वैश्विक जैव विविधता | Global Biodiversity

वर्तमान समय में पृथ्वी पर लगभग 1.9 मिलियन विद्यमान प्रजातियों का वर्णन किया जा चुका है। वैश्विक जैव विविधता विलुप्तता और प्रजातिकरण से प्रभावित है।
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Global Biodiversity

वैश्विक जैव विविधता

(Global Biodiversity)
  • वर्तमान धरातलीय एवं पर्यावरणीय दशायें अत्यंत विषम एवं विशिष्ट हैं। 
  • वर्तमान समय में पृथ्वी पर लगभग 1.9 मिलियन विद्यमान प्रजातियों का वर्णन किया जा चुका है। 
  • वैश्विक जैव विविधता विलुप्तता और प्रजातिकरण से प्रभावित है।
  • दस लाख प्रजातियों में एक प्रजाति हर वर्ष विलुप्त हो रही हैं।
  • पृथ्वी पर जैव विविधता दिन-ब-दिन अजैविक तत्वों के द्वारा कम हो रही है। 
  • जैव विविधता को प्रभावित करने वाले कारकों में 40% वनों और बर्फ रहित स्थान को कृषि भूमि या चारागाह में बदल दिया गया है।
  • जलवायु परिवर्तन, अति उपभोग, हमलावर प्रजातियाँ और प्रदूषण जैव विविधता को प्रभावित करने वाले अन्य कारक हैं।
पृथ्वी पर जैव विविधता
जानवर - 12.72 लाख प्रजातियाँ
कीट - 15.33 लाख प्रजातियाँ
पादप - 2.70 लाख प्रजातियाँ
कवक - 0.72 लाख प्रजातियाँ
शैवाल - 0.40 लाख प्रजातियाँ
प्रोटोजोआ - 30,800 हजार प्रजातियाँ
जीवाणु - 4,800 हजार प्रजातियाँ
विषाणु - 1,500 हजार प्रजातियाँ
  • जीवित ग्रहीय सूचकांक (LPI) संख्या आधारित सूचकांक है जो कि बहुत से कशेरुकियों प्रजातियों में से अलग-अलग सूचकांक तैयार करता है।
  • लाल सूची सूचकांक (Red List Index) जो इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जरवेशन ऑफ नेचर (IUNC) के द्वारा प्रकाशित होती है। 
  • प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति के लिए इण्टरनेशनल यूनियन फॉर द कन्जरवेशन ऑफ नेचर विश्व का मुख्य अधिकारी है, इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य में ब्रिटेन, (यू. के.) है। यह देश के क्षेत्रीय लाल सूची उपलब्ध कराता है। पूरे पृथ्वी पर जैव विविधता में भिन्नता पायी जाती है।
  • पृथ्वी तल पर स्थलाकृति विभिन्नता के साथ-साथ जलवायुवीय विभिन्नता भी है। इस विभिन्नता के साथ ही जैव विविधता को विश्व स्तर पर निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है - 
    • (i) अत्यधिक जैव विविधता वाला जोन 
    • (ii) अधिक जैव विविधता वाला जोन 
    • (iii) कम जैव विविधता वाला जोन 
    • (iv) निम्न जैव विविधता वाला जोन

अत्यधिक जैव विविधता वाला जोन 

  • इस प्रकार के जैव विविधता वाले जोन में उष्णकटिबंधीय स्थलीय एवं जलीय भाग को सम्मिलित किया गया है। 
  • पर्वतीय क्षेत्रों में उच्चतर चोटियों की तुलना में निम्नतर घाटियों में जैव विविधता सामान्यतः अधिक होती है।
  • इन्हें निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है, 
    • (I) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन 
    • (II) प्रवाल भित्तियाँ 
    • (III) आर्द्र भूमियाँ 
    • (IV) उष्ण कटिबन्धीय सागरीय क्षेत्र 
  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन जो विश्व के लगभग 13% भू-भाग पर फैला है। 
  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन में विश्व की 80 प्रतिशत ज्ञात प्रजातियाँ विद्यमान हैं।
  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन क्षेत्र में संसार की 50 प्रतिशत से अधिक ज्ञात पादप जातियाँ उपलब्ध हैं। 
  • प्राणियों, जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों को जैव विविधता का भण्डार कहा जाता है। 
  • प्रवाल भित्तियाँ वर्तमान में लगभग 100 से भी अधिक देशों में पायी जाती है। 
  • प्रवाल भित्तियाँ 'समुद्रों के वर्षा वन' उपमा से सम्बोधित की जाती है। 
  • विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में है।
  • इस समय लगभग 109 देशों में प्रवाल भित्तियाँ पायी जाती हैं। 
  • जल एवं स्थल दोनों के गुणों से सम्पन्न आर्द्र भूमि कहलाती है।
  • आर्द्र भूमियाँ जल विविधता की दृष्टि से मजबूत  होती हैं।
  • सागर तटीय आर्द्र भूमि में वन्य जीवों और पक्षियों का अधिक संख्या में विकास होता है।
  • भारत में सुन्दर वन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव है जिसमें सुन्दरी नाम वाले वृक्ष पाये जाते हैं।
  • उष्ण कटिबन्धीय सागरीय क्षेत्र में तापमान अधिक और वर्षा भी अधिक होती है।
  • उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की जैव विविधता कम होती है।
  • उष्ण कटिबन्धीय सागरीय क्षेत्र में समुद्री जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों के विकास के अनुकूल  परिस्थितियाँ उपलब्ध हैं।

