वन एवं वन्य जीवो का संरक्षण Forest and Wild Life Protection
सामाजिक वानिकी एवं पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन संस्थान - प्रयागराज
भारतीय वनस्पति उद्यान - कोलकाता
वन आनुवांशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान - कोयम्बटूर
वन एवं वन्य जीव संरक्षण Forest & Wild Life Protection
Forest-and-Wild-Life-Protection |
प्राकृतिक वनस्पति
- घास के मैदान, झाड़ियाँ और पौधे जो मानव सहयोग के बिना उद्भूत होते हैं, प्राकृतिक वनस्पति कहलाते हैं. इनसे हमें भोजन, ईंधन, चारा तथा औषधियाँ प्राप्त होती हैं.
- प्राकृतिक वनस्पतियों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है - (i) वन वन परिपूर्ण वर्षा वाले क्षेत्रों में में उगते हैं, (ii) घास स्थल जहाँ मध्यम वर्षा होती है वहाँ घास स्थल पाये जाते हैं, (iii) कटीली झाड़ियाँ ये शुष्क क्षेत्रों में उत्पन्न होती हैं.
- वन - विस्तृत क्षेत्र वृक्षादित सम्पूर्ण जैविक क्षमता को सुधारने वाला क्षेत्र वन कहलाता है.
- वन को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जाता है (i) उष्ण कटिबंधीय वन, (ii) शीतोष्ण कटिबंधीय वन, (iii) शंकुधारी वन.
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन भूमध्यरेखा तथा उष्ण कटिबंध के पास पाये जाते हैं. यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है.
- ब्राजील के उष्ण कटिबंधीय वनों को सेल्वासकहते हैं.
- ब्राजील के उष्ण कटिबंधीय वन इतने विशाल हैं कि ये पृथ्वी के फेफड़े की तरह दिखाई पड़ते हैं.
- लॉयन टेल्ड लंगूर पश्चिमी घाट के वर्षा वनों में पाया जाता है.
शीतोष्ण सदाबहार वन
शीतोष्ण सदाबहार वन भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्य तथा दक्षिणी अमेरिका तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाये जाते हैं. इनमें चीड़, यूकेलिप्टस जैसे वृक्ष पाये जाते हैं.शीतोष्ण पर्णपाती वन
ये वन उत्तर-पूर्वी अमेरिका, चीन, न्यूजीलैण्ड, चिली तथा पश्चिम यूरोप में पाये जाते हैं. इन वनों में वालनट, चेस्टनट आदि वृक्ष पाये जाते हैं.
भूमध्य सागरीय वन
- भूमध्य सागरीय प्रदेश को फलों की कृषि कारण 'विश्व का फलोद्यान' कहा जाता है.
- इस वन में संतरा, अंजीर, जैतून, नींबू, अन् अंगूर आदि फल वाले वृक्ष आते हैं.
- ये वन महाद्वीपों के पश्चिमी और दक्षिणी-पि किनारों पर पाये जाते हैं.
शंकुधारी वन
इसे टैगा वन भी कहा जाता है. चीड़, तथा देवदार इस वन के महत्वपूर्ण वृक्ष यूरोप, एशिया व उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों वन पाये जाते हैं.कच्छ वनस्पति (मैंग्रोव वन)
- विश्व की कुल 3% मैंग्रोव वनस्पतियाँ भार पायी जाती हैं.
- विश्व की उष्ण कटिबन्धीय तथा उ कटिबन्धीय समुद्रतटीय रेखा का 60-70 प्रति भाग मैंग्रोव वनस्पतियों से आच्छादित है.
- मैंग्रोव वनस्पतियाँ निम्नलिखित क्षेत्रों में पायी जाती हैं - अंतः ज्वारीय, एश्चुअरी, क्रीक और अंतःज्वारीय, दलदली भूस्थलों में.
- पश्चिम बंगाल में देश का सर्वाधिक कच्छ वनस्पति क्षेत्र है और इसके बाद गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का नाम आता है.
- कच्छ वनस्पति का क्षेत्र भारत के 12 तटीय एवं संघीय राज्यों में है.
- मैंग्रोव पौधे खारे जल से लवण को अलग कर ताजे जल को अवशोषित करते हैं.
- मैंग्रोव वन को पृथ्वी पर आर्द्र भूमियों की जैव विविधता का संरक्षक माना जाता है.
- इसकी जड़ें गुरुत्वाकर्षण के विपरीत बढ़ती हैं और सतह के ऊपर आ जाती हैं.
- मैंग्रोव सामान्यतः ऑक्सीजन की कमी वाले स्थानों पर उगते हैं.
- 2015 में सर्वाधिक मैंग्रोव क्षेत्रफल की वृद्धि महाराष्ट्र में दर्ज की गयी है.
मैंग्रोव की वनस्पति
पादप वर्ग - कैरलोप्स, एबिसिनिया, राइजोफोरा प्रजाति, पेम्किम, नाइपा, ऐजिसिरस, ब्रूगेरिया, एकेन्थस, एजिनिटिज, एकेन्थस, लेगुनकुलेरिया, ऐक्सोकेरिया, एक्रोस्टिकम आदि.प्राणिजात - द्विलिंगी किलीफिस, जंगली सुअर, हिरन, लोमड़ी, ऊदबिलाव, बन्दर, मेढक, मगरमच्छ, साँप, ग्रे हेरोन, इग्रेट, किंग फिशर, केकड़े, ऊकालैक्टेल, ऊका बोकान्स आदि.
