अवधान व रुचि | Attention and Interest

हम जीवन में अनेक प्रकार की वस्तुएँ देखते हैं। कुछ के विषय में सुनते हैं। और कुछ की ओर आकर्षित होते हैं तथा कुछ की ओर हमारा ध्यान अनायास ही चला जाता..

अवधान व रुचि (Attention and Interest)

अवधान का अर्थ व परिभाषा (MEANING AND DEFINITION OF ATTENTION)

हम जीवन में अनेक प्रकार की वस्तुएँ देखते हैं। कुछ के विषय में सुनते हैं। और  कुछ की ओर आकर्षित होते हैं तथा कुछ की ओर हमारा ध्यान अनायास ही चला जाता है। ये सभी व्यवहार अवधान कहलाते हैं।

'चेतना' व्यक्ति का स्वाभाविक गुण है। चेतना के ही कारण उसे विभिन्न वस्तुओं का ज्ञान होता है। यदि वह कमरे में बैठा हुआ पुस्तक पढ़ रहा है, तो उसे वहाँ की सब वस्तुओं की कुछ-न-कुछ चेतना अवश्य होती है; जैसे-मेज, कुर्सी, अलमारी आदि। पर उसकी चेतना का केन्द्र वह पुस्तक है, जिसे वह पढ़ रहा है। चेतना के किसी वस्तु पर इस प्रकार केन्द्रित होने को 'अवधान' कहते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी वस्तु पर चेतना को केन्द्रित करने की मानसिक प्रक्रिया को 'अवधान' या 'ध्यान' कहते हैं।


Attention-and-Interest
Attention and Interest
Attention is always accompanied by interest. -Drummond and Mellone

अवधान के अर्थ को हम निम्नांकित परिभाषाओं से पूर्ण रूप से स्पष्ट कर सकते हैं 

1. डमविल

"किसी दूसरी वस्तु के बजाय एक ही वस्तु पर चेतना का केन्द्रीयकरण अवधान है।"
"Attention is the concentration of consciousness upon one object rather than upon another." -Dumville

2. रॉस

"अवधान, विचार की किसी वस्तु को मस्तिष्क के सामने स्पष्ट रूप से व्यस्थित करने की प्रक्रिया है।" Attention is a process of getting an object of thought clearly before the mind." -Ross 

3. वेलेन्टाइन

"अवधान, मस्तिष्क की शक्ति न होकर सम्पूर्ण रूप से मस्तिष्क 3. की क्रिया या अभिवृत्ति है।"
"Attention is not a faculty of the mind. It rather describe an attitude or activity of the mind." -Valentine.

4. मार्गन एवं गिलीलैंड

"अपने वातावरण के किसी विशिष्ट तत्व की और उत्साहपूर्वक जागरूक होना ध्यान कहलाता है। यह किसी अनुक्रिया के लिये पूर्व समायोजन है।"
"Attention is being keenly alive to some specific factor in our environment. It is a preparatory adjustment for a response." -Morgan and Gilliland

अवधान के पहलू (ASPECTS OF ATTENTION)

आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, अवधान में सचेत जीवन के तीन पहलू होते हैं-जानना, अनुभव करना और इच्छा करना ( Knowing, Feeling and Wiking)। किसी कार्य के प्रति ध्यान देते समय हमें उसका ज्ञान रहता है। हम रुचि के रूप में किसी भावना या संवेग से प्रेरित होकर, उसे करने में ध्यान लगाते हैं। जितनी देर हमारा ध्यान उस कार्य में लगा रहता है, उतनी देर हमारा मस्तिष्क क्रियाशील रहता है। इस प्रकार, जैसा कि भाटिया ने लिखा है-"अवधान-ज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावात्मक होता है।" 
"Attention is cognitive, conative, and effective." -Bhatia

अवधान की दशाएँ (CONDITIONS OF ATTENTION)

हम अनेक वस्तुओं को देखते हुए भी केवल एक ही ओर ध्यान क्यों देते हैं ? इसका कारण यह है कि अवधान को केन्द्रित करने में अनेक दशाएँ सहायता देती हैं। हम इनको दो भागों में बाँट सकते हैं-
(1) बाह्य या वस्तुगत दशाएँ, 
(2 ) आन्तरिक या व्यक्तिगत दशाएँ।

