अधिगम या प्रशिक्षण-स्थानान्तरण | Transfer of Learning or Training

'किसी सीखी हुई क्रिया या विषय का अन्य परिस्थितियों में उपयोग करने से है ।

Transfer-of-Learning-or-Training

स्थानान्तरण का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Transfer)

सीखने के या प्रशिक्षण के स्थानान्तरण से अभिप्राय 'किसी सीखी हुई क्रिया या विषय का अन्य परिस्थितियों में उपयोग करने से है। इसे इस तरह से भी स्पष्ट किया जा सकता है कि अर्जित ज्ञान का अन्य विषयों तथा क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है।

अधिगम या प्रशिक्षण-स्थानान्तरण का सामान्य अर्थ 

किसी विषय को सीखने से उपलब्ध होने वाले ज्ञान या किसी कार्य का अभ्यास करने से प्राप्त होने वाले प्रशिक्षण का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना। बालक, विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ना सीखता है और बड़ा होने पर दूसरों से बातचीत या पत्र-व्यवहार करने में उसका प्रयोग करता है। बालिका निरन्तर अभ्यास करके नृत्य में प्रशिक्षण प्राप्त करती है और बड़ी होने पर नर्तकी के रूप में रंगमंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करती है। हम विद्यालय में जोड़, बाकी, गुणा आदि सीखते हैं और उस ज्ञान का प्रयोग बाजार में चीजें खरीदते समय करते हैं। इन सब उदाहरणों में अधिगम या प्रशिक्षण-स्थानान्तरण का विचार निहित है।
हम स्थानान्तरण के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषाएँ दे रहे हैं-

सोरेन्सन

स्थानान्तरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, प्रशिक्षण और आदतों का दूसरी परिस्थिति में स्थानान्तरित किए जाने का उल्लेख करता है।"

क्रो व क्रो

"सीखने के एक क्षेत्र में प्राप्त होने वाले जान या कुशलताओं का और सोचने, अनुभव करने या कार्य करने की आदतों का सीखने के दूसरे क्षेत्र में प्रयोग करना साधारणतः प्रशिक्षण का स्थानान्तरण कहा जाता है।"

शैक्षिक अनुसंधान विश्वकोश-

"अधिगम एक विशेष प्रकार के अन्तर रूप पर लागू है। इसमें अधिगम तथा परीक्षण की दशाओं में बहुत समानता रहती है"

कोलेसनिक-

"स्थानान्तरण, पहली परिस्थिति से प्राप्त ज्ञान कुशलता, आदतों, अभियोग्यताओं या अन्य क्रियाओं का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना है।"

इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने से यह स्पष्ट है-
1. अधिगम या सीखने का स्थानान्तरण एक सोद्देश्य क्रिया है।
2. इस क्रिया में पहले से सीखे हुए ज्ञान तथा कौशल का अन्य परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है।
3. इस स्थानान्तरण से समायोजन में सहायता मिलती है।
4. सूझ या अन्तर्दृष्टि का विकास होता है।

स्थानान्तरण के प्रकार (KINDS OF TRANSFER)

प्रशिक्षण-स्थानान्तरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है-
(1) सकारात्मक और 
(2) नकारात्मक।

सकारात्मक प्रशिक्षण-स्थानान्तरण (Positive Transfer of Training)

यदि पूर्व ज्ञान, अनुभव या प्रशिक्षण नये प्रकार के सीखने में सहायता देता है, तो उसे सकारात्मक प्रशिक्षण-स्थानान्तरण कहते हैं; उदाहरणार्थ, जो व्यक्ति स्कूटर चलाना जानता है, उसे मोटर-साइकिल चलाने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

नकारात्मक प्रशिक्षण-स्थानान्तरण (Negative Transfer of Training)

यदि पूर्व ज्ञान, अनुभव या प्रशिक्षण नये प्रकार के सीखने में कठिनाई उपस्थित करता है, तो उसे नकारात्मक प्रशिक्षण-स्थानान्तरण कहते हैं; उदाहरणार्थ, मोटर-साइकिल के मेकेनिक को स्कूटर की मरम्मत करने में कठिनाई का अनुभव होता है।

स्थानान्तरण के सिद्धान्त (Theories of Transfer)

प्रशिक्षण-स्थानान्तरण के मुख्य सिद्धान्त अधोलिखित है:-

मानसिक शक्तियों का सिद्धान्त (Theory of Mental Faculties)