मैंग्रोव के प्रकार
लाल मैंग्रोव - इसका वैज्ञानिक नाम राइजोफेरा मैगल है. इसकी श्रेणी में वे पौधे आते हैं जो बहुत अधिक खारे पानी को सहन करने की क्षमता रखते हैं.काली मैंग्रोव - इसका वैज्ञानिक नाम एबीसिनिया जर्मीनेंस है. इस श्रेणी में वे पौधे आते हैं जिनमें खारे पानी को सहन करने की क्षमता लाल मैंग्रोव से कम होती है.
सफेद मैंग्रोव - इसका वैज्ञानिक नाम लेगुनकुलेरिया रेसिमीसा है. सफेद मैंग्रोव का नाम इसकी चिकनी सफेद छाल के कारण पड़ा.
सफेद मैंग्रोव - इसका वैज्ञानिक नाम लेगुनकुलेरिया रेसिमीसा है. सफेद मैंग्रोव का नाम इसकी चिकनी सफेद छाल के कारण पड़ा.
बटनवुड मैंग्रोव - ये झाड़ी के आकार के पौधे होते हैं.
अवश्य देखें
- किस प्रकार के वनों में बिना अनुमति के समस्त प्रकार की गतिविधियाँ प्रतिबन्धित होती हैं? - आरक्षित वन
- भारत के कुल क्षेत्रफल में वनों का क्षेत्रफल कितना है? - 21%
- वृक्षाच्छादित क्षेत्र सर्वाधिक है - पूर्वी दक्कन में
- शुष्क मरुस्थलीय वनस्पति किस वर्षा वाले क्षेत्र में पायी जाती है? - 50 सेमी. से कम
- विश्व का सबसे बड़ा साँप एनाकोण्डा दक्षिणी अमेरिका के किस वन में पाया जाता है? - उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
- भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में सघन वनावरण का प्रतिशत है - लगभग 12 प्रतिशत
- भारत में मैंग्रोव (ज्वारीय वन) वनस्पति मुख्यतः पायी जाती है. - सुंदरवन
- ध्रुवीय क्षेत्रों में कौन-सी वनस्पति पायी जाती है? - टुण्ड्रा वनस्पति
- धूमध्यसागरीय प्रदेश को फलों की कृषि के कारण क्या कहा जाता है? - विश्व का फलोद्यान
- विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव है. - सुंदरवन
- भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव है - भितरकनिका (ओडिशा)
मैंग्रोव के लाभ
- मैंग्रोव वन खाद्य पदार्थ, चारा, ईंधन लकड़ी तथा औषधीय जड़ी-बूटियाँ उपलब्ध कराते हैं.
- मैंग्रोव वनस्पतियों की समुद्रतटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक कवच माना जाता है.
- ये स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं.
- ये बाढ़ के खतरे को कम करते हैं.
- वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ओडिशा में राष्ट्रीय कच्छ वनस्पति आनुवांशिक संसाधन केन्द्र स्थापित किया गया है.
- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मुहानों में विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव सुंदरवन है.
- भारत का सर्वाधिक मैंग्रोव आच्छादित जिला दक्षिण चौबीस परगना (प. बंगाल) है.
भूमण्डल पर पाये जाने वाले वन
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन, उष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले वन, शीतोष्ण कटिबन्धीय सदा हरित वन, शीतोष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन, शीत कटिबन्धीय कोणधारी वन, उष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान, शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान.
भारत में वन
उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
- इसके अन्य नाम उष्ण कटिबंधीय
सदाबहार वन भूमध्यरेखीय सदाबहार वन और अधिक वर्षा वाला सदाबहार वन हैं.
- ये वन अत्यंत घने होते हैं
जिससे सूर्य का प्रकाश जमीन पर नहीं पहुँच पाता है.
- इन वनों में 45-60 मीटर तक ऊँचे वृक्ष पाये जाते
हैं.
- इन वनों की भूमि दलदली होने
से इनका विदोहन कठिन होता है. ये औद्योगिक महत्व वाले वन हैं. इनका आर्थिक
महत्व कम है.
- इन वनों का क्षेत्र पश्चिमी घाट, मेघालय, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, हिमालय का तराई क्षेत्र है. ताड़, महोगनी, नारियल, आबनूस, बाँस, रोजवुड, बेंत, गुर्जन प्रमुख वृक्ष हैं.
उष्ण कटिबन्धीय पतझड़ वन
- इसके अन्य नाम मानसूनी वन, उष्ण कटिबन्धीय शुष्क
पर्णपाती वन, उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र
पर्णपाती बन हैं. इनके क्षेत्र दक्कन का पठार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि हैं.
- इन वनों में खैर, बबूल, पलाश, अमलताश, साल, सागौन, महुआ, आम, शीशम, चंदन, आँवला, साखू आदि हैं.
मरुस्थलीय वन
- इसके अन्य नाम शुष्क वनस्पति, शुष्क मरुस्थलीय काँटेदार
वनस्पति हैं. ये 50 सेमी. से कम वर्षा वाले
क्षेत्र में पाये जाते हैं.
- गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक इसके क्षेत्र हैं.
- करील, खजूर, बेव, बबूल, नागफनी, रोहिड़ा • आदि प्रमुख वन वृक्ष हैं.
डेल्टाई वन
- इस वन के अन्य नाम समुद्री, खाड़ी वनस्पति और मैंग्रोव वन
है.
- ये समुद्रतटीय भागों या
डेल्टाओं में आर्द्रवन के नाम से जाने जाते हैं.
