटा नागपुर का पठार, पूर्वी उच्च भूमि, केंद्रीय पठार, दक्कन का पठार
- गंगा का मैदानी क्षेत्र - उच्च एवं निम्न मैदानी क्षेत्र ।
- तटीय क्षेत्र पूर्वी, पश्चिमी, अण्डमान निकोबार, लक्षद्वीप।
- उत्तर-पूर्व प्रदेश पहाड़ियाँ । - ब्रह्मपुत्र घाटी, पूर्वी
- द्वीप समूह अण्डमान निकोबार द्वीप समूह।
ट्रान्स हिमालय
- यह क्षेत्र बहुत ठंडा एवं शुष्क है। ट्रान्स हिमालय क्षेत्र को तिब्बती हिमालय या टेथीस हिमालय के नाम से अभिहीत किया जाता है।
- ट्रान्स हिमालय मूलतः यूरेशिया प्लेट का एक भाग है।
- यह भारत के कुल भू-भाग का 56 प्रतिशत है।
- इसमें अल्पाइन प्रजाति की वनस्पति पायी जाती है।
- इसका अधिकतम क्षेत्र पत्थर एवं हिमखण्ड से घिरा हुआ है।
- इस क्षेत्र के जंतुओं में जंगली भेड़, बकरी, आइबेक्स, हिमलेपर्ड, संगमरमर के रंगवाली बिल्ली, काले गर्दन वाला हंस आदि पाये जाते हैं।
उत्तर पश्चिम हिमालय
- यह भारत के सम्पूर्ण भू-भाग का 7.2% है।
- पश्चिम हिमालय में वनस्पतियों की सघनता कम एवं पूर्वी हिमालय में अधिक है।
- यहाँ पर उष्णकटिबंधीय वनों से लेकर टुण्ड्रा वन तक पाये जाते हैं। .
- जैव विविधता की दृष्टि से इनकी कई पेटियों में विभिन्नता पायी जाती है।
- भूरे भालू एवं हिम लेपर्ड उत्तर-पश्चिम हिमालय के मुख्य जन्तु हैं।
- यहाँ की प्रमुख प्रजातियाँ संकटग्रस्त और विलुप्ति की कगार पर हैं जिनका प्रमुख कारण भूस्खलन एवं पर्यावरण प्रदूषण है।
मरुस्थल
- भारत में मरुस्थल के अंतर्गत राजस्थान तथा सिन्ध का रेगिस्तान आता है।
- यह भारत के सम्पूर्ण भू-भाग का 6.9% है।
- यहाँ सर्वाधिक कीटों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
- यहाँ पर पाये जाने वाले जन्तु नीलगाय एवं जंगली गधे हैं।
- कच्छ मरुस्थल में पाये जाने वाले स्थानिक जीव मरुस्थलीय बिल्ली, चिंकारा, लोमड़ी, ग्रेड इण्डियन बस्टर्ड आदि हैं। यहाँ की संकटग्रस्त प्रजाति ब्लैक बक है।
पश्चिमी घाट
- यह सम्पूर्ण भारतीय भू-भाग का 5.8% है।
- यह भारत का सर्वाधिक जैव 8 विविधता वाला क्षेत्र है।
- पश्चिमी घाट को हॉटस्पॉट का स्थान प्राप्त है।
- इसे सह्याद्रि पर्वत चोटी भी कहा जाता है।
- इस क्षेत्र में प्रमुख जीव-जंतु टाइगर, शेर, लंगूर, भूरे हार्नबिल, नीलगिरि लंगूर आदि हैं।
- इस क्षेत्र की प्रमुख स्थानिक प्रजातियाँ फ्लाइंग गिलहरी एवं लॉयन टेल्ड मकाकोट हैं।
- इस क्षेत्र में अधिक वर्षा होने के कारण आर्द्र पर्णपाती वन पाये जाते हैं।
अर्द्धशुष्क
- इसके अंतर्गत दक्कन पठार और पश्चिमी रेगिस्तान के मध्य का भाग आता है।
- इस क्षेत्र का विस्तार भारत के सम्पूर्ण भाग का 15.6% है।
- इस क्षेत्र की प्रसिद्धि एशियाटिक शेरों के लिए है, जिसमें गिर क्षेत्र के शेर आते हैं।
- इस क्षेत्र की प्रमुख वनस्पति उष्णकटिबंधीय कंटीले वन की है। मैंग्रोव और आर्द्र वन भी यहाँ प्रमुखता से मिलते हैं।
- यह क्षेत्र घास और यूफोर्बिया झाड़ी से घिरा हुआ है।
दक्कन प्रायद्वीपीय पठार
- यह क्षेत्र उत्तर में - सतपुड़ा, पश्चिम में पश्चिमी घाट एवं पूर्व में पूर्वी घाट से घिरा है। यहाँ की प्रमुख नदियाँ महानदी, गोदावरी, नर्मदा और ताप्ती हैं।
- इस क्षेत्र में काली और लाल मिट्टी अधिक पायी जाती है।
- यहाँ पर उष्णकटिबंधीय वन, उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन पाये जाते हैं।
