स्मृति व स्मरण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार | Memory and Remembering

स्मृति एक मानसिक क्रिया है, स्मृति का आधार अर्जित अनुभव है, इनका पुनरुत्पादन परिस्थिति के अनुसार होता है।...

 स्मृति व स्मरण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार (Memory and Remembering)


Memory-and-Remembering
Memory and Remembering

स्मृति का अर्थ व परिभाषा

स्मृति एक मानसिक क्रिया है, स्मृति का आधार अर्जित अनुभव है, इनका पुनरुत्पादन परिस्थिति के अनुसार होता है। हमारे बहुत से मानसिक संस्कार स्मृति के माध्यम से ही जाग्रत होते हैं।

स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt and Oakden) के अनुसार- स्मृति एक जटिल शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया है, जिसे हम थोड़े से शब्दों में इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब हम किसी वस्तु को छूते, देखते, सुनते या सूंघते हैं, तब हमारे ज्ञान-वाहक तन्तु (Sensory Nerves) उस अनुभव को हमारे मस्तिष्क के ज्ञान-केन्द्र (Sensory Centre ) में पहुँचा देते हैं। ज्ञान-केन्द्र में उस अनुभव की प्रतिमा बन जाती है, जिसे छाप (Engram) कहते हैं। 

यह छाप वास्तव में उस अनुभव का स्मृति चिह्न (Memory Trace) होती है, जिसके कारण मानसिक रचना के रूप में कुछ परिवर्तन हो जाता है। यह अनुभव कुछ समय तक हमारे चेतन-मन में रहने के बाद अचेतन मन (Unconscious Mind) में चला जाता है और हम उसको भूल जाते हैं। उस अनुभव को अचेतन मन में संचित रखने और चेतन मन में लाने की प्रक्रिया को स्मृति कहते हैं। दूसरे शब्दों में, पूर्व अनुभवों को अचेतन मन में संचित रखने और आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन में लाने की शक्ति को स्मृति कहते हैं।

स्मृति के सम्बन्ध में कुछ वैज्ञानिकों के विचार-

वुडवर्थ: जो बात पहले सीखी जा चुकी है, उसे स्मरण रखना ही स्मृति है।
Memory consists in remembering what has previously been learned. -Woodworth. 

रोयबर्न: अपने अनुभवों को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में पुनः लाने की जो शक्ति हममें होती है, उसी को स्मृति कहते हैं।
The power that we have to store our experiences and to bring them into the field of consciousness sometime after the experiences have occurred is termed memory. -Ryburn

जेम्सस्मृति उस घटना या तथ्य का ज्ञान है, जिसके बारे में हमने कुछ समय तक नहीं सोचा है, पर जिसके बारे में हमको यह चेतना है कि हम उसका पहले विचार या अनुभव कर चुके हैं।
Memory is the knowledge of an event, or fact, of which, meantime we have not been thinking, with the additional consciousness that we have thought or experienced it before. -James 

इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि 
(1) स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है 
(2) यह सीखी हुई वस्तु का सीधा उपयोग है 
(3) इसमें अतीत में घटी घटनाओं की कल्पना द्वारा पहचान की जाती है। 
(4) अतीत के अनुभवों को पुन: चेतना में लाया जाता है।

स्मृतियों के प्रकार

स्मृति का मुख्य कार्य है-हमें किसी पूर्व अनुभव का स्मरण कराना। इसका अभिप्राय यह हुआ कि प्रत्येक अनुभव के लिए पृथक स्मृति होनी चाहिए। इतना ही नहीं, पर जैसा कि स्टाउट ने लिखा है-"केवल नाम के लिए पृथक स्मृति नहीं होनी चाहिए, वरन् प्रत्येक विशिष्ट नाम के लिए भी पृथक स्मृति होनी चाहिए।" 
"There must not only by a separate memory for names, but a separate memory for each particular name." -Stout 

स्टाउट (Stout) के इस कथन का अभिप्राय यह है कि स्मृतियाँ अनेकानेक प्रकार की होती, हैं, जो किसी मामले के लिए अच्छी और किसी के लिए खराब हो सकती हैं। उदाहरणार्थ-किसी व्यक्ति की स्मृति, स्थानों के बारे में अच्छी, पर नामों के बारे में खराब हो सकती है। इसी प्रकार, दूसरे व्यक्तियों की स्मृति -गणित, विज्ञान, साहित्य आदि के लिए अच्छी या खराब हो सकती है। हम इस जटिल समस्या में न पड़कर मुख्य प्रकार की स्मृतियों का परिचय दे रहे हैं;