1. अवधान को केन्द्रित करने की बाह्य दशाएँ

गति (Movement)

स्थिर वस्तु के बजाय चलती हुई वस्तु की ओर हमारा ध्यान जल्दी आकर्षित होता है। बैठे या खड़े हुए मनुष्य के बजाय भागते हुए मनुष्य की ओर हमारा ध्यान शीघ्र जाता है।

अवधि (Duration)

हमें जिस वस्तु को देखने का जितना अधिक समय मिलता है, उस पर हमारा ध्यान उतना ही केन्द्रित होता है। इसीलिए, शिक्षक पाठ की मुख्य-मुख्य बातों को श्यामपट पर लिखते हैं। 

स्थिति (State)

हम प्रतिदिन के मार्ग पर चलते हुए बहुत-से मकानों के पास से गुजरते हैं, पर हमारा ध्यान उनकी ओर आकर्षित नहीं होता है। यदि किसी दिन हम उनमें से किसी मकान को गिरी हुई दशा या स्थिति में पाते हैं, तो हमारा ध्यान स्वयं ही उसकी ओर चला जाता है।

तीव्रता (Intensity)

जो वस्तु जितनी अधिक उत्तेजना उत्पन्न करती है उतना ही अधिक हमारा ध्यान उसकी ओर खिचता है। धीमी आवाज की तुलना में तेज आवाज हमारा ध्यान अधिक आकर्षित करती है। 

विषमता (Contrast) 

यदि हम सुन्दर व्यक्तियों के परिवार में किसी कुरूप व्यक्ति को देखते है तो हमारा ध्यान उसकी तरफ खिचता है।

नवीनता (Novelty)

हमारा ध्यान नवीन, विचित्र या अपरिचित बस्त की ओर अवश्य आकर्षित होता है। वर्दी पहने हुए सिपाही को नदी में नहाते देखकर हमारे नेत्र उस पर जम जाते हैं। 

आकार (Size)

हमारा ध्यान छोटी वस्तुओं की अपेक्षा बड़े आकार की वस्तुओं के लगाये जाने का कारण, उनकी ओर की और जल्दी जाता है। चौराहों पर बड़े-बड़े विज्ञापनों हमारे ध्यान को शीघ्र आकर्षित करना है।

स्वरूप (Form)

हमारा ध्यान अच्छे स्वरूप को वस्तुओं की ओर अपने-आप जाता है। जो वस्तु सुडौल, सुन्दर और अच्छी बनावट की होती है, उसे देखने की हमारी इच्छा स्वयं होती है। 

परिवर्तन (Change) 

विद्यालय में शोर होना साधारण बात है। पर यदि उसके किसी भाग में लगातार जोर का शोर होने के कारण वातावरण में परिवर्तन हो जाता है, तो हमारा ध्यान शोर की ओर अवश्य जाता है और हम उसका कारण भी जानना चाहते हैं, 

प्रकृति (Nature)

अवधान का केन्द्रीयकरण, वस्तु की प्रकृति पर निर्भर रहता है। छोटे बच्चों का ध्यान रंग-बिरंगी वस्तुओं के प्रति बहुत सरलता से आकर्षित होता है।

पुनरावृत्ति (Repetition)

जो बात बार बार दोहराई जाती है, उसकी ओर हमारा ध्यान जाना स्वाभाविक होता है। छात्रों के ध्यान को केन्द्रित रखने के लिए शिक्षक मुख्य-मुख्य बातों को दोहराता जाता है।

रहस्य (Secrecy)

अवधान का केन्द्रीयकरण किसी बात के रहस्य पर आधारित रहता है। यदि दो मनुष्य सामान्य रूप से बातचीत करते हैं, तो हमारा ध्यान उनकी और नहीं जाता है। पर यदि वे कोई गुप्त या रहस्यपूर्ण बात करने लगते हैं, तो हम कान लगाकर उनकी बात सुनने का प्रयास करते हैं।

2. अवधान को केन्द्रित करने की आन्तरिक दशाएँ

रुचि (Interest)

अवधान के केन्द्रीयकरण का सबसे मुख्य आधार हमारी रुचि है। इस सम्बन्ध में भाटिया (Bhatia) ने लिखा है-"व्यक्तिगत दशाओं को एक शब्द, 'रुचि' में व्यक्त किया जा सकता है। हम उन्हीं वस्तुओं की ओर ध्यान देते हैं, जिनमें हमें रुचि होती है। जिनमें हमको रुचि नहीं होती है, उनकी ओर हम ध्यान नहीं देते हैं।" 