- ये तटीय प्रदेशों में पाये
जाते हैं. सुंदरीवन, रबर, नारियल, ताड़, मैंग्रोव प्रमुख वृक्ष हैं.
हिमालय क्षेत्र की वनस्पति
इस
क्षेत्र की वनस्पति के वितरण में ऊँचाई का महत्वपूर्ण प्रभाव है. ऊँचाई बढ़ने के
साथ-साथ तापमान में कमी आती है.
हिमालय की वनस्पति पेटियाँ
पश्चिमी हिमालय की वनस्पति पेटियाँ
ऊंचाई | वनस्पति पेटियाँ |
---|---|
4570 मी. से ऊपर | हिमरेखा |
3660-4570 मी. तक | अल्पाइन वनस्पति |
1520-3660 मी. तक | शीतोष्ण कटिबंधीय वन |
520-1520 मी. तक | उपोष्ण कटिबंधीय वनस्पति |
10-520 मी. तक | शुष्क सवाना वनस्पति |
पूर्वी हिमालय की वनस्पति पेटियाँ
ऊँचाई | वनस्पति पेटियाँ |
---|---|
5100 मी. से ऊपर | हिमरेखा |
4875-5100 मी. तक | टुण्ड्रा वनस्पति |
3660-4875 मी. तक | अल्पाइन वनस्पति |
2740-3660 मी. तक | शीत शीतोष्ण वनस्पति |
1830-2740 मी. तक | शीतोष्ण वनस्पति |
900-1830 मी. तक | उपोष्ण वनस्पति |
0-900 मी. तक | उष्णकटिबंधीय पतझड़ वनस्पति |
भारत में वनों का प्रतिशत
भौगोलिक प्रदेश | प्रतिशत |
---|---|
अण्डमान-निकोबार में | 86.9% |
प्रायद्वीपीय पहाड़ियाँ व पठार | 56% |
उत्तर-पूर्व भारत में | 21% |
हिमालय प्रदेश | 19% |
दक्षिण भारत में | 19% |
उत्तर-पश्चिम भारत में | 11% |
पश्चिमी घाट व तटीय प्रदेश | 10% |
पूर्वी घाट व तटीय प्रदेश | 10% |
विशाल मैदान | 5% |
इन्हें अवश्य देखें
- कश्मीर से झेलम तक और पूर्वी
हिमालय में चित्राल से नेपाल तक मिलने वाली हिमालयी लकड़ी है - श्वेत सनोवर
- उच्चावच क्षेत्र के आधार पर
किस क्षेत्र में वनावरण प्रतिशत सबसे अधिक है? - 0 से 500 मी. तक (52.50%)
- किस वन की लकड़ी की छाल का
उपयोग चमड़ा पकाने तथा रंगने में किया जाता है? - ज्वारीय वन
- भारत का वह कौन-सा राज्य है, जिसका वनाच्छादित क्षेत्रफल
सर्वाधिक है? - मध्य प्रदेश
- भारत में अति सघन वनों का
सर्वाधिक क्षेत्र जिस राज्य में पाया जाता है. वह है - अरुणाचल प्रदेश
- वन अनुसंधान संस्थान कहाँ
स्थित है? - देहरादून
- वन ह्रास का मुख्य कारण क्या
है? - औद्योगिक विकास
- भारत के किस राज्य में उसके
क्षेत्र का अधिकतम प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है? - मिजोरम
पर्वतीय वनों की विशेषताएँ
विशेष उपयोगी एवं मूल्यवान लकड़ियाँ, ऊँचाई के अनुसार वृक्ष व वनों की श्रेणी में भिन्नता, वनों में अनेक उत्पादों, दवा, जड़ी-बूटी व कच्चे माल की प्राप्ति आदि.हिमालय प्रदेश की लकड़ियाँ - श्वेत सनोवर, स्प्रूस, नीला पाइन, चीड़, देवदार आदि हैं.
मानसून वनों की लकड़ियाँ - सागौन, साल, चन्दन, सुन्दरी, आबनूस आदि हैं.
राष्ट्रीय वन नीति
- स्वतंत्रता के पहले सन् 1855 में पेगू के वन अधीक्षक डॉ.
क्लेलैण्ड की सिफारिश पर भारतीय वानिकी चार्टर की उद्घोषणा की गयी.
- अप्रैल, 1864 को डेट्रीच ब्रैंडिस की
नियुक्ति भारत के पहले महावन निरीक्षक के पद पर की गयी. भारत में इन्हें 'भारतीय वानिकी का पिता' कहा जाता है.
- 1878 में पारित व्यापक वन अधिनियम
में वनों को आरक्षित वन, संरक्षित वन, ग्रामीण वन तीन वर्गों में बाँटा गया है.
- भारत की पहली वन नीति 1894 में डॉ. वोल्कर की सिफारिश पर
तैयार की गयी.
- स्वतंत्र भारत की पहली
राष्ट्रीय वन नीति 12 मई, 1952 को तैयार की गयी.
- 7 फरवरी, 2003 को राष्ट्रीय वन आयोग के गठन
की अधिसूचना जारी की गयी.
1988 की नयी राष्ट्रीय वन नीति
- इस वन संरक्षण नीति के
अंतर्गत ही सामाजिक वानिकी कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया.
- वनों की उत्पादकता बढ़ाकर
वनों पर निर्भर ग्रामीण जनजातियों को इमारती लकड़ी, ईंधन, चारा और भोजन आदि उपलब्ध
करवाना.
