संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत - जीन पियाजे (Jean Piaget) | With Important Question Answers

संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाए - 1. संवेदी-पेशीय अवस्था, 2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था, 3. मूर्त-संक्रियात्मक अवस्था, 4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था,

संज्ञानात्मक विकास का अर्थ - Jean Piaget

संज्ञानात्मक विकास से तात्पर्य संज्ञानात्मक योग्यताओं के विकास से है। संज्ञानात्मक योग्यता का अर्थ बुद्धि, चिंतन, कल्पना आदि से सम्बन्धित योग्यताए हैं।

जीन पियाजे का जन्म : 1806
जीन पियाजे का मृत्यु : 1980
जीन पियाजे को संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत तथा विकासात्मक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है। ये स्विट्ज़रलैंड के मनोवैज्ञानिक थे।

इन्होने अपने बच्चो और आस-पड़ोस के बच्चो पर संज्ञान / ज्ञानात्मक / मानसिक विकास का अध्ययन किया।
इस सिद्धांत को विकासात्मक सिद्धांत और अवस्था का सिद्धांत भी कहा जाता है।

संज्ञान का अर्थ : आयु वृद्धि के साथ बालक बालिकाओं के द्वारा वातावरण से ज्ञान ग्रहण करने की प्राक्रिया संज्ञान कहलाती है।

Jean Piaget ने कहा:

  • पियाजे के अनुसार बच्चे सक्रिय ज्ञान निर्माता तथा नन्हे वैज्ञानिक है जो संसार के बारे में अपने सिद्धांतो की रचना करते हैं।
  • पियाजे के अनुसार बच्चो की सोच (Thinking), बड़ों से प्रकार (Types) में अलग होती है, ना की मात्रा (Quantity) में।
  • पियाजे का मानना है की जैसे-जैसे बच्चो में जैविक परिपक्वता (Biological Maturation) आती है वैसे-वैसे वह वस्तुओं के बारे में अपने दिमाग में Concept बना लेते है।

संज्ञानात्मक-विकास-का-सिद्धांत
संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत (Cognitive Development Theory)

जीन पियाजे की 1923 से 1932 के बीच पाँच पुस्तकों को प्रकाशित किया गया, इसमें संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया।

जीन पियाजे की प्रमुख पुस्तके -
The Language and Thought of the Child.
The Psychology of The Child.
The Moral Judgment of the Child.

Concept of Cognitive Development :

जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की संकल्पाएँ इस प्रकार है -
1. अनुकूलन (Adaptation)
2. साम्यधारण (Equilibrium)
3. स्कीम्स (Schemes)
4. स्कीमा (Schema)

नोट: जितने भी Important Terms दिए गए है कोशिश करे इन्हें English में याद करे क्यूँकि हिंदी में इनके कई नाम है!

1. अनुकूलन (Adaptation)

वातावरण के अनुसार अपने आप को ढालना अनुकूलन कहलाता है। इसकी दो प्रक्रिया होती है। अनुकूलन (Adaptation) क्या है ? इसके बारे में और पढ़े... click here

I. आत्मसात्करण (Assimilation) : पूर्व ज्ञान को नए ज्ञान के साथ जोड़ना आत्मसात्करण कहलाता है।(आत्मसात्करण क्या है ? इसके बारे में और पढ़े... click here) जैसे -
आत्मसात्करण-Assimilation
आत्मसात्करण (Assimilation)

II. समायोजन (Accommodation) : पूर्व ज्ञान में परिवर्तन करके वातावरण के साथ तालमेल बिठाना समायोजन कहलाता है। इसके बारे में और पढ़े... click here

2. संतुलन / साम्यधारण (Equilibration)

इसके द्वारा बच्चा आत्मसात्करण और समायोजन की प्रक्रियाओं के बीच संतुलन कायम करता है।

3. स्कीम्स (Schemes)

व्यवहार की वह संगठित पैटर्न जिसे आसानी से दोहराया जा सके स्कीम्स कहलाती है।
किसी काम को करने के अलग-अलग तरीके होते है। 
उदाहरण: जब बच्चे को भूख लगती है तो वह रोता है क्योकि उसे पता है रोने से दूध मिलेगा।

4. स्कीमा (Schema)

बालाक बालिकाओ की मानसिक संरचना का व्यवहारगत परिवर्तन स्कीमा कहलाती है।
शरीर के द्वारा की जाने वाली क्रियाये (Activities) जो बुद्धि से जुड़ी रहती है।
eg: जैसे छोटा बच्चा ball पकड़ता है, ice cream चूसता है।