भाराक्षण-स्थानान्तरण का यह सबसे पुराना सिद्धान्त है। गेट्स एवं अन्य (Gates and others) के अनुसार, इस सिद्धान्त का अर्थ यह है- तर्क, ध्यान, स्मृति, कल्पना आदि मानसिक शक्तियाँ एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं। अत: उनको स्वतंत्र रूप से प्रशिक्षित करके सबल बनाया जा सकता है। आधुनिक मनोविज्ञान मस्तिष्क की शक्तियों के विभाजन को स्वीकार नहीं करता है। अतः इस सिद्धान्त की मान्यता गई है।

औपचारिक मानसिक प्रशिक्षण का सिद्धान्त (Theory of Formal Mental Discipline)

गेट्स एवं अन्य (Gates and Others) ने इस सिद्धान्त का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है-मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षण के द्वारा समान और समग्र रूप में विकसित करके किसी भी परिस्थिति में कुशलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है। व्यावहारिक जीवन में यह बात सत्य की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है, क्योंकि न तो डाक्टर को इंजीनियर और न कलाकार को दार्शनिक बनते हुए देखा जाता है। गेट्स ( Gates) ने ठीक लिखा है-"स्थानान्तरण के तथ्यों की मानसिक शक्तियों की सामान्य और चतुर्मुखी उन्नति के आधार पर व्याख्या नहीं की जा सकती है।" फलस्वरूप 19वीं शताब्दी का यह सिद्धान्त आज अपनी लोकप्रियता खो चुका है।

समान तत्वों का सिद्धान्त (Theory of Similar Elements) 

इस सिद्धान्त का प्रतिपादक, थार्नडाइक (Thorndike) है। इसका स्पष्टीकरण करते हुए क्रो एवं क्रो (crow and Crow) ने लिखा है-"समान तत्वों के सिद्धान्त के अनुसार, एक स्थिति दूसरी स्थिति को स्थानान्तरण उसी अनुपात में होता है, जिसमें दोनों स्थितियों को विषय-सामग्री, दृष्टिकोण, विधि या उद्देश्य के तत्वों में समानता होती है।" दूसरे शब्दों में, दो कार्यों, विषयों, अनुभवों आदि में जितनी अधिक समानता होती है, उतनी ही अधिक वे एक-दूसरे के अध्ययन में सहायता देते हैं; उदाहरणार्थ, भूगोल का ज्ञान, इतिहास के अध्ययन में सहायता दे सकता है पर कला या विज्ञान के अध्ययन में नहीं।

सामान्यीकरण का सिद्धान्त (Theory of Generalization)

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक सी. एच. जड (C. H. Judd, Educational Psychology ) ने सामान्यीकरण के अर्थ पर प्रकाश डालते हुए लिखा है-"जब एक छात्र, विज्ञान के किसी विषय के सामान्य सिद्धान्त को भली प्रकार समझ जाता है, तब उसमें अपने प्रशिक्षण की दूसरी स्थितियों में स्थानान्तरित करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है।" यदि एक व्यक्ति अपने किसी कार्य, ज्ञान या अनुभव से कोई सामान्य नियम या सिद्धान्त निकाल लेता है, तो वह दूसरी परिस्थिति में उनका प्रयोग कर सकता है, उदाहरणार्थ, यदि शिक्षक को बाल-मनोविज्ञान, सीखने के सिद्धान्तों और व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान है, तो वह अपने इस ज्ञान का प्रयोग कक्षा की समस्याओं का समाधान करने और सफलतापूर्वक पढ़ाने के लिए कर सकता है।

सामान्य व विशिष्ट तत्वों का सिद्धान्त (Theory of 'G' and 'S' Factors)

इस सिद्धान्त का प्रतिपादक स्पीयरमैन (Spearman) है। उसके अनुसार, मनुष्य में दो प्रकार की बुद्धि होती है-सामान्य (General) और विशिष्ट (Specific) जिनका सम्बन्ध सामान्य योग्यता और विशिष्ट योग्यता से होता है स्थानान्तरण केवल सामान्य योग्यता का होता है, उदाहरणार्थ, यदि बालक-भूगोल, गणित, विज्ञान आदि किसी विषय का अध्ययन करता है, तो वह केवल अपनी सामान्य योग्यता का ही स्थानान्तरण करता है। भाटिया के अनुसार-"विशिष्ट योग्यताओं का स्थानान्तरण नहीं होता है, पर सामान्य योग्यता का कुछ होता है।" 

स्थानान्तरण की दशाएँ (Conditoions of Transfer)

सीखने का स्थानान्तरण, सहसा नहीं होता। कई बार ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जबकि किसी विशेष परिस्थिति का ज्ञान या कौशल हमारे पास नहीं होता। तब पूर्व अर्जित ज्ञान या कौशल का उपयोग विकल्प के रूप में किया जाता है।
रेय्बुर्ण का कथन है-"स्थानान्तरण, निश्चित परिस्थितियों में निश्चित मात्रा में हो सकता है।"

