Understanding Learning Disabilities: Dyslexia, Dysgraphia, Dyscalculia, Dyspraxia, Dysphagia, and ADHD in Hindi
Understanding Learning Disabilities
Learning Disabilities |
Learning Disabilities: सिखने की क्षमता या योग्यता में कमी को अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) कहते है।
Hellow! Dosto आज हम देखेगे अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) क्या-क्या हो सकती है और इसके कितने प्रकार हो सकते है साथ ही यह भी जानेगे कि (Learning Disabilities) परीक्षा कि दृष्टि से कितना महत्वपुर्ण है शिक्षार्थियो आपको बता दे की इस Topic से परीक्षा मे लगभग हर बार प्रश्न पूछ लिये जाते है तो दोस्तो इस topic को बहुत ध्यान से पढे -
This article is Important for CTET, UPTET, MPTET, KVS, NVS, and All Other Teaching Exams.
अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) का प्रमुख वर्गीकरण ब्रिटिश कोलंबिया एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय के द्वारा एक पुस्तक प्रकाशित हुई ''Supporting Student With Learning Disability'' [Tag Line - A Guide for Teachers] मे 10 प्रकार की अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) बताई गई है जो इस प्रकार से हैं।
- Dyslexia डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)
- Dysgraphia डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
- Dyscalculia डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
- Dysphasia डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
- Dyspraxia डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
- Dysorthography डिसऑर्थोग्राफ़िय (वर्तनी संबंधी विकार)
- Auditory Processing Disorder (श्रवण संबंधी विकार)
- Visual Perception Disorder (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
- Sensory integration or processing disorder (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
- Organisational learning disorder (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)
मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) के 6 मुख्य विकारों का वर्णन किया है जो कि निम्नलिखित है-
- डिस्लेक्सिया (Dyslexia)
- डिसग्राफिया (Dysgraphia)
- डिस्केलकुलिया (Dyscalculia)
- डिस्प्रेक्सिया(Dyspraxia)
- डिस्फेसिया (Dysphagia)
- डिस्ट्रेक्सिया ( Dystrexia) या (ADHD)
चलिये इन्हे विस्तृत मे समझते है-
1. डिस्लेक्सिया (Dyslexia)
पढ़ने से सम्बंधित कठिनाई
डिस्लेक्सिया |
डिस्लेक्सिया की खोज 1887 में नेत्र रोग विशेषज्ञ रुडोल्फ बर्लिन के द्वारा किया गया था। डिस्लेक्सिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है - कठिन भाषा (difficult speech)
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षण
वर्णमाला अधिगम में कठिनाई | इस विकार से ग्रसित बच्चे को अक्षर उल्टे ढंग से दिखते हैं जैसे 6 को 9 और B को D |
अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई | वाक्यों में शब्दों को आगे पीछे करके पढ़ना |