- इस क्षेत्र के प्रमुख जन्तु बारहसिंगा, हाथी, जंगली भैंसे, जंगली सुअर, टाइगर और भालू हैं।
- इसका विस्तार भारत के सम्पूर्ण भू-भाग का 43% है।
गंगा का मैदानी भाग
- गंगा के मैदान का विस्तार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल तक है।
- यह भारत के सम्पूर्ण भू-भाग के 11% भाग पर फैला हुआ है।
- यह क्षेत्र उर्वरता एवं कृषि की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
- यहाँ के प्रमुख जन्तु भारतीय गैण्डा, हाथी, घड़ियाल, ब्लैक बक, कछुए एवं मछलियाँ हैं।
- गंगा के मैदान के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में मैंग्रोव वन पाये जाते हैं।
तटीय क्षेत्र
- यह तटीय क्षेत्र भारत के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ है।
- इस क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख जन्तु डॉल्फिन, घड़ियाल, ड्यूगोंग, एवीफौना आदि हैं।
- बंगाल की खाड़ी वाले सुन्दरवन में रॉयल बंगाल टाइगर सर्वाधिक संख्या में पाये जाते हैं।
- यह क्षेत्र मैंग्रोव वन के लिए भी प्रसिद्ध है।
उत्तर पूर्वी प्रदेश
- इस क्षेत्र के अन्तर्गत - पूर्वोत्तर भारत का मैदानी क्षेत्र समाहित है। यह भारत के सम्पूर्ण भू-भाग के 5.2% भाग पर विस्तृत है।
- इस प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय वनस्पतियाँ पायी जाती हैं।
- यहाँ पर सदाबहार वन, मानसूनी वन, घास के मैदान, नम पर्णपाती मानसूनी वन पाये जाते हैं।
- यहाँ बाँस, टूना चेस्टनट और जैकफ्रूट प्रमुख वनस्पतियाँ हैं।
द्वीप समूह
- यह क्षेत्र 572 द्वीपों के है। इस क्षेत्र का विस्तार अंडमान द्वीप के उत्तर समूह का तथा निकोबार द्वीप के दक्षिण तक है।
- द्वीप समूह भारत के 0.03% भाग पर विस्तृत है।
- यह क्षेत्र अण्डमान द्वीप के 11 हजार वर्ग किमी. तथा निकोबार द्वीप के 2.7 हजार वर्ग किमी. पर फैला हुआ है।
- डॉल्फिन, कोकोनट, मोलस्का और जैकफ्रूट इस क्षेत्र में पाये जाते हैं।
Remember!
- भारत का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है - इण्डो-बर्मा
- किस वन को उसकी विशालता के कारण पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है? - अमेजन वर्षा वन
- सर्वाधिक जैव विविधता वाला क्षेत्र - भूमध्य रेखा के निकटवर्ती प्रदेश
- विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कहाँ है? - ऑस्ट्रेलिया में
- सर्वाधिक जैव विविधता वाला महाद्वीप है - अफ्रीका महाद्वीप
- पश्चिमी घाट को विश्व धरोहर किस वर्ष घोषित किया गया? - वर्ष 2012
- न्यूनतम जैव विविधता कहाँ है? - धुवों के निकट
- विश्व में लगभग कितनी जीव प्रजातियाँ पायी जाती है? - 15,00,000
- पश्चिमी घाट का कितने वर्ग किमी. क्षेत्र पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र है? - 60,000 वर्ग किमी.
- समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को किसकी संज्ञा दी जाती है ? - हॉट स्पॉट्स
- वर्तमान में विश्व में कितने हॉट स्पॉट्स हैं? - 76 हॉट स्पॉट्स
- भारत में कितने हॉट स्पॉट्स हैं? - 4 हॉट स्पॉट्स
- भारत का सबसे छोटा हॉट स्पॉट्स हैं। - पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका
- पश्चिमी घाट की सर्वोच्च चोटी है -अनामुडी शिखर
- वैश्विक जैव विविधता का कितना प्रतिशत भाग भारत में पाया जाता है? - 7.8%
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