ज्ञान (Understanding)

जिस व्यक्ति को जिस विषय का ज्ञान होता है, उस पर ध्यान सरलता से केन्द्रित होता है। कलाकार को कला की वस्तुओं पर ध्यान केन्द्रित करने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

लक्ष्य (Goal)

व्यक्ति जिस कार्य के लक्ष्य को जानता है, उस पर उसका ध्यान स्वतः केन्द्रित हो जाता है। परीक्षा के दिनों में छात्रों का ध्यान अध्ययन पर कैन्द्रित रहता है, क्योंकि इससे वे परीक्षा में उत्तीर्ण होने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

आदत (Habit)

अवधान के केन्द्रीयकरण का एक आधार व्यक्ति की आदत है। जिस व्यक्ति को चार बजे टेनिस खेलने जाने की आदत है, उसका ध्यान तीन बजे से ही उस पर केन्द्रित हो जाता है और वह खेलने जाने की तैयारी करने लगता है।

जिज्ञासा (Curiosity) 

व्यक्ति को जिस बात में जिज्ञासा होती है, उसमें  वह ध्यान अवश्य देता है। जिस व्यक्ति की टेस्ट मैचों के प्रति जिज्ञासा होती है, वह उसकी कमेंट्री अवश्य सुनता  है।

प्रशिक्षण (Training)

रेबर्न (Reyburn) के अनुसार अवधान केन्द्रीयकरण का एक आधार-व्यक्ति का प्रशिक्षण है। व्यक्ति का ध्यान उसी बात पर केन्द्रित होता है, जिसका प्रशिक्षण उसे प्राप्त होता है। पहाड़ पर साथ-साथ यात्रा करते समय चित्रकार का ध्यान सुन्दर स्थानों की ओर एवं पर्वतारोही का ध्यान पहाड़ की ऊँचाई की ओर जाता है।

मनोवृत्ति (Mood)

रैक्स एवं नाईट (Rex and Knight) के अनुसार-अवधान के केन्द्रीयकरण का एक आधार-व्यक्ति की मनोवृत्ति है। यदि मालिक अपने नौकर से किसी कारण से रुष्ट हो जाता है, तो उसका ध्यान नौकर के छोटे-छोटे दोषों की ओर भी जाता है; जैसे-वह देर से क्यों आया है ? वह मैले कपड़े क्यों पहिने हुए है।
 

वंशानुक्रम (Heredity) 

रेबर्न (Reyburn) के अनुसार-अवधान के केन्द्रीयकरण का एक आधार-व्यक्ति को वंशानुक्रम से प्राप्त गुणों पर निर्भर रहता है। शिकारी परिवार के व्यक्ति का ध्यान शिकार के जानवरों की ओर एवं धार्मिक परिवार के व्यक्ति का ध्यान मन्दिरों की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित होता है।

आवश्यकता (Need)

जो वस्तु, व्यक्ति की आवश्यकता को पूर्ण  करती है उसकी ओर उसका ध्यान जाना स्वाभाविक है। भूखे व्यक्ति का भोजन की ओर ध्यान जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 

मूल प्रवृत्तियाँ (Instincts)

रैक्स व नाईट (Rex and Knight) के अनुसार-अवधान के केन्द्रीयकरण का एक मुख्य आधार-व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियाँ हैं। यही कारण है कि विज्ञापनों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए काम-प्रवृत्ति का सहारा लिया जाता है। इसीलिए विज्ञापनों में, साधारणतः सुन्दर युवतियों के चित्र होते हैं।

पूर्व-अनुभव (Previous Experience)

यदि व्यक्ति को किसी कार्य को करने का पूर्व-अनुभव होता है, तो उस पर उसका ध्यान सरलता से केन्द्रित हो जाता है। जिस बालक को पर्वत का मॉडल बनाने का कोई अनुभव नहीं है, उस पर वह अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता है।

मस्तिष्क का विचार (Idea in Mind)