अधिक जैव विविधता वाला जोन

  • इस जोन के अंतर्गत पश्चिमी यूरोप, मानसूनी प्रदेशों घास के मैदानों आदि को सम्मिलित किया गया है। 
  • मानसूनी प्रदेशों में भारी वर्षा एवं छोटी शीत ऋतु से मौसम में विभिन्नता की वजह से अनेक प्रकार के जीव-जंतुओं का विकास हुआ है।
  • जलीय और सागरीय क्षेत्रों में भी अनेक वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। 
  • हम जैसे-जैसे तटों के आन्तरिक भागों में जाते हैं, वर्षा की मात्रा में कमी की वजह से घास के मैदानों का विकास सम्भव हुआ। प्रेयरीज, वेल्ड, पम्पास, स्टेपी, डाउन्स आदि छोटे पादप भी मिलते हैं। 
  • उत्तरी अटलांटिक महासागर का सारगैसो सागर अपनी वनस्पति 'सारगेसम' नामक घास के लिए विख्यात है। 
  • जापान का तटीय क्षेत्र, डागर बैंक आदि प्लैंकटन वनस्पति हेतु भिन्न-भिन्न मछलियों आदि। अन्य जन्तुओं का निवास स्थान है। 
  • पश्चिमी यूरोप की जलवायु शीतोष्ण महासागरीय जलवायु है। 
  • भारत के मालाबार तट एवं असम के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सघन जंगल हैं। पीपल,  जामुन, बरगद, नीम, शीशम, साखू, पलाश, आम आदि के पेड़ पाये जाते हैं।
  • हाथी, सियार, तेंदुआ, चीता, शेर, जंगली भैंसा, हिरन, गैंडा आदि पशु एवं नाना प्रकार के पक्षी मिलते हैं। 

कम जैव विविधता वाला जोन

  • कम जैव विविधता वाले जोन में जलवायु प्रतिकूल होने के कारण संसार का वृहद् क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से बहुत कमजोर है। 
  • इस जोन में कोणधारी वन पाये जाते हैं। इसमें उपध्रुवीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है। 
  • सहारा मरुस्थल (गर्म), अरब ईरान तुरान मरुस्थल (गर्म), थार मरुस्थल (गर्म), पेरागोणीया मरुस्थल (शीत), गोबी (मरुस्थल) आदि इस जोन में शामिल हैं।

निम्न जैव विविधता वाला जोन

  • निम्न जैव विविधता वाला जोन वर्षा बर्फ के रूप  में जन्तु एवं वनस्पति विज्ञान के लिए प्रतिकूल माना जाता है।
  • इस जोन में गर्मी के समय हिम द्रवण होता है जिससे छोटी-छोटी वनस्पतियाँ और जीव-जन्तु पैदा होते हैं।

Remember!

  • जैव विविधता के कम होने का मुख्य कारण है। - आवासीय विनाश
  • कौन-सी ड्रग गिद्धों की समष्टि में हास के लिए "उत्तरदायी प्रतिवेदित की गयी है? - डिक्लोफिनेक सोडियम
  • डुगोन्ग नामक समुद्री जीव जो कि विलोपन के कगार पर है, क्या है? - स्तनधारी (मैमल)
  • भारत में जैव विविधता की दृष्टि से संतृप्त क्षेत्र है - पश्चिमी घाट
  • रेड डाटा बुक का सम्बन्ध है -विलुप्ति के संकट से ग्रस्त जीव - जन्तुओं से 
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