व्यक्तिगत स्मृति (Personal Memory)

इस स्मृति में हम अपने अतीत के व्यक्तिगत अनुभवों को स्मरण रखते हैं। हमें यह सदैव स्मरण रहता है कि संकट के समय हमारी सहायता किसने की थी।

अव्यक्तिगत स्मृति (Impersonal Memory)

इस स्मृति में हम बिना व्यक्तिगत अनुभव किए बहुत-सी पिछली बातों को याद रखते हैं। हम इन अनुभवों को साधारणतः पुस्तकों से प्राप्त करते हैं। अतः ये अनुभव सब व्यक्तियों में समान होते हैं। 

स्थायी स्मृति (Permanent Memory)

इस स्मृति में हम याद की हुई बात को कभी नहीं भूलते हैं। यह स्मृति, बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है।

तात्कालिक स्मृति (Immediate Memory)

इस स्मृति में हम याद की हुई बात को तत्काल सुना देते हैं, पर हम उसको साधारणतः कुछ समय के बाद भूल जाते हैं। यह स्मृति सब व्यक्तियों में एक-सी नहीं होती है, और बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक होती है। 

सक्रिय स्मृति (Active Memory)

इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवों का पुनःस्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है। वर्णनात्मक निबन्ध लिखते समय छात्रों को उससे सम्बन्धित तथ्यों का स्मरण करने के लिए प्रयास करना पड़ता है।
 

निष्क्रिय स्मृति (Passive Memory)

इस स्मृति में हमें अपने पिछले अनुभवों का पुनःस्मरण करने में किसी प्रकार का प्रयास नहीं करना पड़ता है। पढ़ी हुई कहानी को सुनते समय छात्रों को उसकी घटनाएँ स्वत: याद आ जाती हैं।

तार्किक स्मृति (Logical Memory) 

इस स्मृति में हम किसी बात को भली-भाँति सोच-समझकर और तर्क करके स्मरण करते हैं। इस प्रकार प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान वास्तविक होता है।

यान्त्रिक (रटन्त) स्मृति (Rote Memory) 

इस स्मृति में हम किसी तथ्य को या किसी प्रश्न के उत्तर को बिना सोचे-समझे रटकर स्मरण करते हैं पहाड़ों को याद करने और रटने की साधारण विधि यही है। 

आदत स्मृति (Habit Memory) 

इस स्मृति में हम किसी कार्य को बार-बार दोहरा कर और उसे आदत का रूप देकर स्मरण करते हैं। हम उसे जितनी अधिक बार दोहराते हैं, उतनी ही अधिक स्मृति हो जाती है।

शारीरिक स्मृति (Physiological Memory)

इस स्मृति में हम अपने शरीर के किसी अंग या अंगों द्वारा किए जाने वाले कार्य को स्मरण रखते हैं। हमें उँगलियों से टाइप करना और हारमोनियम बजाना स्मरण रहता है। 

इन्द्रिय-अनुभव (Sense Impression Memory) 

इस स्मृति में हम इन्द्रियों का प्रयोग करके अतीत के अनुभवों को फिर स्मरण कर सकते हैं हम बन्द आँखों से उन वस्तुओं को छूकर, चखकर या सूंघकर बता सकते हैं, जिनको हम जानते हैं।
 

सच्ची या शुद्ध स्मृति (True or Pure Memory)

इस स्मृति में हम याद किये हुए तथ्यों का स्वतंत्र रूप से वास्तविक पुनः स्मरण कर सकते हैं। हम जो कुछ याद करते हैं, उसका हमें क्रमबद्ध ज्ञान रहता है। इसीलिए, इस स्मृति को सर्वोत्तम माना जाता है।

स्मृति के अंग

स्मृति एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है। वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार, स्मृति या स्मरण की पूर्ण क्रिया के निम्नलिखित 4 अंग, पद या खंड होते हैं

सीखना (Learning)

स्मृति का पहला अंग है- सीखना । हम जिस बात को याद रखना चाहते हैं, उसको हमें सबसे पहले सीखना पड़ता है। गिलफोर्ड का कथन है-"किसी बात को भली-भाँति याद रखने के लिए अच्छी तरह सीख लेना आधी से अधिक लड़ाई जीत लेना है।"
For an efficient memory, effective learning is more than half the battle. - J. B. Guilford 

धारण (Retention) 