रेबर्न (Reybum) के अनुसार-हमारे मस्तिष्क में जिस समय जो विचार सर्वप्रथम होता है, उस समय हम उसी से सम्बन्धित बातों की ओर ध्यान देते हैं। यदि हमारे मस्तिष्क में अपने किसी रोग का विचार है, तो समाचार पत्र पढ़ते समय हमारा ध्यान औषधियों के विज्ञापनों की ओर अवश्य जाता है।

बालकों का अवधान केन्द्रित करने के उपाय (METHODS OF SECURING CHILDREN'S ATTENTION)

बी. एन. झा का कथन है-"विद्यालय-कार्य की एक मुख्य समस्या सदैव अवधान की समस्या रही है। इसीलिए, नये शिक्षक को प्रारम्भ में यह आदेश दिया जाता है-कक्षा के अवधान को केन्द्रित रखिए'।"
"The problem of attention has been one of the foremost problems of school work. 'Get the attention of the class' is therefore the preliminary instruction for the new teacher." -B. N. Jha

कक्षा या बालकों के अवधान को केन्द्रित करने या रखने के लिए निम्नलिखित उपायों को प्रयोग में लाया जा सकता है

शान्त वातावरण (Calm Environment)

कोलाहल, बालों के ध्यान को विचलित करता है। अतः उनके ध्यान को केन्द्रित रखने के लिए शिक्षक को कक्षा का वातावरण शान्त रखना चाहिए।

पाठ की तैयारी (Preparation of Lesson)

पाठ को पढ़ाते समय कभी-कभी ऐसा अवसर भी आता है, जब शिक्षक किसी बात को भली प्रकार से नहीं समझा पाता है। ऐसी दशा में वह बालकों के ध्यान को आकर्षित नहीं कर पाता है। अत: शिक्षक को प्रत्येक पाठ को ने से पूर्व उसे अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए।

विषय में परिवर्तन (Change of Subject)

ध्यान चंचल होता है और बहुत समय तक एक विषय पर केन्द्रित नहीं रहता है। अत: शिक्षक को दो घण्टों में एक विषय लगातार न पढ़कर भिन्न-भिन्न विषय पढ़ाने चाहिए।

सहायक सामग्री का प्रयोग (Use of Material Aids)

सहायक सामग्री बालकों को केन्द्रित करने में सहायता देती है। अतः: शिक्षक को पाठ से सम्बन्धित सहायक सामग्री का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

शिक्षण की विभिन्न विधियों का प्रयोग (Use of Various Methods of Teaching) 

बालकों को खेल, कार्य, प्रयोग और निरीक्षण में विशेष आनन्द आता है। अत: शक्षक को बालकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए आवश्यकतानुसार अग्रलिखित विधियों का प्रयोग करना चाहि,- खेल-विधि, क्रिया-विधि , प्रयोगात्मक-विधि और निरीक्षण विधि।

बालकों की रुचियों के प्रति ध्यान (Attention towards Interests)

जो अध्यापक, शिक्षण के समय बालकों की रुचियों का ध्यान रखता है, वह उनके ध्यान को केन्द्रित रखने में भी सफल होता है। अत: डम्विल (Dumville) का सुझाव है-"पाठ का प्रारम्भ बालकों की स्वाभाविक रुचियों से कीजिए। फिर धीरे-धीरे अन्य विधियों में उनकी रुचि उत्पन्न कीजिए।"

बालकों के प्रति उचित व्यवहार (Proper Behaviour)

यदि बालकों के प्रति शिक्षक का व्यवहार कठोर होता है और वह उनको छोटी-छोटी बातों पर डाँटता है, तो वह उनके ध्यान को आकर्षित नहीं कर पाता है। अत: उसे बालकों के प्रति प्रेम, शिष्टता और सहानुभूति का व्यवहार करना चाहिए।

बालकों के पूर्व ज्ञान का नये ज्ञान से सम्बन्ध (Relationship between New and Previous Knowledge)

बालकों के ध्यान को केन्द्रित रखने के लिए शिक्षक को नए विषय को पुराने विषय से सम्बन्धित करना चाहिए। इसका कारण बताते हुए जेम्स (James) ने लिखा है-"बालक पुराने विषय पर अपना ध्यान केन्द्रित कर चुके हैं। अतः जब नये विषय को उससे सम्बन्धित कर दिया जाता है, तब उस पर उन्हें अपना ध्यान केन्द्रित करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है।"