पियाजे की संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं संक्षेप में

अवस्था आयु विशेषताएँ
संवेदी-प्रेरक 0-2 वर्ष शिशु संवेदी अनुभवों का शारीरिक क्रियाओं के साथ समन्वय करते हुए संसार का अन्वेषण करता है।
पूर्व-संक्रियात्मक 2-7 वर्ष प्रतीकात्मक विचार विकसित होते हैं; वस्तु स्थायित्व उत्पन्न होता है; बच्चा वस्तु के विभिन्न भौतिक गुणों को समन्वित नहीं कर पाता है।
मूर्त-संक्रियात्मक 7-11 वर्ष बच्चा मूर्त घटनाओं के संबंध में युक्तिसंगत तर्क कर सकता है और वस्तुओं को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत कर सकता है। वस्तुओं की मानस प्रतिमाओं पर प्रतिवर्तनीय मानसिक संक्रियाएँ करने में सक्षम होता है।
औपचारिक सक्रियात्मक 11-15 वर्ष किशोर तर्क का अनुप्रयोग अधिक अमूर्त रूप से कर सकते हैं; परिकल्पनात्मक चिंतन विकसित होते हैं।

1. संवेदी पेशीय अवस्था (Sensory Motor Stage, 0 से 2 वर्ष)

इस अवस्था में बालक को वातावरण की जानकारी नही होती जिसके कारण बच्चा इस अवस्था में अपनी ज्ञानेन्द्रियो के माध्यम से सीखता है।
अतः संवेदी पेशीय अवस्था में बालक प्रत्येक वस्तु को स्पर्श करके / चखकर / सुनकर / देखकर वातावरण से ज्ञान ग्रहण करता है  
इसमें वस्तुस्थायित्व (Object Permanence) का गुण आ जाता है। यानी बच्चा अपने दिमाग में वस्तुओं की छाप बनाना शुरू कर देता है जिससे वह छिपी हुई वस्तु को भी ढूंढ लेता है।
इस अवस्था में बालक बालिकाओं में चिंतन का अभाव होता है
इस अवस्था में बालको का व्यवहार मुलप्रवृति पर आधारित होता है
पियाजे के अनुसार यह एक बौद्धिक कार्य है। पियाजे ने संवेदी पेशीय अवस्था को छह अवस्थाओं में विभाजित किया है। जो इस प्रकार है -

1. प्रतिवर्त्त क्रियाएँ (Reflex Activities): जन्म से 1 माह तक की अवस्था
2. प्रमुख वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Primary Circular Reactions): 1 से 3 माह तक की अवस्था
3. गौण वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Secondary Circular Reactions): 4 से 6 माह तक की अवस्था
4. गौण प्रतिक्रियाओं का समन्वय (Co-ordination of Secondary Reactions): 7 से 10 माह तक की अवस्था
5. तृतीय वृत्तीय प्रतिक्रियाएँ (Tertiary Circular Reactions) 11 से 18 माह तक की अवस्था
6. अन्तिम अवस्था (Final Stage of this period): लगभग 24 माह की अवस्था

2. पूर्व - संक्रियात्मक अवस्था (Pre-Operational Stage, 2 से 7 वर्ष) 

इस अवस्था में बालक अनुकरण द्वारा सर्वाधिक सीखता है 
इस अवस्था में बालक गिनती व अक्षर लिखना सीख जाता है, जैसे- नाम पूछने पर नाम बताना, शरीर के अंगो के नाम बताना आदि,
इसके भी कुछ उप-अंग है जो इस प्रकार है -

जीववाद (Animism) : जब बच्चा सजीव और निर्जीव वस्तुओं में अंतर नहीं कर पाता।

अहंकेंद्रित (Egocentrism) : जब बच्चा यह सोचना शुरू कर देता है की जो वह कर रहा है सोच रहा है, वह सब ठीक है।

अपलटावी (Irreversibility) : इसमें बच्चा वस्तुओ, संख्याओं, समस्या आदि को उलटना पलटना नहीं सीखता।
उदाहरण:
3 + 7 = 10
7 + 3 = ?
(iv). मुद्रा संप्रत्यय, दूरी, भार, ऊंचाई आदि के समझ की कमी इसी अवस्था में होती है।

(v) केन्द्रीकरण (centration) : जब बच्चा किसी वस्तु की सारी विशेषताओं को छोड़कर केवल एक विशेषता पर ध्यान देते है।

3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage, 7 से 11 or 12 वर्ष) :

इस अवस्था में बच्चा मूर्त चिंतन करने लगता है मतलब जो वस्तुए बच्चे के सामने रखी हुई है उसे देखकर ही समझ व सीख सकता है।
इस अवस्था में बालक दो वस्तुओ में समानता असमानता व तुलना करना सीख जाता है।
दिन, दिनांक, माह, वर्ष का ज्ञान हो जाता है ।
इस अवस्था में अपलटावी, जीववाद, मुद्रा, भार आदि का गुण विकसित हो जाता है । 
इस अवस्था में बालको में भाषाई कौशलो का पूर्ण विकास व भाषा का भी पूर्ण विकास हो जाता है ।
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था में बालक में संरक्षण (परिवर्तन) व विकेंद्रण (वस्तुनिष्ठ) की भावना का भी विकास हो जाता है ।