स्मृति का दूसरा अंग है-धारण। इसका अर्थ है-सीखी हुई बात को मस्तिष्क में संचित रखना। हम जो बात सीखते हैं, वह कुछ समय के बाद हमारे अचेतन में चली जाती है। वहाँ वह निष्क्रिय दशा में रहती है इस दशा में वह कितने समय तक संचित रह सकती है, यह व्यक्ति की धारण-शक्ति पर विशेष निर्भर रहता है। रायबर्न का मत है-"अधिकांश व्यक्तियों की धारण-शक्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता है।"
"In most individuals, the power of retentiveness does not change to any appreciable extent." -Ryburn
परिवर्तन न होने के बावजूद भी कुछ बातें ऐसी हैं, जो हमें अपने अनुभव को अधिक समय तक स्मरण रखने में सहायता देती हैं;
1. स्वस्थ व्यक्ति सीखी बात को अधिक समय तक स्मरण रखता है। 
2. अधिक अच्छी विधि से सीखी हुई बात अधिक समय तक स्मरण रहती है। 
3. सीखी हुई बात को जितना अधिक दोहराया जाता है, उतने ही अधिक समय तक वह स्मरण रहती है। 
4. रुचि और ध्यान से सीखी जाने वाली बात अधिक समय तक स्मरण रहती है।
5. कठिन और जटिल बात की अपेक्षा सरल और रोचक बात अधिक समय तक स्मरण रहती है।
6. अत्यधिक दुःख, सुख, भय, निराशा आदि की बातें मस्तिष्क पर इतनी गहरी छाप अंकित कर देती हैं कि वे बहुत समय तक स्मरण रहती हैं।

पुन:स्मरण (Recall)

स्मृति का तीसरा अंग है-पुनःस्मरण। इसका अर्थ है-सीखी हुई बात को अचेतन मन से चेतन मन में लाना। जो बात जितनी अच्छी तरह धारण की गई है, उतनी ही सरलता से उसका पुन:स्मरण होता है। पर ऐसा सदैव नहीं होता है। भय, चिन्ता, शीघ्रता, परेशानी आदि पुन:स्मरण में बाधा उपस्थित करते हैं। बालक भय के कारण भली-भाँति स्मरण पाठ को अच्छी तरह नहीं सुना पाता है। हम जल्दी में बहुत से काम करना भूल जाते हैं।

पहिचान (Recognition)

स्मृति का चौथा अंग है- पहिचान । इसका अर्थ है-फिर याद आने वाली बात में किसी प्रकार की गलती न करना। उदाहरणार्थ-हम पाँच वर्ष पूर्व मोहनलाल नामक व्यक्ति से दिल्ली में मिले थे जब हम उससे फिर मिलते हैं, तब उसके सम्बन्ध में सब बातों का ठीक-ठीक पुन:स्मरण हो जाता है । हम यह जानने में किसी प्रकार की गलती नहीं करते हैं कि वह कौन है, उसका क्या नाम है, हम उससे कब, कहाँ और क्यों मिले थे ? आदि।

अच्छी स्मृति के लक्षण

जीवन में वही व्यक्ति सफलता के शिखर पर शीघ्र पहुँचता है जिसकी स्मृति अच्छी होती है। ऐसा व्यक्ति भूतकाल की घटनाओं का स्मरण कर, वर्तमान में उसका लाभ उठाकर, भविष्य को अच्छा बनाता है।
स्टाउट (Stout) के अनुसार, अच्छी स्मृति में निम्नलिखित गुण, लक्षण या विशेषताए होती हैं:-

शीघ्र अधिगम (Quick Learning)

अच्छी स्मृति का पहला गुण है- जल्द सीखना या याद होना जो व्यक्ति किसी बात को शीघ्र सीख लेता है, उसकी स्मृति अच्छा समझी जाती है। 

उत्तम धारण-शक्ति (Good Retention)

अच्छी स्मृति का दूसरा गुण है- हुई बात को बिना दोहराए हुए देर तक स्मरण रखना। जो व्यक्ति एक बात को जितने अधिक समय तक मस्तिष्क में धारण रख सकता है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है।

शीघ्र पुनःस्मरण (Quick Recall) 

अच्छी स्मृति का तीसरा गुण है-सीखी हुई बात का शीघ्र याद आना। जिस व्यक्ति को सीखी हुई बात जितनी जल्दी याद आती है, उसकी स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी होती है 

शीघ्र पहचान (Quick Recognition )

अच्छी स्मृति का चौथा गुण है- शीघ्र पहचान। किसी बात का शीघ्र पुनःस्मरण ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि आप शीघ्र ही यह जान जाएँ कि आप जिस बात को स्मरण करना चाहते हैं, वही बात आपको याद आई है।

अनावश्यक बातों की विस्मृति (Forgetting Useless Things) 