बालक की प्रवृत्तियों का ज्ञान

डम्विल (Dumville) के अनुसार-बालकों के ध्यान को केन्द्रित करने के लिए शिक्षक को उनकी सब प्रवृत्तियों (Tendencies) का ज्ञान होना चाहिए। यदि वह इन प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर अपने शिक्षण का आयोजन करता है, तो वह बालकों के अवधान को केन्द्रित रखता है। 

बालकों के प्रयास को प्रोत्साहन

यदि अध्यापक, बालकों को निष्क्रिय श्वता बना देती है, तो वह अपने शिक्षण के प्रति उनके ध्यान को आकर्षित करने में असफल होता है। अतः जेम्स का परामर्श है-"बालकों के प्रयास की इच्छा को जीवित उनकी इस इच्छा को जीवित रखकर या उनको प्रयास के लिए प्रोत्साहित करके शिक्षक उनके ध्यान को सदैव प्राप्त कर सकता है।

रुचि का अर्थ व परिभाषा (MEANING AND DEFINITION OF INTEREST)

"Interest" की उत्पत्ति, लेटिन भाषा के शब्द, "Interesse" से हुई है। 
स्टाउट (Stout) के अनुसार-"इसके कारण अन्तर होता है।" ("It makes a difference) 
रोस  (Ross) के अनुसार, इस शब्द का अर्थ है-"यह महत्वपूर्ण होती है।" ("It matters), या "इसमें लगाव होता है" ("It concerns")। इस प्रकार, जिस वस्तु में हमें रुचि होती है, वह हमारे लिए दूसरी वस्तुओं से भिन्न और महत्वपूर्ण होती है एवं हमें उससे लगाव होता है।
'रुचि' के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम कुछ परिभाषाएँ दे रहे हैं,

1. भाटिया-"रुचि का अर्थ है-अन्तर करना। हमें वस्तुओं में इसलिए रुचि होती है, क्योंकि हमारे लिए उनमें और दूसरी वस्तुओं में अन्तर होता है, क्योंकि उनका हमसे सम्बन्ध होता है।"
"Interest means making a difference. We are interested in objects because they make a difference to us, because they concern us." -Bhatia

2. क्रो एवं क्रो-"रुचि वह प्रेरक शक्ति है, जो हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है।"
"Interest may refer to the motivating force that impels us to attend to a person, a thing or an activity." -Crow and Crow

रुचि के पहलू (ASPECTS OF INTEREST)

'अवधान' के समान 'रुचि' के भी तीन पहलू हैं-जानना, अनुभव करना और इच्छा करना (Knowing. Feeling and Willing)। जब हमें किसी वस्तु में रुचि होती है, तब हम उसका निरीक्षण और अवलोकन करते हैं । ऐसा करने से हमें सुख या सन्तोष मिलता है और हम उसे परिवर्तित करने या न करने के लिए कार्य कर सकते हैं। इस प्रकार, जैसा कि भाटिया ने लिखा है-"रुचि-ज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावनात्मक होती है।" 
"Interest is cognitive, conative and affective." -Bhatia