आगमनात्मक तर्कणा (Inductive Reasoning) : जब बच्चा उदाहरण के ऊपर आधारित होकर तर्क करने लगता है। जैसे - बच्चे से ये पूछना की पेड़ हमारे लिए जरुरी है या नहीं? बच्चा जवाब देगा हां जरुरी है, क्योकि इससे हमें Oxygen मिलती है।

4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage, 11 or 12 वर्ष से ऊपर)

यह संज्ञान की सर्वोच्च अवस्था है। इसमें बच्चा अमूर्त चिंतन करने लग जाता है और चिंतन में परिवक्वता आ जाती है। अतः कह सकते है कि बालको का मानसिक विकास पूर्ण रूप से हो जाता है।
इसी अवस्था में बच्चा अपनी पहचान बताना, अपनी प्रसंशा सुनना पसंद करने लगता है।

आलोचनात्मक तर्कणा : इसमें बच्चा तर्क - वितर्क करने लगता है।
निगमनात्मक तर्कणा : इसमें बच्चा नियमों के ऊपर तर्क करने लगता है।
उदाहरण : गणित के प्रश्नों को अंतर बुद्धि में ही हल कर देते है। क्योंकि नियम का ज्ञान होता है।

प्रश्नोत्तर

संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत (जीन पियाजे) से सम्बन्धी अब तक के परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का अद्भुत संग्रह जो आने वाले विगत वर्षो में परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है :

Q1. बच्चों के बौद्धिक विकास की चार विशिष्ट अवस्थाओं का प्रतिपादन किसने किया ? 
(a) कोलबर्ग द्वारा
(b) स्किनर द्वारा
(c) पियाजे द्वारा
(d) एरिकसन द्वारा
Answer - B
Q2. वह अवस्था जब बच्चा तार्किक रूप से वस्तुओं व घटनाओं के विषय में चिंतन प्रारंभ कर देता है?
(a) पूर्व संक्रियात्मक अवस्था 
(b) मूर्त-संक्रियात्मक अवस्था 
(c) संवेदी-प्रेरक अवस्था
(d) औपचारिक-संक्रियात्मक अवस्था
Answer - D

Q3. पियाजे के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सी अवस्था में बच्चा अमूर्त संकल्पनाओं के विषय में तार्किक चिंतन करना आरंभ करता है? 
(a) संवेदी- प्रेरक अवस्था (जन्म से 2 वर्ष) 
(b) पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (02-07 वर्ष) 
(c) मूर्त-संक्रियात्मक अवस्था (07-11 वर्ष) 
(d) औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 वर्ष एवं ऊपर)
Answer - D

Q4. पियाजे के अनुसार विकास की पहली अवस्था जन्म से 2 वर्ष आयु के दौरान बच्चा ____ सबसे बेहतर सीखता है।
(a) इंद्रियों के प्रयोग द्वारा 
(b)निष्क्रिय (neutral) शब्दों को समझने के द्वारा
(c) अमूर्त तरीके से चिंतन द्वारा 
(d) भाषा के नए अर्जित ज्ञान के अनुप्रयोग द्वारा
Answer - A

Q5. पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के चरणों के अनुसार, इंद्रिय गामक (संवेदी प्रेरक) अवस्था किसके साथ संबंधित हैं? 
(a) अनुकरण, स्मृति और मानसिक निरूपण 
(b) तार्किक रूप से समस्या समाधान की योग्यता 
(c) विकल्पों के निर्वचन और विश्लेषण करने की योग्यता 
(d) सामाजिक मुद्दों के सरोकार
Answer - A

Q6. पियाज़े के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास के किस चरण पर बच्चा वस्तु स्थायित्व को प्रदर्शित करता है?
(a) संवेदी प्रेरक चरण 
(b) पूर्व-संक्रियात्मक चरण
(c) मूर्त संक्रियात्मक चरण 
(d) औपचारिक संक्रियात्मक चरण
Answer - A

Q7. पियाज़े के अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है, कहलाती है ।
(a) समावेशन
(b) स्कीमा
(c) प्रत्यक्षण
(d) समायोजन
Answer - D

Q8. मानसिक विकास की औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था की मुख्य विशेषता क्या है?
(a) अमूर्त चिंतन
(b) मूर्त चिंतन 
(c) सामाजिक चिंतन
(d) अहम् - केंद्रित व्यवहार
Answer - A