अच्छी स्मृति का पाँचवाँ गुण है-अनावश्यक या व्यर्थ की बातों को भूल जाना। यदि ऐसा नहीं है, तो मस्तिष्क को व्यर्थ में बहुत-सी ऐसी बातें स्मरण रखनी पड़ती हैं, जिनकी भविष्य में कभी आवश्यकता नहीं पड़ती है। वकील मुकदमे के समय उससे सम्बन्धित सब बातों को याद रखता है, पर उसके समाप्त हो जाने पर उसमें से अनावश्यक बातों को भूल जाता है।

उपयोगिता (Serviceableness)

अच्छी स्मृति का अन्तिम गुण है-उपयोगिता। इसका अभिप्राय यह है कि वही स्मृति अच्छी होती है, जो अवसर आने पर उपयोगी सिद्ध होती है। यदि परीक्षा देते समय बालक स्मरण की हुई सब बातों को लिखने में सफल हो जाता है, तो उसकी स्मृति उपयोगी है, अन्यथा नहीं।

स्मृति के नियम

बी. एन. झा का मत है- स्मृति के नियम वे दशाएँ हैं, जो अनुभव के पुनःस्मरण में सहायता देती हैं।
Laws of memory are conditions which facilitate revival of past experience. -Jha 
झा (Jha) के इस कथन का अभिप्राय है कि हम स्मृति के नियमों को 'स्मरण में सहायता देने वाले नियम' कह सकते हैं। झा (Jha) के अनुसार, ये नियम 3 हैं; 

आदत का नियम (Law of Habit)

इस नियम के अनुसार, जब हम किसी विचार को बार-बार दोहराते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती है कि हम में बिना विचारे उसको व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है। उदाहरणार्थ, बहुत से लोगों को अद्धे, पौने, ढइये आदि के पहाड़े रटे रहते हैं। इनको बोलते समय उनको अपनी विचार-शक्त का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। बी. एन. झा (B. N. Jha) के शब्दों में-"इस नियम को लागू करने लिए केवल मौखिक पुनरावृत्ति बहुत काफी है। इसका सम्बन्ध यान्त्रिक स्मृति (Rote Memory) से है।"

निरन्तरता का नियम (Law of Perseveration)

इस नियम के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया में जो अनुभव विशेष रूप से स्पष्ट होते हैं, वे हमारे मस्तिष्क में कुछ समय तक निरन्तर आते रहते हैं। अत: हमें उनको स्मरण रखने के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। उदाहरणार्थ, किसी मधुर संगीत को सुनने या किसी दर्दनाक घटना को देखने के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं। कालिन्स व ड्रेवर के शब्दों में-निरन्तरता का नियम तात्कालिक स्मृति में महत्वपूर्ण कार्य करता है। 
Perseveration would seem to play an important part in what is known as 'immediate' memory. -Collins and Drever 

परस्पर सम्बन्ध का नियम (Law of Association)

इस नियम को 'साहचर्य का नियम' भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार, जब हम एक अनुभव को दूसरे अनुभव से सम्बन्धित कर देते हैं तब उनमें से किसी एक का स्मरण होने पर हमें दूसरे का स्वयं ही स्मरण सिद्धान्तों या भारत छोड़ो आंदोलन से सरलतापूर्वक परिचित कराया जा सकता है। गाँधीजी के जीवन से इन घटनाओं का सम्बन्ध होने के कारण बालकों को एक घटना का स्मरण होने पर दूसरी घटना अपने आप याद आ जाती है। स्टर्ट एवं ओकडन (Sturt and Oakden) के अनुसार-"एक तथ्य और दूसरे तथ्यों में जितने अधिक सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं, उतनी ही अधिक सरलता से उस तथ्य का स्मरण होता है।"

विचार-साहचर्य का सिद्धान्त

विचार-साहचर्य' का सिद्धान्त अति प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है - दो या अधिक विचारों का इस प्रकार सम्बन्ध कि उनमें से एक की याद आने पर दूसरे की स्वयं याद आना उदाहरणार्थ, दूध फैल जाने पर बालक रोता है। वह पहले कभी दूध फैला चुका है जिसकी वजह से उस पर डाँट पड़ चुकी है और वह रो चुका है। अत: जब दुबारा दूध फैलता है, तब उसे डाँट पड़ने की अपने-आप याद आ जाती है और वह रोने लगता है। इस सिद्धान्त का स्पष्टीकरण करते हुए भाटिया ने लिखा है-विचार- साहचर्य एक प्रसिद्ध सिद्धान्त है, जिसके अनुसार एक विचार किसी दूसरे विचार या विचारों का, जिनका हम पहले अनुभव कर चुके हैं, स्मरण दिलाता है।
The association of ideas is a well-known principle by which one idea calls up another or others that have been previously experienced. -Bhatia.