- देश की प्राकृतिक धरोहर, जैव विविधता तथा आनुवांशिक
पूल का संरक्षण करना.
- देश के सम्पूर्ण भौगोलिक
क्षेत्रफल के एक-तिहाई भाग पर वनारोपण करना.
नई राष्ट्रीय वन नीति, 2016
- 24 जून, 2016 को इस नई नीति का सुझाव जनता
के सामने प्रकट किया गया .
- इस नीति के तहत एक तिहाई वन
क्षेत्र का लक्ष्य यथावत् रखते हुए, पर्वतीय क्षेत्रों में दो-तिहाई वन क्षेत्र की
बाध्यता समाप्त की गयी .
- नागरिकों पर हरित कर का आरोपण
किया गया.
- ईको टूरिज्म को विकसित किया
गया.
- वन को होने वाले नुकसान को कम
करने के लिए तकनीकी का प्रयोग किया गया.
- इसमें वुड इज गुड की नीति
अपनायी गयी.
- राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के
बोर्डों द्वारा वन संबंधी प्रबन्धन.
सामाजिक वानिकी
- राष्ट्रीय वन नीति में
सामाजिक वानिकी को इस प्रकार परिभाषित किया गया है “लोगों की लोगों के लिए तथा
लोगों के द्वारा वानिकी .”
- यह कार्यक्रम कनाडा तथा
स्वीडन के तकनीकी सहयोग से संचालित हो रहा है तथा इसे वित्तीय मदद विश्व बैंक
से प्राप्त होती है.
- उद्योगों के लिए कच्चा माल
देना, वन क्षेत्रों का विकास करना, वनारोपण द्वारा ग्रामीण
क्षेत्रों में रोजगार के अवर देना सामाजिक वानिकी केलक्ष्य हैं.
- सामाजिक वानिकी के तीन घटक (i) शहरी वानिकी, (ii) सामुदायिक वानिकी एवं (ii) कृषि वानिकी हैं.
शहरी वानिकी - इसमें पार्क, सड़कों, औद्योगिक तथा व्यापारिक स्थलों आदि जगहों पर वृक्ष रोपित किये जाते हैं.
सामुदायिक वानिकी - इसके अंतर्गत सामुदायिक वृक्ष लगाये जाते हैं. इसका एक लक्ष्य यह है कि भूमिहीन लोगों को भी वानिकीकरण से जोड़कर उन्हें भू-स्वामियों की तरह फायदा प्राप्त कराना है.
कृषि वानिकी - इसके
अंतर्गत वानिकी और खेती साथ-साथ चलती है. वानिकी द्वारा वाणिज्यिक व घरेलू
आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है.
वनों से संबंधित संगठन
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय
- इसका गठन 17 सितम्बर, 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री
राजीव गाँधी के विशेष प्रयास द्वारा किया गया.
- यह मंत्रालय पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण एवं वन क्षेत्र का विकास करता है.
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
- इसका गठन वर्ष 1890 में किया गया. पुनः 1954 में इसका पुनर्गठन किया गया.
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है.
- यह पादप संसाधनों पर वर्गिकी
और वानस्पतिक अध्ययन करने वाला देश का शीर्ष संगठन है.
- यह सर्वेक्षण पर्यावरण एवं वन
मंत्रालय के अधीन कार्य करता है.
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
प्रयोगशाला की स्थापना दिसम्बर 1957 में लखनऊ में की गयी.
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के चार क्षेत्र हैं -
- पूर्वी क्षेत्र इसकी स्थापना 1 अप्रैल, 1956 में की गयी, मुख्यालय शिलांग में है.
- पश्चिमी क्षेत्र इसकी स्थापना
12 दिसम्बर, 1955 को की गयी, इसका मुख्यालय पुणे में है.
- उत्तरी क्षेत्र इसकी स्थापना 1 अगस्त, 1956 को की गयी, इसका मुख्यालय देहरादून में
है.
- दक्षिणी क्षेत्र इसकी स्थापना 10अक्टूबर, 1955 को की गयी, इसका मुख्यालय कोयम्बटूर में है.
भारतीय वन सर्वेक्षण
- इसका गठन 1 जुलाई, 1981 को किया गया. इसका मुख्यालय
देहरादून में है.
- इसके क्षेत्रीय कार्यालय
शिमला, बंगलुरु, नागपुर और कोलकाता में स्थित
हैं.
- यह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय
के अधीन काम करतहै.
- इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं -
- (i) पूर्वी क्षेत्र जिसका मुख्यालय कोलकाता है.
- (ii) मध्य क्षेत्र जिसका मुख्यालय नागपुर में है.
- (iii) उत्तरी क्षेत्र जिसका मुख्यालय शिमला है.
- (iv) दक्षिणी क्षेत्र जिसका मुख्यालय बंगलुरू है.
भारत वन स्थिति रिपोर्ट
यह
रिपोर्ट रिमोट सेंसिंग आधारित उपग्रह चित्रण के माध्यम से तैयार की जाती है.
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण
इसका
गठन 1 जुलाई, 1916 को किया गया.
मुख्यालयकोलकाता में है. यह पशु विविधता के सर्वेक्षण सम्बन्धी कार्य करता है.
इसके 16 क्षेत्रीय
केंद्र हैं.
भारतीय वन प्रबन्धन
संस्थान
यह एशिया का पहला संस्थान है जो अनुसंधान एवं केस स्टडी के आधार पर पढ़ाता है. यह
संस्थान भोपाल, मध्य
प्रदेश में है.
भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्
इसकी
स्थापना वर्ष 1987 में
की गयी. इस अनुसंधान परिषद् के अंतर्गत निम्नलिखित केंद्र हैं
सामाजिक
वानिकी एवं पारिस्थितिकी पुनर्वासन केंद्र इलाहाबाद.
वानिकी
अनुसंधान एवं मानव संसाधन विकास केंद्र छिंदवाड़ा.
राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो
इसका
गठन 1976 में
किया गया और मुख्यालय नई दिल्ली में है. इसके 10 क्षेत्रीय कार्यालय
हैं.
वन महोत्सव
- 1950 में कृषि मंत्री के. एम.
मुंशी ने अधिक वृक्ष लगाओ आंदोलन प्रारम्भ किया जिसका नाम 'वन महोत्सव' रखा गया.
- हर वर्ष 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव
कार्यक्रम मनाया जाता है.
- इस महोत्सव का लक्ष्य मानव द्वारा लगाये गये वनों का क्षेत्रफल बढ़ाना और जनता में वृक्षारोपण की आदत पैदा करना है.
वनस्पतियों से मिलने वाली औषधियाँ
औषधि | वनस्पति स्रोत | उपयोग |
---|---|---|
कुनैन | सिन्कोना | मलेरिया रोधक |
कोकेन | कोको | पीड़ाहारी तथा संवेदनहारी |
कैफीन | चाय, कॉफी | स्फूर्तिप्रद |
टेट्रासाइक्लीन | बैक्टीरियम | जीवाणुनाशक |
पैनिसिलीन | पैनिसिलियम(कवक) | जीवाणुनाशक तथा जीवाणुरोधी |
पपैन | पपीता | अत्यधिक पाचक |
मार्फीन | पोस्ता | पीड़ाहारी दर्द निवारक |
मेंथाल | मेंथा | बाहरी त्वचा पर लगाने से दर्द कम करता है |
ऐस्ट्रोपीन | बेलाडोना | दर्द निवारक |
भारत के प्रमुख वन संस्थान एवं मुख्यालय
- सामाजिक वानिकी एवं
पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन संस्थान - इलाहाबाद (प्रयागराज)
- भारतीय वनस्पति उद्यान -
कोलकाता
- वन आनुवांशिकी एवं वृक्ष
प्रजनन संस्थान - कोयम्बटूर
- उष्ण कटिबंधीय वानिकी
अनुसंधान संस्थान - जबलपुर
- केंद्रीय शुष्क प्रदेश वानिकी
अनुसंधान संस्थान - जोधपुर
- वर्षा एवं आर्द्र पर्णपाती वन
संस्थान - जोरहट
- भारतीय वन सर्वेक्षण केन्द्र
- देहरादून (उत्तराखण्ड)
- इण्डियन फॉरेस्ट कॉलेज -
देहरादून (उत्तराखण्ड)
- काष्ठ विज्ञान तथा
प्रौद्योगिकी संस्थान - बंगलौर
- शीतोष्ण वन अनुसंधान केन्द्र
- शिमला
वन संरक्षण आंदोल
वनों
को काटने से रोकने, प्राकृतिक
संसाधनों को भविष्य के लिये सुरक्षित रखने के लिए भारतीय लोगों ने कई आंदोलन चलाए
जिससे पर्यावरण संरक्षण में बहुत मदद मिलती है कुछ प्रमुख आंदोलन इस प्रकार हैं -
चिपको आंदोलन
- यह आंदोलन 26 मार्च, 1974 को उत्तराखण्ड के टिहरी
गढ़वाल जनपद में ग्रामीणों व महिलाओं द्वारा चलाया गया है.
- इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य
व्यवसाय हेतु वनों की कटाई को रोकना था.
- टिहरी गढ़वाल का नवजीवन आश्रम
इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र था.
- चिपको आंदोलन का प्रारम्भ
राजस्थान के खेजडली गांव से प्रारम्भ हुआ.
- 1973 में अजीत सिंह के आदेश पर
काटे जा रहे खेजरी वृक्ष को बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई एवं उनकी तीन
पुत्रियों ने पेड़ों से चिपककर उसका विरोध किया था. परन्तु अजीत सिंह के
लोगों द्वारा 363 लोगों को वृक्षों के साथ काट
डाला गया.
- आधुनिक काल में चिपको आंदोलन
की शुरुआत 26 मार्च, 1974 को राखण्ड के रैणी गांवके
जंगल के लगभग 2500
पेड़ों
की कटाई की नीलामी थी. गौरा देवी व अन्य 21 महिलाओं ने नीलामी का विरोध किया और सफलता
अर्जित की.
- इस आंदोलन के जनक सुंदरलाल
बहुगुणा, गौरा देवी, चण्डी प्रसाद भट्ट तथा अन्य
कार्यकर्ताओं में मुख्यतः ग्रामीण महिलाएँ थीं.
- भारत सरकार ने अमृता देवी के
नाम पर अमृता देवी विश्नोई वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार प्रारम्भ किया है.
- चिपको आंदोलन के तहत तत्कालीन
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 1980 में उत्तर प्रदेश के हिमालयी वनों में वृक्षों
की कटाई पर 15 वर्षों के लिए रोक लगा दी.
- चिपको आंदोलन उत्तर में
हिमांचल प्रदेश, दक्षिण में कर्नाटक, पश्चिम में राजस्थान, पूर्व में बिहार और मध्य भारत
में विन्ध्य तक फैला.