एकाग्रता में कठिनाई [शब्दों को उल्टा पुल्टा नहीं पढ़ पाने के कारण एकाग्रता में कठिनाई होती है] | अक्षरों को एक-एक करके धीमी गति से पढ़ना और स्मरण शक्ति क्षीण होना |
पढ़ते समय किसी शब्द या पंक्ति को छोड़ देना | वर्तनी दोष से पीड़ित होना |
दृष्टि या स्मृति संबंधी कठिनाई | भाषा का अर्थ पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना |
शब्दों को उल्टा करके पढ़ना | समान उच्चारण वाले ध्वनियों में अंतर ना कर पाना |
अक्षरों को इधर-उधर करके पढ़ना जैसे-59 को 69 पढ़ना | शब्दकोश का अभाव |
डिस्लेक्सिया की पहचान
उपर्युक्त लक्षण हालाँकि डिस्लेक्सिया की पहचान करने में उपयोगी होते हैं लेकिन इन लक्षणों के आधार पर पूर्णत: विश्वास के साथ किसी भी व्यक्ति को डिस्लेक्सिया है यह घोषित नहीं किया जा सकता है। डिस्लेक्सिया की पहचान करने के लिए सन् 1973 में अमेरिकन फिजिशियन एलेना बोडर ने बोर्ड टेस्ट ऑफ़ रीडिंग स्पेलिंग पैटर्न नामक एक परिक्षण का विकास किया। भारत में इसके लिए डिस्लेक्सिया अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट (Dyslexia Early Screening Test - Second DEST-2) और डिस्लेक्सिया स्क्रीनिंग टेस्ट (Dyslexia Screening Test) का प्रयोग किया जाता है।
डिस्लेक्सिया के कारण
- यह तंत्रिका तंत्र संबंधी विकृति से होता है
- वंशानुक्रम के द्वारा भी हो सकता है।
डिस्लेक्सिया का निदान
डिस्लेक्सिया का पूर्ण उपचार अंसभव है लेकिन इसको उचित शिक्षण - अधिगम पद्धति के द्वारा निम्नतम स्तर पर लाया जा सकता है।
2. डिस्ग्रफिया(Dysgraphia)
लिखने से सम्बंधित कठिनाई
डिस्ग्राफिया |
यह अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह लिखने मे वर्तनी संबंधी कठिनाई, ख़राब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है।
डिस्ग्रफिया के लक्षण
इसके निम्नलिखित लक्षण है –
विचारों को लिपि बंद करने में परेशानी | लेखन सामग्री पर सही पकड़ ना होना |
लेखन संबंधी कार्यों में कठिनाई | अनियमित रूप और अनियमित आकार वाले अक्षर लिखना |
लाइनों के कभी ऊपर कभी नीचे शब्दों को लिखना | अपठनीय हस्त लेखन |
शब्दों के बीच अनियमित स्थान को छोड़ना | लिखते समय खुद से बातचीत करते है |
अपूर्ण अक्षर या शब्द | पठनीय होने के बाद भी कॉपी करने में अधिक समय लगता है |
अक्षरों का आकार समझने में कठिनाई | कलम पकड़ने का ढंग ठीक नहीं होता है |
वर्तनी अशुद्ध लिखना | वाक्य ,शब्द छोड़कर या पुनरावृति करते हैं |
डिसग्राफिया के कारण
- लेखन संबंधी विकार
- वंशानुक्रम के कारण भी हो सकता है
- तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकृति है
डिसग्राफिया का उपचार
- इस विकार से ग्रसित बच्चे के पारिवारिक इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।
- भाषा वर्तनी उच्चारण बौद्धिक योग्यता स्मृति संबंधी परीक्षण किया जाना चाहिए।
- लेखन का अभ्यास ज्यादा से ज्यादा कराया जाना चाहिए।
3. डिस्केलकुलिया (Dyscalculia)
गणितीय गणना से सम्बंधित समस्या
डिस्केलकुलिया |
इसमे बच्चे को जोड़ घटाव गुणा भाग करने में बहुत समय लगता है या बच्चा नहीं कर पाता है। इस विकार से ग्रसित बच्चे सुस्त एवं आलसी होते हैं।