बालकों में रुचि उत्पन्न करने की विधियाँ

1. निरन्तर मौखिक शिक्षण और अत्यधिक पुनरावृत्ति, पाठ को नौरस बना देती है। अत: शिक्षक को चाहिए कि वह बालकों को प्रयोग, निरीक्षण आदि के अवसर देकर कार्य में उनकी रुचि उत्पन्न करे।
2. बालकों को खेल और रचनात्मक कार्यों में विशेष रुचि होती है। अत: शिक्षक को खेल-विधि का प्रयोग करना चाहिए और बालकों से विभिन्न प्रकार की वस्तुए बनवानी चाहिए।
3. बालकों को उसी विषय में रुचि होती है, जिसका उनको पूर्व ज्ञान होता है। अतः शिक्षक को ज्ञात से अज्ञात (Known to Unknown) का सम्बन्ध जोड़कर उनकी रुचि को बनाये रखना चाहिए।
4. भाटिया (Bhatia) के अनुसार-आयु के साथ-साथ बालकों की रुचियों में परिवर्तन होता जाता है। अतः शिक्षक को इन रुचियों के अनुकूल पाठ्य-विषय का आयोजन करना चाहिए।
5. झा (Jha) के अनुसार-बालकों की अपनी मूल प्रवृत्तियों, अभिवृत्तियों (Atitudes) आदि से सम्बन्धित वस्तुओं में रुचि होती है। अत: शिक्षक को उनकी रुक्ति के अनुकूल चित्रों, स्थूल पदार्थों आदि का प्रयोग करना चाहिए ।
6. भाटिया (bhatia) के अनुसार-बालकों की रुचि का मुख्य आधार उनकी जिज्ञासा की प्रवृत्ति होती है। अत: शिक्षक को इस प्रवृत्ति को जाग्रत रखने और तृप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
7. को एवं क्रो (Crow and Crow) के अनुसार निरन्तर एक ही विषय को पढ़ने से बालक थकान का अनुभव करने लगता है और उसमें रुचि लेना बन्द कर देता हैं। अतः शिक्षक को उसकी रुचि के अनुसार विषय में परिवर्तन करना चाहिए।
8. भाटिया (Bhatia) के अनुसार-विभिन्नता, रोचकता को सुरक्षा प्रदान करती है ("Variety is a safeguard of Interest.")। अत: शिक्षण के समय अध्यापक को निरन्तर पाठ्य-विषय की बातों को ही न बताकर उससे सम्बन्धित विभिन्न रोचक बातें भी बतानी चाहिए।
9. भाटिया (Bhatia) के अनुसार-बालकों को जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें वे तभी रुचि लेते हैं, जब उनको उसके उद्देश्य और उपयोगिता की जानकारी होती है। अतः शिक्षक को पाठ आरम्भ करने से पहले इन दोनों बातों को अवश्य बता देना चाहिए। 
10. स्किनर एवं हैरीमैन (Skinner and Harriman) के अनुसार-शिक्षण के समय बालकों में विभिन्न वस्तुओं, पक्षियों, मशीनों आदि में रुचि उत्पन्न हो जाती है। अत: शिक्षक को उन्हें भ्रमण के लिए ले जाकर उनको रुचियों को तृप्त और विकसित करना चाहिए।
11. कोलेसनिक (Kolesnik) के अनुसार-बालकों को किसी विषय के शिक्षण में तभी रुचि आती है, जब उनको इस बात का ज्ञान हो जाता है कि उस विषय का उनसे क्या सम्बन्ध है, उसका उन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, वह उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में कितनी सहायता दे सकता है और वह उनकी आवश्यकताओं को किस प्रकार पूर्ण कर सकता है। अत: शिक्षक को बालकों और शिक्षण-विषय दोनों का ज्ञान होना चाहिए। कोलेसनिक के शब्दों में-"किसी विषय में छात्र की रुचि उत्पन्न करने के लिए, शिक्षक को छात्र के बारे में कुछ बातें और विषय के बारे में बहुत-सी बातें जाननी चाहिए।"

परीक्षा-सम्बन्धी प्रश्न

1. मनोविज्ञान में 'अवधान' का क्या तात्पर्य है ? किसी विषय-विशेष को और बालकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए आप क्या करेंगे ? उदाहरण देकर अपने ठत्तर की पुष्टि कीजिए।
What is the meaning of 'attention' in education? What will you do to attract children's attention towards a particular subject? Support your answer by giving examples.

2. रुचि के स्वरूप पर प्रकाश डालिये और सविस्तार लिखिये कि किसी विशेष पाठ के शिक्षण में आप छात्रों की रुचि को किस प्रकार जाग्रत करेंगे और यथावत् बनाये रखेंगे। 
Throw light on the nature of interest and write in detail how you will arouse the students' interest in a particular lesson and maintain it.

3. 'ध्यान और रुचि एक-दूसरे के साथ-साथ चलते हैं ।' व्याख्या कीजिये। 
'Attention and interest go side by side, Explain.

4. ध्यान की परिभाषाएँ दीजिये। इनका वर्गीकरण कीजिये तथा शिक्षा में इसकी उपयोगिता बताइये।
Define attention. Classify it and discuss its importance in education. 

5. शिक्षा में रुचि का क्या अर्थ है ? सविस्तार वर्णन कीजिए कि बालकों में रुचि किस प्रकार पैदा की जा सकती है ?
What is the meaning of interest in education? Discuss in detail how interest could be aroused in students.
इस Blog का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों को अधिक से अधिक जानकारी एवं Notes उपलब्ध कराना है, यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया गया है।