विश्व की प्रमुख संकटग्रस्त प्रजातियाँ | World's Endangered Species

वर्तमान में प्रतिवर्ष सौ से लेकर हजार तक विभिन्न जीवों की जातियाँ एवं उपजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
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Endangered Species

विश्व की प्रमुख संकटग्रस्त प्रजातियाँ (World's Endangered Species)

वर्तमान में प्रतिवर्ष सौ से लेकर हजार तक विभिन्न जीवों की जातियाँ एवं उपजातियाँ विलुप्त हो रही हैं। बिना किसी विघ्न वाले पारिस्थितिकी तंत्रों में जातियों के विलुप्त होने की दर प्रति दशक एक जाति है।
  • रेड डाटा बुक (Red Data Book) वर्ष 1963 में IUCN द्वारा जारी की गयी। 
  • यह बुक विलुप्त प्राय, असुरक्षित एवं दुर्लभ जीवों तथा पादपों से सम्बन्धित है।
  • क्रान्तिक रूप से संकटग्रस्त जीव को गुलाबी पेज पर दिखाया जाता है।
  • जब कोई जीव पर्याप्त संख्या में बढ़ोत्तरी कर लेता है तो उसको हरे पेज पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है।
  • IUCN रेड लिस्ट में जीवों को उनकी कुल आबादी, आबादी में गिरावट की दर, भौगोलिक क्षेत्र, मानवीय हस्तक्षेप द्वारा जीवों की समाप्ति आदि के आधार पर 9 श्रेणियों में बाँटा गया है -
  1. विलुप्त ( EX)
  2. वन से विलुप्त (EW)
  3. अति संकटग्रस्त (CE)
  4. संकटापन्न (EN) 
  5. संवेदनशील (VU)
  6. संकट के निकट (NT)
  7. संकटमुक्त (LC)
  8. आँकड़ों का अभाव (DD) 
  9. अनाकलित (NE)

विलुप्त (EX) 

वे प्रजातियाँ जो पिछले 50 वर्षों से अस्तित्व में न देखी गयी हों विलुप्त प्रजातियाँ कही जाती हैं। 
  • अतीत में विकसित होने वाली अनेक जीव जातियाँ जो अब हमेशा के लिए लुप्त हो गयी हों विलुप्त प्रजातियों के अंतर्गत आती हैं।
  • विलुप्त प्रजातियाँ हैं - लाल पाण्डा, डायनासोर, लाल तोता, रोडरीग्यूज कछुआ, ब्लू बक, अन्टार्कटिक भेड़िया, क्यूबन, मैमथ, डोडो, तस्मानियन भेड़िया, जैन्टमाओ यूकस, किंगफिशर आदि । 
  • मानवीय क्रूरता की दृष्टि से विलुप्त होने वाली जातियाँ मॉरीशस का डोडो पक्षी व चीन का लाल पाण्डा है।
  • विगत् 500 वर्षों में विलुप्त विश्व संरक्षण मॉनीटरिंग केंद्र के अनुसार लगभग 533 जन्तु प्रजातियाँ, 434 पादप प्रजातियाँ हैं।
  • विलुप्तिकरण तीन प्रकार का होता है :
    • 1. प्राकृतिक
    • 2. समूह एवं 
    • 3. मानवीय। 

वन से विलुप्त (EW) 

वे प्रजातियाँ जिन्हें अपने प्राकृतिक आवासों में नहीं पाया गया परन्तु उन्हें कृत्रिम आवासों या चिड़ियाघरों में संरक्षित किया गया, वन से विलुप्त प्रजातियाँ कहा गया।

अति संकटग्रस्त (CE) 

विश्व में जीव-जंतुओं की कुछ ऐसी प्रजातियाँ हैं जो पूरी तरह विलुप्त नहीं हुई हैं परन्तु विलुप्तता के कगार पर हैं अति संकटग्रस्त प्रजातियाँ कही जाती हैं। वे प्रजातियाँ जो अति संकटग्रस्त हैं।