डिस्केलकुलिया के लक्षण
इसके निम्नलिखित लक्षण है –
नाम और चेहरा पहचानने में कठिनाई | गणितीय आकृति को पहचानने में समस्या |
अंक गणितीय क्रियाओ के अशुद्ध परिणाम निकालना | दिशा ज्ञान का अभाव |
अंक गणितीय क्रियाओं के चिन्हों को समझने में कठिनाई | नगद भुगतान से डर |
गिनने के लिए उंगलियों का प्रयोग करना | परिधि, क्षेत्रफल, बड़ा, छोटा पहचानने की समस्या |
गणितीय कार्य में परेशानी | श्रव्य दृश्य इंद्रियों से संबंधित कमी |
संख्या को पहचानने में समस्या | समय से संबंधित समस्या, दूरी एवं गहराई से संबंधित समस्या |
वित्तीय योजना या बजट बनाने में परेशानी | रुपया पैसे के लेनदेन में परेशानी |
चेक बुक के प्रयोग में कठिनाई | समय सारणी बनाने में कठिनाई |
डिस्केलकुलिया के कारण
इस विकार से ग्रसित बच्चे के मस्तिष्क में कार्टेक्स (Cortex) होता है जिससे बच्चा सही से काम नहीं करता है।
गहन चिंतन क्षमता में परेशानी भी इस विकार का कारण है।
स्मृति संबंधी समस्या भी इस विकार का कारण है।
डिस्केलकुलिया के उपचार
अभ्यास कराया जाना चाहिए
वास्तविक जिंदगी से जोड़कर बताना चाहिए
उचित शिक्षण रणनीति अपनाना चाहिए
गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए
वीडियो गेम्स, फ्लैशकार्ड, कंप्यूटर गेम, शतरंज, लूडो का प्रयोग करना चाहिए
गणित को सरल बना कर पढ़ाना और आसान विषय बताना।
4. डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia)
शारीरिक कौशल से सम्बंधित विकार
Dyspraxia |
डिस्प्रेक्सिया एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल या ब्रेन आधारित अक्षमता है, जो गतिक और किसी मे ताल-मेल (Coordination) बैठाने मे को दिक्कत आती है. जिन लोगों को डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia) है, उनके लिए हर वो काम जिसमें ताल-मेल बैठाने की जरूरत होती है, वह उनके लिए चुनौतीपूर्ण है. जैसे कि - खेल खेलना या कार चलाना सीखना, दोनो हाथो से ताली बजाना, आदि
डिस्प्रेक्सिया का क्या कारण है?
‘द मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार, डिस्प्रेक्सिया का मुख्य कारण यह है कि यह मस्तिष्क और शरीर के बीच संदेशों को सुचारु रुप से आदन-प्रदान करने मे कठिनायी उत्पन्न करता है।
5. डिस्फेशिया (Dysphasia)
भाषा से सम्बंधित विकार
What is Dysphasia ? |
यह भाषा संबंधी विकार है जो बोलने से संबंधित होता है यह ग्रीक भाषा के शब्द डिस और फेसिया से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - अक्षमता एवं वाक्
वाक् संबंधी विकार
- विचारों की अभिव्यक्ति मे व्याख्या के समय कठिनाई महसूस करते हैं।
- इस विकार से ग्रसित बच्चो मे बोलने में कठिनाई होती है।
डिस्फेशिया के कारण
इस विकार के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क छति (Brain Damage) को कारण माना जाता है।
6. ADHD (Attention Deficit Hyperactive Disorder) or डिस्ट्रेक्सिया (Dystrexia)
इसमें बच्चा एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और बहुत hyper active होता है।
What is ADHD ? |
एडीएचडी के लक्षण क्या है?