Q9. निम्न में से कौन सा निहितार्थ पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत से नही निकाला जा सकता है? 
(a) बच्चों की अधिगमनात्मक तत्परता के प्रति संवदेनशीलता
(b) वैयक्तिक भेदों की स्वीकृति 
(c) खोजपूर्ण अधिगम
(d) शाब्दिक शिक्षण की आवश्यकता
Answer - D

Q10. एक वर्ष तक के शिशु जब आँख, कान व हाथों से सोचते हैं, तो निम्नलिखित में से कौन-सा स्तर शामिल होता हैं?
(a) मूर्त संक्रियात्मक स्तर
(b) पूर्व-संक्रियात्मक स्तर 
(c) इंद्रिय गामक स्तर 
(d)अमूर्त संक्रियात्मक स्तर
Answer - C

Q11. छिपी हुई वस्तुएँ ढूँढ निकालना इस बात का संकेत है कि शिशु, निम्नलिखित में से किस संज्ञानात्मक कार्य में दक्षता प्राप्त कर लिया है?
(a) साभिप्राय व्यवहार 
(b) वस्तु- स्थायित्व
(c) समस्या समाधान 
(d) प्रयोग करना
Answer - B

Q12. पियाजे के सिद्धांत के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा व्यक्ति के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित नहीं करेगा?
(a) समाजिक अनुभव 
(b) परिपक्वन
(c) क्रियाकलाप
(d) भाषा
Answer - A

Q13. प्रचलित योजनाओं में नई जानकारी सम्मलित करना क्या कहलाता है ?
(a) साम्यधारण
(b) आत्मसात्करण
(c) संगठन
(d) समायोजन
Answer - B

Q14. पियाजे के सिद्धान्त के अनुसार, बच्चे निम्न में से किसके द्वारा सीखते है? 
(a) सही प्रकार से ध्यान लगाकर जानकारी को याद करना
(b) समाज के अधिक योग्य सदस्यों के द्वारा उपलब्ध कराए गए सहारे के आधार पर 
(c) अनुकूलन की प्रक्रियाए
(d) उपयुक्त पुरस्कार दिए जाने पर अपने व्यवहार में परिवर्तन करना
Answer - C

Q15. नवीन जानकारी को शामिल करने के लिए वर्तमान स्कीमा (अवधारणा) में बदलाव की प्रक्रिया कहलाती है।
(a) अनुकूलन 
(b) आत्मसात्करण
(c) समायोजन 
(d) अंहकेद्रिता
Answer - C

Q16. अमूर्त वैज्ञानिक चिन्तन के लिए क्षमता का विकास निम्नलिखित अवस्थाओं में से किसकी एक विशेषता है?
(a) संवेदी-गतिक अवस्था
(b) पूर्व संक्रियात्मक अवस्था 
(c) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था 
(d) औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
Answer - D

Q17. मानसिक संरचनाएँ जो चिन्तन के निर्माण प्रखंड हैं. इसके लिए पियाजे ने किस शब्द/पद का प्रयोग किया है ?
(a) स्कीमा अवधारणाएँ 
(b) विकास का क्षेत्र 
(c) जीन
(d) परिपक्वन प्रखंड
Answer - A

Q18. निम्नलिखित में से कौन सा एक जोड़ा सही है ? 
(a) मूर्त संक्रियात्मक बच्चा - संधारण एवं वर्गीकरण करने योग्य 
(b) औपचारिक संक्रियात्मक बच्चा - अनुकरण प्रारंभ, कल्पनापरक खेल 
(c) शैशवावस्था - तर्क का अनुप्रयोग और अनुमान लगाने में सक्ष 
(d) पूर्व संक्रियात्मक बच्चा - निगमनात्मक विचार
Answer - A

Q19. रूही कहती है, धूप में कपड़े जल्दी सूख जाते । वह किस समझ को प्रदर्शित कर रही है। हैं। 
(a) प्रतीकात्मक विचार
(b) अहंकेंद्रित चिंतन 
(c) कार्य-कारण
(d) विपर्यय चिंतन
Answer - C

Q20. पियाजे के अनुसार, विकास को प्रभावित करने में निम्न कारकों में से किसकी भूमिका महत्वपूर्ण है?
(a) अनुकरण
(b) पुनर्बलन
(c) भाषा
(d) भौतिक विश्व के साथ अनुभव
Answer - D

Q21. पूर्व संक्रियात्मक काल में आने वाली संज्ञानात्मक योग्यता है ?
(a) दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की योग्यता 
(b) अभिकल्पनात्मक निष्कर्ष चिंतन 
(c) अमूर्त चिंतन की योग्यता 
(d) लक्ष्य उद्दिश्ट व्यवहार की योग्यता
Answer - D

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