जैव विविधता ह्रास के कारण Cause for the Loss of Biodiversity
प्राचीन काल से ही मनुष्य प्रकृति पर निर्भर रहा है। मानव सभ्यता का प्रारम्भ जंगल से ही हुआ है। बहुत जीव-जन्तु एवं वनस्पतियाँ मानव जीवन के आधार हैं।
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Cause for the Loss of Bio-Diversity |
जैव विविधता ह्रास के कारण
(Cause for the Loss of Bio-Diversity)
प्राचीन काल से ही मनुष्य प्रकृति पर निर्भर रहा है। मानव सभ्यता का प्रारम्भ जंगल से हुआ है। बहुत जीव-जन्तु एवं वनस्पतियाँ मानव जीवन के आधार हैं। वर्तमान में जैव विविधिता का ह्रास का संकट मानवीय हस्तक्षेप के कारण है।
पिछले कुछ वर्षों से जैव विविधता का ह्रास कृषि का विज्ञानीकरण, औद्योगीकरण, नगरीकरण और जनसंख्या विस्फोट आदि कारणों से हुआ है। जैव विविधता के ह्रास का सबसे खतरनाक रूप प्रजातियों का विलोपन है.
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जैव विविधता हास के कारण
प्राकृतिक आवासों का विनाश
- जैव विविधता के प्राकृतिक केन्द्र के सिकुड़ने का प्रमुख कारण शहर एवं गाँव में बढ़ती आबादी का दबाव है।
- विश्व में जैव विविधता ह्रास का प्रमुख कारण उनके प्राकृतिक आवासों का विनाश है ।
- एशिया के उष्ण कटिबन्धीय देशों में 65% वन्य जीवों के आवास नष्ट कर दिये गये हैं।
- वन्य जीवों के आवास विनाश के प्रमुख कारण भवन निर्माण, सड़क निर्माण, औद्योगिक विकास, कृषि हेतु घास के मैदानों की जुताई आदि हैं।
- एशिया के प्रमुख वे देश हैं जो आवास विनाश से प्रभावित हैं बांग्लादेश 94%, हांगकांग 95%, श्रीलंका 85%, वियतनाम 80%।
- संसार के वन, आर्द्र भूमि तथा अन्य बड़े जैविक सम्पन्नता वाले पारितन्त्र मानव जनित कारणों से लाखों प्रजातियों के विलुप्त होने की समस्या को झेल रहे हैं।
आवासों का बिखराव
बड़े आवासों के बीच से सड़क निकालना, कस्बों का विकास, पर्यटक स्थल, नहर अथवा विद्युत स्टेशनों का निर्माण करके गाँव, शहर के कुछ भागों को बिखरित कर दिया जा रहा है ।
प्रदूषण
जैव विविधता के ह्रास के कारणों में प्रदूषण का महत्वपूर्ण स्थान है।
फसलों के बचाव में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक जैव विविधता के लिए हानिकारक हैं।
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, व प्रदूषण आदि जैव विविधता के लिए घातक सिद्ध हुए हैं।
कीटनाशक दवाओं का प्रयोग ही मोर, चील, बाज और गौरैया आदि पक्षियों के लिए प्राणघातक है।
गिद्ध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण विलुप्त हुए हैं। गिद्धों के लिए सबसे बड़ा खतरा जानवरों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दर्द निवारक दवा डाईक्लोफिनैक सोडियम है ।
रासायनिक तत्व पोषण स्तर-1 में प्रवेश करके द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ पोषण स्तरों तक पहुँच जाते हैं जिससे सभी पोषण स्तरों में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं ।
फसलों के बचाव में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक जैव विविधता के लिए हानिकारक हैं।
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, व प्रदूषण आदि जैव विविधता के लिए घातक सिद्ध हुए हैं।
कीटनाशक दवाओं का प्रयोग ही मोर, चील, बाज और गौरैया आदि पक्षियों के लिए प्राणघातक है।
गिद्ध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण विलुप्त हुए हैं। गिद्धों के लिए सबसे बड़ा खतरा जानवरों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दर्द निवारक दवा डाईक्लोफिनैक सोडियम है ।
रासायनिक तत्व पोषण स्तर-1 में प्रवेश करके द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ पोषण स्तरों तक पहुँच जाते हैं जिससे सभी पोषण स्तरों में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं ।
वन्य जीवों का अवैध शिकार
वन्य जीवों के अवैध शिकार से भी स्थिति पर प्रभाव पड़ता है ।वन्य जीवों की खाल, सींग, हड्डी, खुर-दाँत आदि का औषधीय महत्व होने के कारण इनका शिकार किया जाता है ।
शिकार के कारण जहाँ अनेक जीव लुप्त होते जा रहे हैं, वहीं पारितन्त्र भी प्रभावित हो रहा है ।
एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों में पायी जाने वाली सम्पन्न जैव विविधता आज संसार में वन्य जीवों एवं जन्तु उत्पादों का प्रमुख स्रोत बन रही है।
जापान, ताइवान एवं हांगकांग विश्व के कुल बिल्ली एवं साँपों की चमड़ी की तीन-चौथाई आयात करते हैं।
चीन में लम्बे समय तक सेक्स क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए बाघों की बलि दी जाती है ।
वन्य जीवों के अवैध व्यापार में हाथी सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। अफ्रीका में इसका व्यापार अधिक हुआ है।
सन् 1980 में अफ्रीका में 1.3 मिलियन हाथी थे जो एक दशक बाद घटकर आधे रह गये हैं।
शिकार के कारण जहाँ अनेक जीव लुप्त होते जा रहे हैं, वहीं पारितन्त्र भी प्रभावित हो रहा है ।
एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों में पायी जाने वाली सम्पन्न जैव विविधता आज संसार में वन्य जीवों एवं जन्तु उत्पादों का प्रमुख स्रोत बन रही है।
जापान, ताइवान एवं हांगकांग विश्व के कुल बिल्ली एवं साँपों की चमड़ी की तीन-चौथाई आयात करते हैं।
चीन में लम्बे समय तक सेक्स क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए बाघों की बलि दी जाती है ।
वन्य जीवों के अवैध व्यापार में हाथी सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। अफ्रीका में इसका व्यापार अधिक हुआ है।
सन् 1980 में अफ्रीका में 1.3 मिलियन हाथी थे जो एक दशक बाद घटकर आधे रह गये हैं।
प्राकृतिक आपदायें
प्राकृतिक आपदायें भी जैव विविधता ह्रास के प्रमुख कारण हैं, बाढ़, ज्वालामुखी, भूकम्प, भूस्खलन, वनाग्नि और बीमारियों के कारण भी बहुत सी वनस्पतियों एवं जंतुओं के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है ।
स्थानान्तरित कृषि
बड़े पैमाने पर वनों का कटाव जो कृषि के लिए किया जाता है, पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक है।
स्थानान्तरित कृषि का प्रभाव जैव विविधता पर पड़ता है।
विदेशी प्रजातियों का आक्रमणकारी प्रभाव
विविध मानवीय गतिविधियों के कारण जैव विविधता का ह्रास हुआ है। यूरोपीय औपनिवेशीकरण, बागवानी, कृषि विकास तथा आकस्मिक परिवहन विदेशी प्रजातियों के आक्रमणकारी प्रभाव के प्रमुख कारण हैं।
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