- कल्पना, सपनो और ख्यालों में खोएं रहना ।
- काफी बार चीजों को भूल जाना ।
- फुसफुसाहट और फिजूलखर्ची ज्यादा करना ।
- बहुत अधिक बोलना या बिलकुल न बोलना ।
- लापरवाह, गलतियाँ करें या अनावश्यक जोखिम उठाएं ।
- प्रलोभन का विरोध करने में कठिनाई होना ।
- मोड़ लेने में परेशानी होती है ।
- दूसरों के साथ मिलने में कठिनाई होती है ।
7. Dysmorphia (डिस्मोरफ़िया)
What is Dysmorphia ? |
शारीरिक भ्रम वाली स्थिति
इसमें व्यक्ति या बालक को यह भ्रम हो जाता है कि उसके शरीर के कुछ अंग अन्य लोगों के तुलना में छोटे हैं। या कुछ अंग अन्य लोगों की तुलना में अपूर्ण है। वह अपने शरीर के विभिन्न अंगों को दूसरे लोगों के साथ तुलना करने लगता है। इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके अधिगम पर पड़ता है।
डिस्मोरफ़िया के लक्षण
- डिस्मोरफ़िया में बालक अपने आप को हीन समझने लगता है।
- बालक को अपने शारीरिक अंगों में कमी दिखाई देने लगती है। यह कमी वास्तव में होती नहीं है उसके मन में भ्रम बैठ जाता है।
- बालक मनो भ्रम का शिकार हो जाता है।
- बालक अपने शारीरिक अंगों को दूसरे के साथ तुलना करने लगता है।
- व्यक्ति अपने शारीरिक अंगों को दूसरे के शारीरिक अंगों के सापेक्ष छोटा एवं अपूर्ण समझने लगता है।
8. डिस्थीमिया (Dysthymia)
तनाव से सम्बंधित
What is Dysthymia ? |
यह एक मानसिक विकार है। इस समस्या में गहरी उदासी और निराशा की भावना पैदा होने लगती है।
डिस्थीमिया के सामान्य लक्षण
- उदास, अकेला और निराशाजनक महसूस होना
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाना और बाद में पछता कर हताश होना
- सामान्य गतिविधियों में रुचि की कमी होना
- बहुत कम या बहुत ज्यादा सोना
- ऊर्जा की कमी
- भूख कम लगना या खाने की इच्छा में वृद्धि
- वजन कम होना या बढ़ना
- दोषी या बेकार महसूस करना
- निर्णय न ले पाना और असमंजस में रहना
Rights of Persons with Disabilities Act - 2016 (RPWD)
पीडब्ल्यूडी एक्ट 1995 के स्थान पर PWD Act 2016 लाया गया। पीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में पीडब्ल्यूडी एक्ट 1995 में मौजूदा विकलांगता के 7 प्रकारों से बढ़कर 21 प्रकार कर दिए गए और साथ ही यह भी सुनिश्चित कर दिया गया कि केंद्र सरकार के पास और विकलांगता के प्रकार जोड़ने की शक्ति भी होगी।
RPWD द्वारा सुझाई गई युक्तियाँ
- जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता और गैर भेदभाव
- स्कूल जाने वाले बच्चो का हर 5 साल में सर्वे करना
- Books, TLM, आदि उपलब्ध कराना
स्वलीनता / आत्मकेंद्रिता (Autism)
What is Autism ? |
स्वलीनता (Autism) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है, जो किसी व्यक्ति की कम्युनिकेट करने और खुद को व्यक्त करने की क्षमता, दूसरों के व्यवहार और अभिव्यक्ति को समझना, को प्रभावित करती है और सामाजिक कौशल को प्रभावित करती है। इस स्थिति से पीड़ित लोगों को स्वस्थ व्यक्तियों और सामान्य रूप से समाज के साथ बातचीत करने में परेशानी होती है।
ऑटिज्म के लक्षण (Autism Symptoms)
- जो बच्चे अपने नाम से पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
- उन गतिविधियों में रुचि की कमी जिनमें सामान्य बच्चे रुचि रखते हैं, जैसे अन्य बच्चों के साथ खेलना, अन्य बच्चों से मित्रता करना।
- माता-पिता या अजनबियों से बात करते समय आंखों के संपर्क से बचना।
- सामान्य भाषण विकसित करने में देरी।
- नीरस या रोबोटिक स्वर में बोलना।
- जो बच्चे अक्सर बात नहीं करते और अकेले रहना पसंद करते हैं।
- किसी व्यवहार को नियमित रूप से दोहराना, जैसे हाथों की एक निश्चित गति या शरीर को हिलाना।
- थोड़े जटिल प्रश्न या निर्देशों को समझने और उत्तर देने में परेशानी।
- छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना।
- जो शिशु भाव और हावभाव नहीं दिखाते हैं, वे 24 महीने की उम्र तक आवाज नहीं करते हैं और शिशु-भाषा में बोलते हैं।
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