- इस आंदोलन के तहत भोजन, चारा, ईंधन, रेशे और उर्वरक 5F को वरीयता दी है.
अप्पिको आन्दोलन
- उत्तर का चिपको आंदोलन, दक्षिण के कर्नाटक राज्य में
अप्पिको आंदोलन के रूप में सामने आया. कन्नड़ भाषा में अम्भिको शब्द का अर्थ
होता है - गले लगाना.
- यह आंदोलन सितम्बर 1983 में कर्नाटक के उत्तर में
पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में सल्कानी गाँव से 5 किमी. आगे चलकर कालासे वन के
वृक्षों से लिपटकर खड़े हो गये ताकि उन्हें कटने से बचाया जा सके.
- यह आंदोलन पूरे जोश से लगातार
38 दिनों तक चलता रहा.
नर्मदा बचाओ आंदोलन
- सरदार सरोवर बाँध (गुजरात)
नर्मदा नदी पर बना हुआ है.
- यह परियोजना गुजरात, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र
राज्यों की सम्मिलित बहुउद्देशीय परियोजना है.
- इस परियोजना द्वारा लगभग 1 लाख लोगों के विस्थापित होने
एवं 37000
हेक्टेयर
भूमि के जलमग्न होने का खतरा था. इसमें 58% आदिवासी शामिल थे
- यह आदिवासियों, किसानों, पर्यावरणविदों एवं मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जाने वाला बड़ा आंदोलन था.
- नर्मदा बचाओ आंदोलन का
नेतृत्व मेधा पाटकर, बाबा आम्टे एवं अरुंधती राय
द्वारा किया गया.
जंगल बचाओ आंदोलन
- सर्वप्रथम यह आंदोलन 1980 में बिहार राज्य में प्रारम्भ
हुआ तत्पश्चात् झारखण्ड और उड़ीसा तक पहुँच गया.
- यह आंदोलन बिहार राज्य के
सिंहभूम जनपद के आदिवासियों द्वारा तब चलाया गया जब सरकार ने प्राकृतिक जंगल
को काटकर वहाँ पर कीमती सागौन के वृक्षों को लगाना प्रारम्भ किया.
नवदान्या आंदोलन
यह
आंदोलन 1982 में
वंदना शिवा द्वारा जैव विविधता संरक्षण एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किया
गया.
विकास के विकल्प
यह
गैर-सरकारी संगठन है इसे 1983 में
अशोक खोसला ने स्थापित किया था. इन्होंने
जमीनी स्तर पर वित्तीय, सामाजिक, पर्यावरणीय स्थिरता के
हेतु कार्य करना प्रारम्भ किया था. इसने सम्पूर्ण भारत में 3 लाख से अधिक लोगों को
रोजगार दिया है.
बलियापाल आंदोलन
यह
आंदोलन भारत के पूर्वी तट बंगाल की खाड़ी के पास ओडिशा के बालासोर जनपद के बलियाल
एवं भोगराय गाँव में भारत सरकार द्वारा मिलिट्री स्टेशन बनाये जाने से 45000 लोगों के विस्थापित
होने की समस्या से संबंधित है
इन
क्षेत्रों में रॉकेट एवं मिसाइल की टेस्टिंग से भूमि की उर्वरता खत्म हो सकती है.
गंगा
बचाओ आंदोलन
यह
एक अहिंसात्मक आंदोलन है जो गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए चलाया गया, गंगा
बचाओ आंदोलन को गंगा सेवा अभियान, पुणे स्थित राष्ट्रीय महिला संगठन एवं
अन्य संगठनों द्वारा व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ.
मैती आंदोलन
- इस आंदोलन की शुरुआत 1994 ई. में उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में कल्याण सिंह रावत द्वारा प्रारम्भ की गयी थी.
- शादी विवाह के अवसर पर दूल्हे के जूता की चोरी के रस्म में नेग की परम्परा को खत्म करते हुए दूल्हे द्वारा लड़की के मायके (मैती) में एक पेड़ लगाने की रस्म ने आंदोलन का रूप ले लिया.
विश्नोई आंदोलन
यह
आंदोलन 500 वर्ष
पहले 15वीं
शताब्दी में संत जांमोजी द्वारा राजस्थान में प्रारम्भ किया गया था.
