जैव विविधता अभिसमय (Conventional on Biological Diversity - CBD)
1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में जैव विविधता अभिसमय एक है।
जैव विविधता अभिसमय
(Conventional on Biological Diversity - CBD)
- 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में जैव विविधता अभिसमय एक है।
- इस समझौते में जैव विविधता से सम्बन्धित सभी बिन्दुओं को सम्मिलित किया गया।
- भारत सीबीडी का एक पक्षकार है। जिसने 5 मई, 1992 को इस पर हस्ताक्षर किया ।
- 29 दिसम्बर, 1993 को यह संधि निम्नलिखित तीन लक्ष्यों के साथ चरितार्थ हुई –
- (i) जैव - विविधता का संरक्षण,
- (ii) जैव विविधता घटकों का सतत् उपयोग,
- (iii) आनुवांशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी।
जैव विविधता अभिसमय के तीन बिन्दु
जैव विविधता के संरक्षण के लिए अपनाये गये तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं-
- कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल
- CBD के अन्तर्गत COP-10
- आइची लक्ष्य
कार्टाजेना जैवसुरक्षा प्रोटोकॉल
(Cartagena Biodiversity Protocol)
- यह प्रोटोकॉल 11 सितम्बर, 2003 को लागू किया गया।
- वर्तमान समय में 170 देश इस प्रोटोकॉल के पक्षकार हैं जिसमें 103 हस्ताक्षर करने वाले हैं।
- यह संधि आधुनिक जैव तकनीकी के निम्न पहलुओं पर विचार करती है
- सदस्य राष्ट्र को जब यह एहसास होता है कि कोई जेनेटिक बीज या पशु आदि उनके पर्यावरण अथवा उत्पाद को नुकसान पहुंचाते हैं तो उसे प्रतिबंधित कर सकते हैं ।
- जेनेटिक रूप से सुधारे गये उत्पादों के पैकेट पर उत्पादक के विषय में विवरण लिखना जरूरी होगा।
CDB के अन्तर्गत COP-10
- कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) जैव विविधता सम्मेलन की गवर्निंग बॉडी है।
- 1992 से सीओपी की अब तक 10 बैठकें आयोजित हो चुकी हैं।
- Cop-11 के तीन घटक हैं। पहले 1 से 5 अक्टूबर, 2012 के मध्य, दूसरा 8 से 19 अक्टूबर, 2012 के मध्य, तीसरा 16 से 19 अक्टूबर के मध्य हुआ।
- जैव सुरक्षा पर कार्टाजन प्रोटोकॉल को वर्ष 2000 में स्वीकृत किया गया और वर्ष 2010 में पहुँचकर लाभ के लिए भागीदार पर नागोया प्रोटोकॉल को मंजूर किया गया।
नगोया प्रोटोकॉल
- 24 अक्टूबर, 2010 को नगोया जापान में संयुक्त राष्ट्र देशों ने जेनेरिक संसाधनों की हिस्सेदारी पर समझौता किया ।
- वर्ष 2010 में नगोया में जंगलों, कोरल रीफ और जैव विविधता की रक्षा के लिए ऐतिहासिक संधि हुई थी।
- संधि के अनुसार जैविक विविधता को बचाने के लिए 17 प्रतिशत भू-क्षेत्र और 10 प्रतिशत समुद्र की सुरक्षा करना है। भारत ने नगोया संधि को स्वीकार किया है।
- भारत अनुपूरक प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन करने वाले देशों में सम्मिलित है।
आईची लक्ष्य (Aichi Target)
- वर्ष 2011 से 2020 तक की दसवर्षीय रणनीति 3. का नाम आईची लक्ष्य रखा गया है।
- आइची में कुल 20 महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को शामिल किया गया है।
- 2020 तक जैव विविधता संरक्षण निश्चित करते हुए कृषि, जलकृषि और वानिकी को सतत् रूप से प्रबंधित करना है।
- 2020 तक संकटग्रस्त प्रजातियों को विलोपन से बचाने का लक्ष्य है।
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