यदि 10 वर्षों में प्रजाति की जनसंख्या में 90% से अधिक कमी दर्ज की जाए। प्रजाति की जनसंख्या 250 से कम हो और 3 वर्षों में 25% की कमी आ रही हो। मात्र 50 या उससे कम परिपक्व सदस्य संख्या शेष हो । दस वर्षों में 50% तक प्रजातियों के विलुप्त होने की प्रायिकता हो । गंभीर संकटग्रस्त प्रजातियाँ विलोपन के अत्यधिक नजदीक की श्रेणी हैं।

संकटापन्न (EN) 

किसी प्रजाति को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा जाता है - जब 10 वर्षों में प्रजातियों की 70 प्रतिशत जनसंख्या में कमी देखी जाती है या दर्ज की जाती है। केवल 250 या उससे कम परिपक्व सदस्य संख्या शेष हो। 20 वर्षों में 20% प्रजाति के विलुप्त होने की आशंका हो । गंगा डॉल्फिन, लाल पाण्डा, एशियाई शेर, बंगाल टाइगर, नीलगिरि ताहर, सुनहरा लंगूर, हिम तेंदुआ, पैंगोलिन, इल्ड का हिरण आदि प्रमुख संकटापन्न प्रजातियाँ हैं।

संवेदनशील (VU) 

वे प्रजातियाँ जिनकी संख्या में 10 वर्षों में 50% से अधिक कमी दर्ज की गयी हो। केवल 1000 या उससे कम परिपक्व सदस्यों की संख्या शेष हो । प्रजातियों की जनसंख्या 10000 से कम हो और 10 वर्षों के अंदर 10 प्रतिशत की कमी आयी हो ।
इस श्रेणी में प्रमुख प्रजातियाँ हैं- चीता, सांभर, क्लाउडेड तेंदुआ, चार सींग वाला मृग, बारहसिंगा, संगमरमर के रंग की बिल्ली आदि।

संकट के निकट (NT) 

वे प्रजातियाँ जो संकट के निकट हों। इस श्रेणी में आने वाले जन्तु - तेंदुआ, काला हिरण, हिमालयन ताहर आदि हैं।
काला हिरण आन्ध्र प्रदेश राज्य का राजकीय पशु है।

संकटमुक्त (LC) 

इस श्रेणी में आने वाली प्रजातियाँ कम संकटग्रस्त होती हैं। चिंकारा, नीलगाय, कैब खाने वाला बंदर, अंडमानी जंगली सुअर, भौंकने वाला बंदर आदि जंगली जन्तु हैं जो अधिकतम क्षेत्रों में पाये जाते हैं।

आँकड़ों का अभाव 

इस श्रेणी में आने वाली प्रजातियों के विषय में आँकड़ों की कमी से उनके संरक्षण की दशा का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पर्याप्त आँकड़ों के अभाव के कारण जातियों के विलुप्त होने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

अनाकलित (NE) 

इसके अंतर्गत वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो IUCN द्वारा आकलित न की गयी हों।
विश्व की प्रमुख संकटग्रस्त प्रजातियाँ
अफ्रीका अफ्रीकी हाथी, काला गैंडा, लीमर, शुतुरमुर्ग
एशिया एशियाई हाथी, भीमकाय पांडा, बर्फीला
ऑस्ट्रेलिया भूरे रंग का कंगारू, बोम्बेट
यूरोप इम्पीरियल गरुड़
उत्तरी अमेरिका फ्लोरिडा पैंथर, चितला उल्लू
दक्षिणी अमेरिका काला शेर, चिनचिल्ला, टमरिन
अटलांटिक महासागर नीली हेल, रिडले कछुआ
प्रशांत महासागर मॉक-सील नीली ह्वेल, गालापगोस कछुआ।

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