साइलेंट वैली आंदोलन
यह
आंदोलन 1973 में
साइलेंट वैली संरक्षित वन क्षेत्र को जलविद्युत प्रोजेक्ट से बचाने के उद्देश्य से
प्रारम्भ किया गया था
अवश्य
देखें
- नर्मदा बचाओ आंदोलन किन
राज्यों की संयुक्त परियोजना की देन है? - गुजरात, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र
- 'चिपको' आंदोलन मूल रूप से किसके
विरुद्ध था? - वन कटाई के
- 15वीं शताब्दी में संत जांभोजी
ने राजस्थान में कौन-सा आंदोलन शुरू किया था? - विश्नोई आंदोलन
- 1982 में नवदान्या आंदोलन की
स्थापना किसने किया था? - वंदना शिवा
- अमृता देवी स्मृति पुरस्कार
जिसके लिए दिया जाता है, वह है - वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए के
- किस आंदोलन से प्रभावित होकर
कनाडा की पूर्व प्रधानमंत्री फ्लोरा डोनाल्ड आंदोलन के प्रवर्तक कल्याण सिंह
रावत से मिलने आयी थीं? - मैती आंदोलन
- टुमारोज बायोडायवर्सिटी
पुस्तक के/की लेखक/लेखिका हैं - वंदना शिव
- फूलों की घाटी अवस्थित है
उत्तराखण्ड में
- गौरा देवी, चण्डी प्रसाद भट्ट और सुन्दर
लाल बहुगुणा किस आंदोलन से सम्बद्ध हैं? - चिपको आंदोलन
- सामाजिक वानिकी एवं पारिस्थितिकी
पुनर्स्थापन संस्थान कहाँ स्थित है? - इलाहाबाद में
- भारतीय वन सर्वेक्षण का गठन
कब किया गया? -
1 जुलाई, 1981 को
- भारतीय वानिकी चार्टर की
उद्घोषणा किसकी सिफारिश पर की गयी? - डॉ. क्लेलैंड
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का
मुख्यालय कहाँ स्थित है? - कोलकाता
वन्य जीव संरक्षण
(Wild Life Protection)
वन्य
जीव वर्ग में वे सभी जीव आते हैं जो गैर पालतू हैं. वन्यजीव सुरक्षा एवं संरक्षा
के लिए कई नियम, कानून
बनाये गये हैं जो निम्नलिखित हैं
- मद्रास वाइल्ड एलिफैण्ट
प्रिजर्वेशन एक्ट,
1873
- वाइल्ड वर्ड प्रोटेक्शन, 1887
- बंगाल राइनोसेरस प्रीजर्वेशन
एक्ट,
1932
- असम राइनोसेरस प्रीजर्वेशन
एक्ट,
1954
- सेण्ट्रल बोर्ड ऑन वाइल्ड
लाइफ,
1952
- वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972
- आल इंडिया एलिफैण्ट
प्रीजर्वेशन एक्ट,
1979
भारतीय वन्य जीव संस्थान
- इस संस्थान की स्थापना 1982 ई. में की गयी यह भारत सरकार
के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन
मंत्रालय की निगरानी में एक स्वायत्त संस्थान रूप में स्थापित किया गया.
- यह अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति
प्राप्त संस्थान है जो वन्यजीव अनुसंधान एवं प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण
कार्यक्रम एवं अकादमिक कोर्स का संचालन करता है.
- यह संस्थान उत्तराखण्ड राज्य
के देहरादून जनपद में संस्थापित है.
वन्यजीव (संरक्षण) एक्ट, 1972
- भारत देश ने वन्य जीवों की
रक्षा के लिए तस्करी, अवैध शिकार व वन्य जीवन और
वनोत्पादों के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वन्य जीव
संरक्षण अधिनियम,
1972 पारित
किया.
- इस एक्ट में जनवरी 2003 में संशोधन करके इसका नाम
भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 2002 रखा गया.
- इस अधिनियम में कठोर दण्ड तथा
जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
- यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर
राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर लागू होता है.
- यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को और अधिक
सुरक्षा प्रदान करता है.
संस्थान | स्थान |
---|---|
हिमालयी पर्यावरण एवं विकास का गोविन्द वल्लभ संस्थान | अल्मोड़ा |
भारत का सबसे विशाल चिडियाघर | अलीपुर, कोलकाता |
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण केन्द्र | कोलकाता |
भारतीय वनस्पति उद्यान | कोलकाता |
सलीम अली पक्षी विज्ञान तथा प्राकृतिक इतिहास केन्द्र | कोयम्बटूर (तमिलनाडु) |
भारत का सबसे विशाल संग्रहालय | चेन्नई (तमिलनाडु) |
केन्द्रीय पक्षी शोध संस्थान | इज्जतनगर (बरेली) |
इण्डियन फॉरेस्ट कालेज | देहरादून (उत्तराखण्ड) |
भारतीय वन सर्वेक्षण केन्द्र | देहरादून |
इण्डियन फॉरेस्ट रेंजर कॉलेज | देहरादून |
भारतीय वन्यजीव संस्थान | देहरादून |
भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संस्थान* | देहरादून |
प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय | नई दिल्ली |
इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एण्ड एनवायरमेंट | नई दिल्ली |
राष्ट्रीय पर्यावरण शोध संस्थान | नागपुर (महाराष्ट्र) |
राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान | नागपुर |
पारिस्थितिकीय विज्ञानों का केन्द्र | बंगलुरु |
भारत का सबसे विशाल पक्षी उद्यान | भरतपुर |
भारतीय वन प्रबंधन संस्थान | भोपाल |
भारत के वन्य जीव अभयारण्य
अभयारण्यों
की स्थापना वन्यजीवों तथा जंगली वनस्पतियों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से
की जाती है.
भारत के वन्य जीव अभयारण्य निम्नलिखित हैं जो निम्न राज्यों में हैं -
अरुणाचल प्रदेश - पाखुई/पक्के, कमलांग, दिबांग.
अंडमान-निकोबार - एरियल द्वीप, बले द्वीप, बिंघम द्वीप, एग द्वीप, गलाबिया खाड़ी, इंटरव्यू द्वीप, लैण्डफाल द्वीप, मैंग्रूव द्वीप, मांटगोमरी द्वीप, ओलिवर द्वीप, आर्चिड द्वीप, दक्षिण सेंटीनल द्वीप, गिर्जन द्वीप, पर्किंसन द्वीप, रोस द्वीप.