विचार-साहचर्य के नियम

'विचार-साहचर्य' के नियमों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(अ) मुख्य नियम (Primary Laws)- सनी पता, समानता, असमानता और रुचि के नियम।
(ज) गौण नियम (Secondary Laws)-प्राथमिकता, पुनरावृत्ति, नवीनता, स्पष्टता और मनोभाव के नियम।

समीपता का नियम (Law of Contiguity)

जब दो वस्तुएँ या घटनाएँ एक-दूसर के समीप होती हैं, तब उनमें सम्बन्ध स्थापित हो जाता है । अत: उनमें से एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। ' समीपता' दो प्रकार की होती है-'स्थान की समीपता' (Spatial Contiguity) और 'समय की समीपता' (Temporal Contiguity) अल्मारी में घड़ी और बटुआ दोनों रखे रहते हैं। हमें घड़ी को देखकर बटुए की स्वयं याद आ जाती है। इसका कारण है-स्थान की समीपता। चार बजे घण्टे की आवाज सुनकर बालकों को घर जाने की याद आ जाती है। इसका कारण है-समय की समीपता। 

समानता का नियम (Law of Similarity) 

डूमंड एवं मेलोन (Drummond and Mellone) के अनुसार-"समानता का नियम यह है कि यदि कोई वर्तमान वास्तविक अनुभव पुराने अनुभव के समान होता है, तो वह पुराने अनुभव का स्मरण करा देता है।" समानता अनेक बातों में हो सकती है; जैसे-अर्थ, दशा, रंग, ध्वनि, आकृति आदि हमें भगतसिंह के क्रान्तिकारी कार्यों का वर्णन पढ़कर चन्द्रशेखर आजाद के क्रान्तिकारी कार्यों का स्मरण हो जाता है (अर्थ की समानता)। हमें अपने मित्र के भाई को देखकर अपने मित्र की याद आ जाती है (आकृति की समानता)। दिल्ली का लाल किला देखते समय हमें आगरा के लाल किले का स्मरण हो जाता है (रंग की समानता)। अपने मित्र को मोतीझरा रोग से ग्रस्त देखकर हमें अपने मोतीझरा की याद आ जाती है (दशा की समानता) ।

असमानता का नियम (Law of Contrast)

जब दो वस्तुएँ एक-दूसरे के असमान, विपरीत या विरोधी होती हैं, तब वे एक-दूसरे से सम्बन्धित हो जाती हैं । अतः उनमें से एक अपनी विरोधी वस्तु की याद दिला देती है। हमें दु:ख के दिनों में सुख के दिनों की और काया के रोगी होने पर निरोगी काया का स्मरण होता है। कश्यप एवं पुरी (Kashyapa and Puree) ने ठीक ही लिखा है-"असमानता का नियम यह बताता है कि विरोधी वस्तुएँ एक-दूसरे से सम्बन्धित हो जाती हैं, जिससे उनमें से एक अपने से विपरीत वस्तु की याद दिलाती है।"

रुचि का नियम (Law of Interest)

जिन बातों में हमें जितनी अधिक रुचि होती है, उतनी ही अधिक सरलता से हमें उनका स्मरण होता है। जिस बालक को गाँधीजी में रुचि है, उसे उनके जीवन की लगभग सभी घटनाएँ स्मरण रहती हैं। वैलेनटीन ( Valentine) का कथन है-"रुचि यह निश्चित करने में एक निर्णायक कारक है कि जिस बात को हम देखते या सुनते हैं, वह हमें बाद में स्मरण रह सकती है या नहीं "

प्राथमिकता का नियम (Law of Primary) 

जो अनुभव हम पहले प्राप्त करते हैं, वह हमारे मस्तिष्क में बहुत समय तक रहता है। अतः हम उसे सरलता से स्मरण कर लेते हैं। इसलिए कहा गया है कि प्रथम प्रभाव अन्त तक रहता है (First impression is the last impression)। यदि हम पहली भेंट में किसी व्यक्ति की योग्यता से प्रभावित हो जाते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में उसकी योग्यता का स्मरण बहुत-कुछ स्थायी हो जाता है।

पुनरावृत्ति का नियम (Law of Frequency)