इस कथन का अभिप्राय यह है कि स्थानान्तरण पूर्ण रूप से न होकर केवल एक निश्चित मात्रा में होता है। यह भी उसी समय सम्भव है, जब स्थानान्तरण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हों। ये परिस्थितियाँ या शर्तें निम्नलिखित हैं।

सीखने वाले की इच्छा (Learner's Will)

स्थानान्तरण, सीखने वाले की इच्छा पर निर्भर रहता है। मर्सेल (Mursell) का कथन है-"किसी नई परिस्थिति की अधिगम-स्थानान्तरण की एक अनिवार्य शर्त है कि सीखने वाले में उसे हस्तान्तरित करने की इच्छा अवश्य होनी चाहिए।"

सीखने वाले की शैक्षिक योग्यता (Learner's Educational Achievement) 

सीखने वाले का ज्ञान और शैक्षिक योग्यता जितने अधिक होते हैं, उतनी ही अधिक उसमें स्थानान्तरण की क्षमता होती है। उसके इस ज्ञान और शैक्षिक योग्यता की आधारभूत शर्त यह है कि उसने विषय या विषयों का अध्ययन सोच-समझकर किया हो, रटकर नहीं। रटकर प्राप्त किए जाने वाले ज्ञान का स्थानान्तरण प्राय: असम्भव है। मर्सेल ने ठीक ही लिखा है-"जब हम किसी बात को वास्तव में सीख लेते हैं, तभी उसका स्थानान्तरण कर सकते हैं।"

सीखने वाले की सामान्य बुद्धि (Learner's General Intelligence)

सीखने वाले में जितनी अधिक सामान्य बुद्धि होती है, उतना ही अधिक स्थानान्तरण करने में वह सफल होता है। गैरेट (Garrett) के अनुसार-हाई स्कूल में अध्ययन करने वाले सामान्य बुद्धि के सर्वश्रेष्ठ छात्रों में निम्नतम सामान्य बुद्धि के छात्रों की अपेक्षा स्थानान्तरण करने की योग्यता 20 गुना अधिक होती है।

सीखने वाले की सामान्यीकरण करने की योग्यता ( Learner's Ability to Generalize)

सामान्यीकरण की योग्यता, स्थानान्तरण की मुख्य शर्त है। सीखने वाले में अपने कार्यों और अनुभवों के जितने अधिक सामान्य सिद्धान्त निकालने की योग्यता होती है, उतना ही अधिक स्थानान्तरण करने में वह सफल होता है। इसकी पुष्टि में हम रायबर्न (Ryburn) के इन शब्दों का उल्लेख कर सकते हैं-"स्थानान्तरण उसी सीमा तक होता है, जिस सीमा तक सामान्यीकरण किया जाता है।"

समान अध्ययन-विधियाँ (Identical Methods of Study)

यदि दो विषयों की अध्ययन-विधियाँ समान हैं, तो स्थानान्तरण कुछ सीमा तक सम्भव है। जो छात्र, विज्ञान का अध्ययन करते समय तथ्यों की खोज, प्रमाणों के संकलन और परिणामों की जाँच करने की विधियों का प्रयोग करता है, वह इतिहास का अध्ययन करते समय अपने इस ज्ञान का थोड़ा-बहुत स्थानान्तरण अवश्य कर सकता है। भाटिया (Bhatia) के शब्दों मैं-"जिन विषयों की अध्ययन-विधियाँ समान होती हैं, उनमें थोड़ा, पर वास्तविक स्थानान्तरण होता है।"

समान विषय-वस्तु (Identical Subject-matter)

यदि दो विषय समान हैं, तो स्थानान्तरण अत्यधिक होता है। पर यदि उनमें किसी प्रकार की समानता नहीं होती है, तो स्थानान्तरण बिल्कुल नहीं होता है; उदाहरणार्थ, गणित का ज्ञान भौतिकशास्त्र के अध्ययन में अत्यधिक योग देता है। इसके विपरीत, इंजीनियरिंग का ज्ञान दर्शनशास्त्र के अध्ययन में किसी प्रकार की सहायता नहीं देता है। भाटिया (Bhatia) का यह कथन सत्य है-"यदि दो विषय पूर्ण रूप से समान हैं, तो 100 प्रतिशत स्थानान्तरण हो सकता है। यदि विषय बिल्कुल भिन्न हैं, तो तनिक भी स्थानान्तरण न होना सम्भव है।"

विषयों के स्थानान्तरण का गुण (Transfer Value of Subjects) 