आंध्र प्रदेश - कोरिंगा, गुंडला ब्रह्मेश्वरम्, कम्बलकोंडा, कौन्डिन्य, कोलेरू, नेल्लापट्ट पुलीकट झील, श्रीलंकामलेश्वर, श्री वेंकटश्वरा कृष्णा, रोलापडु,
आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना - पापीकोण्डा, नागार्जुन सागर श्रीशैलम
उत्तर प्रदेश - चन्द्रप्रभा, कतरनिया घाट, किशनपुर, टर्टल, पार्वती आरंगा, रानीपुर, सोहागी बरवा, सोहेलवा, सूर सरोवर, सुरहाताल.
उत्तराखण्ड - अस्कोट, बिनसर, केदारनाथ.
ओडिशा - भितरकनिका, गहिरमाथा, लखारी घाटी, नंदन कानन, सतकोसिया जार्ज, सिमलीपाल.
कर्नाटक - भद्रा, ब्रह्मगिरि, डान्डेली, घाटप्रभा, गुड़ावी, रंगनथिट्टू, तालकावेरी, पुष्पागिरि, श्रीवथी घाटी, सोमेश्वर, पुट्टेनहल्ली झील.
केरल - चिन्नार, काडालुंडी, कोट्टर, इडुक्की, नेय्यार, पराम्बिकुलम्, पेरियार, वायनाड, पेप्पारा.
गुजरात - गिर, कच्छ मरुस्थल, खिजादिया, - कच्छ की खाड़ी, नल सरोवर, नारायण सरोवर, पनिया, पोरबंदर झील, शूल पणेश्वर, थाल झील, जंगली गधा, गिरनार, पनिया .
गोवा - बोंडला, मदेई, मोल्लेम, नेत्रवलि, भगवान महावीर.
चण्डीगढ़ - सुखवा झील.
छत्तीसगढ़ - अचानकमार, बादलखोल, बारनावापारा, भैरमगढ़, सीतानदी, तमोरपिंगला, उदंती.
जम्मू-कश्मीर - त्रिकुटा, सुरिनसर मानसर, होकेरसर.
झारखण्ड - पालकोट, कोडरमा, डाल्मा, पलामू.
तेलंगाना - कवाल, किन्नरसानी, पाखल, पोचरम, प्रणहिता, इटर्नाग्राम, मंजीरा.
तमिलनाडु - इंदिरा गाँधी, कालाकड़, मुंडनथुरई, प्वाइंट कैलीमर, पुलीकट झील, श्रीविल्लिपुथुर.
त्रिपुरा - रोवा, गुमटी.
दमन दीव - फुडम.
नागालैण्ड - इटांग्फी, फाकिम.
दिल्ली- इंदिरा प्रियदर्शिनी.
पश्चिम बंगाल - बुक्सा, हालीडे द्वीप, जोर - पोखरी, पश्चिम सुंदरवन.
पंजाब - अबोहर, हरिके झील, वीर मोतीबाग, वीर ऐशवन.
बिहार - कुँवर झील, गौतम बुद्ध, कैमूर, नकटी डैम, वाल्मीकि, कुशेश्वर आस्थान पक्षी.
महाराष्ट्र - बोर, अम्बा बरवा, चपराला, कालसुबाई-हरिश्चंद्रगढ़, सागरेश्वर, यावल, ध्यानंगंगा, जायकावाड़ी, गौतला, ग्रेड इंडियन बुस्टर्ड, कालसुबाई, लोनार, मालवन, मेलघाट, नरनाला, पेनगंगा, तंसा, वन.
मिजोरम - तवी, डम्पा.
मध्य प्रदेश - बोरी, गाँधीसागर, घाटीगाँव, करेरा, केन घड़ियाल, राष्ट्रीय चम्बल, पचमढ़ी,पालपुर कुनो, पन्ना, पेंच, फेन, रातापानी संजय डुबरी, वीरांगना दुर्गावती, सिंधोरी.
राजस्थान - जयसमंद, जवाहर सागर, केसरबाग, माउंटआबू, नाहरगढ़, सज्जनगढ़, सरिस्का, सवाई मानसिंह, शेरगढ़, सीतामाता, ताल छापर, वन विहार.
लक्षद्वीप - पिट्टी.
सिक्किम - सिंगबा, रोडोडेन्ड्राम, फैमबागल्हो, मीनम.
हिमांचल प्रदेश - चैल, चंद्रताल, कालाटोप खज्जियर, रेणुका, बंदली, गोविन्द सागर, कनवार, कुगती, नैना देवी, पोंग बाँध झील.
हरियाणा - कालेसर, चिलचिला, नाहर.
NOTE :विश्व का सबसे बड़ा चिड़ियाघर क्रूगर दक्षिण अफ्रीका में है.
भारत का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य कच्छ रन अभयारण्य गुजरात में है.
भारत का सबसे छोटा वन्य जीव अभयारण्य पिट्टी लक्षद्वीप में है.
भारत के प्रमुख पक्षी अभयारण्य | |
---|---|
पक्षी अभयारण्य | राज्य |
नेलापट्टू, पुलीकट झील, अतापाका | आन्ध्र प्रदेश |
नवाबगंज, बखीरा, ओखला, साण्डी, समान, समसपुर, लाखबहोशी | उत्तर प्रदेश |
चिल्का झील | उड़ीसा |
बाकापुर पीकाक, गुडावी, बोनल, रंगनथिट्ट | कर्नाटक |
थट्टेकड, मंगलवनम् | केरल |
थाल झील, नल सरोवर, पोरबंदर, खिजादिया | गुजरात |
सलीम अली | गोवा |
वेदाथंगल, वेलोड | तमिलनाडु |
ताल छापर, केवलादेव घाना | राजस्थान |
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