वैलेनटीन (Valentine) के अनुसार-"दो बातों या विचारों का जितनी अधिक बार साथ-साथ अनुभव किया जाता है, उतना ही अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध उनमें स्थापित हो जाता है ।" घास हरी होती है और हम बहुधा उसे देखते हैं। अत: जब हमसे कोई हरे रंग की किसी वस्तु के बारे में बात करता है, तब हमें स्वाभाविक रूप से घास की याद आ जाती है।

नवीनता का नियम (Law of Recency)

जो अनुभव जितना अधिक नवीन होता है, उतनी ही अधिक सरलता से उसका स्मरण किया जाता है। यही कारण है कि छात्र परीक्षा-भवन में प्रवेश करने के समय तक कुछ-न-कुछ पढ़ते रहते हैं। 

स्पष्टता का नियम (Law of Vividness)- 

बी, एन. झा (B. N. Jha) अनुसार-"विचार जितना अधिक स्पष्ट होता है, उतना ही अधिक सरलता से उसका पुन:स्मरण होता है।" बालक जिस पाठ को जितने अधिक स्पष्ट रूप से समझ जाता है, उतनी ही अधिक देर तक वह उसे स्मरण रहता है।

मनोभाव का नियम (Law of Mood)

व्यक्ति के मन में जिस समय जैसे भाव या विचार होते हैं, वैसे ही अनुभवों का वह स्मरण करता है। दुःखी मनुष्य केवल दुःख और कष्ट की बातों का ही स्मरण कर सकता है। भाटिया (Bhatia) ने लिखा है-"जब हम प्रसन्न होते हैं, तब हमें सुख एवं आनन्द की बातों का स्मरण होता है और जब हम दुःखी दशा में होते हैं, तब हमारे विचारों में उदासीनता होती है।"

स्मरण करने की विधियाँ

मनोवैज्ञानिकों ने स्मरण करने की ऐसी अनेक विधियों की खोज की है, जिनका प्रयोग करने से समय की बचत होती है। इनमें से अधिक महत्वपूर्ण निम्नांकित हैं

पूर्ण विधि (Whole Method)

इस विधि में याद किए जाने वाले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक बार-बार पढ़ा जाता है। यह विधि केवल छोटे और सरल पाठों या कविताओं के ही लिए उपयुक्त है। कोलेसनिक (Kolesnik) के अनुसार- "यह विधि बड़े, बुद्धिमान और अधिक परिपक्व मस्तिष्क वाले बालकों के लिए उपयोगी है।"

खण्ड विधि (Part Method)

इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को कई खण्डों या भागों में बाँट दिया जाता है। इसके बाद उन खण्डों को एक-एक करके याद किया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि आगे के खण्ड याद होते जाते हैं और पीछे के भूलते जाते हैं। कोलेसनिक (Kolesnik) का विचार है-"यह विधि छोटे, कम बुद्धिमान और साधारण बालकों के लिए उपयोगी है।" 

मिश्रित विधि (Mixed Method)

इस विधि में पूर्ण और खण्ड विधियों का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है। इसमें पहले पूरे पाठ को आरम्भ से अन्त तक पढ़ा जाता है। फिर उसे खण्डों में बाँटकर, उनको याद किया जाता है। अन्त में, पूरे पाठ को आरम्भ से अन्ततक फिर पढ़ा जाता है। यह विधि कुछ सीमा तक पूर्ण और खण्ड विधियों से अच्छी है।

प्रगतिशील विधि (Progressive Method)

इस विधि में पाठ को अनेक खण्डों में विभाजित कर लिया जाता है। सर्वप्रथम, पहले खण्ड को याद किया जाता है, उसके बाद पहले और दूसरे खण्ड को साथ-साथ याद किया जाता है। फिर पहले, दूसरे और तीसरे खण्ड को याद किया जाता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे स्मरण करने के कार्य में प्रगति होती जाती है, वैसे-वैसे एक नया खण्ड जोड़ दिया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि इसमें पहला खण्ड सबसे अधिक स्मरण किया जाता है और उसके बाद के क्रमश: कम ।

अन्तरयुक्त विधि (Spaced Method)

इस विधि में पाठ को थोड़े-थोड़े अन्तर या समय के बाद याद किया जाता है। यह अन्तर एक मिनट का भी हो सकता है और चौबीस घण्टे का भी। यह विधि स्थायी स्मृति' (Permanent Memory) के लिए अति उत्तम है। वुडवर्थ का मत है- अन्तरयुक्त विधि से स्मरण करने में सर्वोत्तम परिणाम होता है।
Spaced repetitions give the best results in memorising. -Woodworth 

अन्तरहीन विधि (Unspaced Method) 