गर्रेत्त (Garrett) ने लिखा है-"विद्यालय- विषयों में स्थानान्तरण के गुण में विभिन्नता होती है।"(School subjects differ in transfer value.) उदाहरणार्थ, भाषाओं और सामाजिक विज्ञानों की अपेक्षा गणित और विज्ञान में स्थानान्तरण का गुण अधिक होता है। इसके विपरीत, इतिहास और अंग्रेजी साहित्य में स्थानान्तरण का गुण नहीं होता है। अतः प्रकार के विषयों का अध्ययन करने वाला अपने ज्ञान का स्थानान्तरण नहीं कर पाता है।

स्थानान्तरण में प्रशिक्षण (Training in Transfer)

यदि सीखने वाले को स्थानान्तरण का प्रशिक्षण दिया गया है, तो उसमें स्थानान्तरण करने की क्षमता का विकास हो जाता है; उदाहरणार्थ, यदि शिक्षक-छात्रों को प्रत्येक सम्भव अवसर पर स्वच्छता, व्यवस्था ईमानदारी आदि का महत्व बताता रहता है, तो वे अपने सब कार्यों में इन गुणों का परिचय देने लगते हैं। इसीलिए, गैरेट ने लिखा है-"विद्यालय कार्य में स्थानान्तरण की सर्वोत्तम विधि है-स्थानान्तरण की शिक्षा देना।"

अधिगम-स्थानान्तरण में शिक्षक की भूमिका (Teacher's role in transfer of learning)

शिक्षक, कक्षा में ज्ञान देता है, कौशल, अनुप्रयोग, निर्णय शक्ति आदि गुणों को विकसित करता है, अत: सीखने के स्थानान्तरण के कौशल का विकास छात्रों में किया जाना आवश्यक है।

फ्रेंडसन के शब्दों में-"स्थानान्तरण, अधिगम की कुशलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला व्यापक कारक है।"

इस उद्धरण से स्पष्ट होता है कि बालकों की अधिगम - कुशलता में वृद्धि करने के लिए उनको स्थानान्तरण से पूर्णतया परिचित कराया जाना आवश्यक है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षक को ये कार्य करने चाहिए।
 

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला पहला कारक (तत्व) है।

सामान्यीकरणे अतः शिक्षक को बालकों को अपने अध्ययन के विषयों के सामान्य सिद्धान्त निकालने की विधियाँ बतानी चाहिए। 

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला दूसरा कारक है।

अर्जित ज्ञान का विभिन्न परिस्थितियों में प्रयोग। अतः शिक्षक को बालकों को अपने ज्ञान का प्रयोग करने के लिए अधिक-से-अधिक परिस्थितियाँ प्रदान करनी चाहिए। 

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला तीसरा कारक है।

समझदारी। अति: शिक्षक को बालक में इस गुण का विकास करने का प्रयत्न करना चाहिए।

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला चौथा कारक है।

विषयों की समानता। अतः शिक्षक को अपने शिक्षण के समय पाठ्य-विषय में आने वाले तथ्यों की दूसरे विषयों के तथ्यों में समानता बतानी चाहिए। साथ ही, उसे बालकों को इस प्रकार की समानता की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
 

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला पाँचवाँ कारक है।

अध्ययन की विधियाँ। अतः शिक्षक को बालकों को अध्ययन की सर्वोत्तम विधियाँ बतानी चाहिए।

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला छठा कारक है।

बालकों की मानसिक योग्यता। अतः शिक्षक को प्रत्येक सम्भव विधि से उनकी मानसिक योग्यता के विकास में योग देना चाहिए।

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला सातवाँ कारक है।

बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताएँ। अतः शिक्षक को इन विभिन्नताओं के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्माण और शिक्षण-विधियों का चयन करना चाहिए।

स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण आठवाँ कारक है।

स्थानान्तरण में प्रशिक्षण। अत: शिक्षक को बालकों को यह प्रशिक्षण नियमित रूप से देना चाहिए। स्किनर के शब्दों में-"अधिगम स्थानान्तरण की शिक्षा के लिए विचारपूर्ण तैयारी और पाठों के विकास की आवश्यकता है।" 

इन सभी तथ्यों से यह स्पष्ट है कि अधिगम के स्थानान्तरण के लिये शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को स्पष्ट रूप से ज्ञान दे। विषयों का चयन कराने में छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नताओं का ध्यान रखे। पढ़ाते समय समन्वय (Correlation) का ध्यान रखे। चिन्तन शक्ति विकसित करे तथा छात्रों को दिये जाने वाले ज्ञान व कौशल का विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग करते रहने की प्रेरणा दे।

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इस Blog का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों को अधिक से अधिक जानकारी एवं Notes उपलब्ध कराना है, यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया गया है।