इस विधि में पाठ को स्मरण करने के लिए समय में अन्तर नहीं किया जाता है। यह विधि ' अन्तरयुक्त विधि' की उल्टी है और उससे अधिक प्रभावशाली है।

सक्रिय विधि (Active Mehd)

इस विधि में रमरण किये जाने वाले पाठ का बोल बोलकर याद किया जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए अच्छी है क्योंकि इसमे उनका उच्चारण ठीक हो जाता है।

निष्क्रिय विधि (Passive Method)

यह विधि, 'सक्रिय विधि' की उल्टी है। इसमें स्मरण किए जाने वाले पाठ को बिना बोले मन-ही-मन याद किया जाता है। यह विधि अधिक आयु वाले बालकों के लिए अच्छी है।

स्वर विधि (Recitation Method)

इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ को लय से पढ़ा जाता है। यह विधि छोटे बच्चों के लिए उपयोगी है, क्योंकि उनको गा-गाकर पढ़ने में आनन्द आता है।

रटने की विधि (Method of Cramming)

इस विधि में पूरे पाठ को रट लिया जाता है। इस विधि का दोष बताते हुए जेम्स ने लिखा है-"इस विधि से जो बातें स्मरण कर ली जाती हैं, वे अधिकांश रूप में शीघ्र ही विस्मृत हो जाती हैं।"

निरीक्षण-विधि (Method of Observing)

इस विधि में याद किए जाने वाले पाठ का पहले भली प्रकार निरीक्षण या अवलोकन कर लिया जाता है । यदि बालक को संख्याओं की कोई सूची याद करनी है, तो वह पहले इस बात का निरीक्षण कर ले कि वे निश्चित क्रम में हैं। इस विधि के उचित प्रयोग के विषय में वुडवर्थ ने लिखा है- "पाठ को एक बार पढ़ने के बाद उसकी रूपरेखा को और दूसरी बार उसकी विषय-वस्तु को विस्तार से याद करना चाहिए ।"

क्रिया-विधि (Method of Searning by Doing)

इस विधि में स्मरण की जाने वाली बात को साथ-साथ किया भी जाता है। यह विधि बालक की अनेक ज्ञानेन्द्रियों को एक साथ सक्रिय रखती है। अत: उसे पाठ सरलता और शीघ्रता से स्मरण हो जाता है। 

विचार-साहचर्य की विधि (Method of Association of Ideas)

इस विधि में स्मरण की जाने वाली बातों का ज्ञान बातों से भिन्न प्रकार से सम्बन्ध स्थापित कर लिया जाता है। ऐसा करने से स्मरण शीघ्रता से होता है और स्मरण की हुई बात बहुत समय तक याद रहती है। जेम्स (James) का मत है- "विचार-साहचर्य उत्तम चिन्तन द्वारा उत्तम स्मरण की विधि है।"

साभिप्राय स्मरण विधि (Method of Intentional Memorizing)

पाठ को याद करने के लिए चाहे जिस विधि का प्रयोग किया जाये पर यदि बालक उसको याद करने का संकल्प या निश्चय नहीं करता है. तो उसको पूर्ण सफलता नहीं मिलती। वुडवर्थ ने ठीक ही लिखा है- यदि कोई भी बात याद की जानी है, तो याद करने का निश्चय आवश्यक है।
The will to learn is necessary if any learning is to be accomplished. -Woodworth.

स्मृति-प्रशिक्षण

आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार-स्मृति व्यक्ति का जन्मजात गुण है इसीलिए, व्यक्तियों की स्मृति या स्मरण शक्ति में अन्तर पाया जाता है। पर विभिन्न प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि प्रशिक्षण और अभ्यास द्वारा स्मृति में उन्नति की जा सकती है। इसका कारण बताते हुए वुडवर्थ ने लिखा है- सीखने या स्मरण करने की प्रक्रिया एक नियंत्रित क्रिया होने के कारण प्रशिक्षण से अत्यधिक प्रभावित होती है।
The process of learning or memorizing, being a controllable activity. is exceedingly susceptible to training. -Woodworth

अब प्रश्न यह है कि स्मृति की उन्नति के लिए किस प्रकार के प्रशिक्षण या अभ्यास की आवश्यकता है ? इसका उत्तर देते हुए एवेलिंग (Aveling) ने अपनी पुस्तक "Direcing Mental Energy" में लिखा है- वास्तव में स्मृति में उन्नति हमारी स्मरण करने की विधियों में उन्नति के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं । इस कथन की सत्यता के बावजूद भी कुछ उपाय या नियम ऐसे हैं, जो स्मृति की उन्नति में सहायता देते हैं; 
  • दृढ़ निश्चय: बालक जिस बात को याद करना चाहते हैं, उसे याद करने के लिए उनमें दृढ़ निश्चय होना चाहिए।
  • स्पष्ट ज्ञान : बालक जिस बात को स्मरण करना चाहते हैं, उसका लाभ और उद्देश्य उन्हें स्पष्ट रूप से ज्ञात होना चाहिए। 
  • प्रोत्साहन : बालकों को पाठ याद करने के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • पहले से समझाना : बालकों को जो पाठ याद करने के लिए दिया जाये, उसका अर्थ उन्हें पहले ही पूर्ण रूप से समझा दिया जाना चाहिए। 
  • रुचि उत्पन्न करना : बालकों को स्मरण करने के लिए जो पाठ दिया जाये, उसमें उनकी रुचि होनी चाहिए या रुचि उत्पन्न की जानी चाहिए । 
  • पूर्वज्ञान पर आधारित : बालकों को नवीन तथ्य बताये जायें, उनका उनके पूर्व ज्ञान से अधिक-से-अधिक सम्बन्ध स्थापित किया जाना चाहिए पाठ के शिक्षण के समय भी उसमें आने वाले तथ्यों को दूसरे तथ्यों से सम्बन्धित किया जाना चाहिए।
  • स्मरण के अधिक अवसर :बालकों की स्मरण करने की क्रिया, निष्क्रिय न होकर सक्रिय होनी चाहिए। अत: स्मरण करने के समय उनको अपनी ज्ञानेन्द्रियों का अधिक-से-अधिक प्रयोग करने का अवसर दिया जाना चाहिए। 
  • दोहराना : बालकों द्वारा स्मरण किया गया पाठ कुछ-कुछ समय के पश्चात् दोहराया जाना चाहिए। 
  • संवेगात्मक स्थिरता : पाठ याद करने के समय बालकों में भय, क्रोध, कष्ट, थकान, परेशानी आदि नहीं होनी चाहिए, अन्यथा उन्हें पाठ को स्मरण करने में बहुत देर लगती है और स्मरण करने के बाद वे उसे शीघ्र ही भूल जाते हैं। 
  • एकाग्रता : रायबर्न (Ryburn) के अनुसार-इस बात का पूर्ण प्रयास किया जाना चाहिए कि बालक अपने पाठ को एकाग्रचित होकर याद करें। 
  • स्मरण विधियाँ अपनाना : कोलेसनिक (Kolesnik) के अनुसार-स्मृति-प्रशिक्षण की तीन मुख्य विधियाँ हैं-
  1. निरीक्षण शक्ति का विकास करना।
  2. तार्किक शक्ति को बलवती बनाना।
  3. निर्णय की प्रक्रिया में उन्नति करना। 
यदि बालक इन नियमों और विधियों के अनुसार स्मरण करने का अभ्यास करें, तो वे अपनी स्मृति को निश्चित रूप से प्रशिक्षित करके अपनी स्मरण-शक्ति में उन्नति कर सकते हैं। मैक्डूगल का यह कथन अक्षरशः सत्य है: अभ्यास द्वारा स्मृति में अत्यधिक उन्नति की जा सकती है।
Memory can be indefinitely improved by practice. -McDougall

Read More...


परीक्षा-सम्बन्धी प्रश्न

1. 'स्मृति' से आप क्या समझते हैं ? इसके अंगों और विशिष्ट गुणों पर प्रकाश डालिए। 
What do you understand by 'memory'? Throw light on its factors and marks.
2. स्मृति के नियमों का उल्लेख करते हुए विचार- साहचर्य के सिद्धान्त का स्पष्टीकरण कीजिए। 
Mention the laws of memory and explain the principle of association of ideas.
3. स्मरण करने की विभिन्न विधियों में आप किसको सर्वोत्तम समझते हैं और क्यों ? अपने उत्तर की पुष्टि उदाहरण देकर कीजिए।
Which of the methods of memorizing do you consider best and why? Support your answer by giving examples. 
4. "स्मृति में प्रशिक्षण द्वारा उन्नति की जा सकती है।" इस कथन की आलोचना कीजिए । 
"Memory can be developed by training." Comment.
5. इस बात का स्पष्टीकरण कीजिए कि आप अग्रांकित कथन से क्यों सहमत या असहमत हैं-"किसी बात को कभी केवल रटकर याद नहीं किया जाना चाहिए।" 
Explain why you agree or disagree with the following statement: "Nothing should ever be learned solely by rote."
इस Blog का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों को अधिक से अधिक जानकारी एवं Notes उपलब्ध कराना है, यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया गया है।