पर्यावरण संरक्षण Environment Protection
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) नामक संस्था की स्थापना वर्ष 1972 में की गयी थी. इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में है.
पर्यावरण संरक्षण Environment Protection
पर्यावरण संरक्षण का अर्थ यह है कि संसाधनों का बुद्धिमत्ता से प्रवन्ध किया जाए जिससे उनकी आपूर्ति लम्बे समय तक होती रहे. इसका अर्थ यह हुआ कि किसी संसाधन का निरंतर नवीकरण और उत्पादों की पुनः प्राप्ति पुनः चक्रण या पुनः उपयोग.
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण का एक अर्थ पारिस्थितिकीय नियमों की जटिलताओं को समझने और उनका महत्व जानने की दृष्टि से क्षेत्र का उपयोग करने या अध्ययन करने के लिए उसको स्वाभाविक या प्राकृतिक स्थिति में बनाए रखना भी है.
पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य
- सौन्दर्य एवं मनोरंजन की जरूरतों के साथ-साथ उपादेव जरूरतों पर विचार करना.
- उत्पादन और नवीकरण को संतुलित चक्र बनाकर पौधों, प्राणियों और पदार्थों का लगातार उत्पादन विनिश्चित करना.
संरक्षण की अवधारणा
- संरक्षण की अवधारणा में वैज्ञानिक, नैतिक, आर्थिक और राजनैतिक बिन्दुओं को सम्मिलित किया गया है.
- संरक्षण का अर्थ प्रत्येक तरह के प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण विकास और उनके उपयोग से है.
- संरक्षण की एक सामान्य परिभाषा है संसाधनों द्वारा माल और कार्य में सामाजिक कार्य में सामाजिक लाभ में समय के साथ वृद्धि.
- संरक्षण ऐसे आचरणों का समर्थन करता है जो पृथ्वी के संसाधनों को बनाए रखते हैं या जिन संसाधनों के अस्तित्व को बनाए रखने में मनुष्य की रुचि है.
- संरक्षण में मनुष्य के प्राकृतिक पर्यावरण को बनाए रखना शामिल है.
- संरक्षण सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और उद्योगपतियों के अतिरिक्त हम सब का सामूहिक उत्तरदायित्व है.
संरक्षण के सिद्धान्त
- संसाधन का विवेकपूर्ण उपयोग संरक्षण की संकल्पनाओं में से एक है.
- संरक्षण का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष पुनः स्थापन उपादेय बनाने की संकल्पना है.
- वे क्षेत्र जहाँ वन काट दिये गये हैं और वे जमीनें जहाँ खानें थीं और खनन कार्य हो चुका है तथा बंजर हैं उन्हें कुछ प्रयास से फिर से वनस्पति वाला बनाया जा सकता है.
- अपशिष्ट या रद्दी पदार्थों को फिर से काम में लाना ही पुनः उपयोग कहलाता है.
- जब एक ही उद्देश्य के लिए काम में लाया जाना हो तो विरल संसाधन की अपेक्षा प्रचुर संसाधन को काम में लाना.
- यदि परिस्थितियाँ अनुमति दें तो अनवीकरणीय की नवीकरणीय संसाधन का उपयोग.
पर्यावरण संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय जागरूकता एवं प्रयास
- 1978 ई. में माल्थस ने अपने जनसंख्या सिद्धान्त में स्पष्ट किया कि जनसंख्या वृद्धि तथा खाद्य आपूर्ति में असंतुलन से सभ्यता का विनाश होगा.
- पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर निम्नलिखित प्रयास किये गये हैं.
- प्रकृति संरक्षण अन्तर्राष्ट्रीय संघ की स्थापना 1948 में फ्रांस में राष्ट्र संघ की सहायता से हुई.
- 1960 तथा 70 के दशक में क्लब ऑफ रोम तथा आपदा क्लब ने भावी पर्यावरण खतरे के प्रति चिंता जाहिर की है.
- 1968 में पेरिस में जीवमण्डल कॉन्फ्रेंस से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण विकास की दिशा में कार्य प्रारम्भ किया.
मानव पर्यावरण कॉन्फ्रेंस
- स्टॉकहोम में 1979 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव पर्यावरण कॉन्फ्रेंस हुई जिसका नारा था Only one Earth अर्थात् केवल एक पृथ्वी इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम UNEP- (United Nations Environment Programme) की स्थापना की गयी.
- U.N.E.P. का स्थापना दिवस विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में प्रति वर्ष 5 जून को मनाया जाता है.
पृथ्वी शिखर सम्मेलन
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की 20वीं वर्षगाँठ पर रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में 3 से 13 जून, 1992 तक 120 के राष्ट्राध्यक्षों ने पृथ्वी शिखर सम्मेलन में भाग लिया.
- पर्यावरण तथा विकास सम्मेलन के महामंत्री मारिस स्ट्रांग ने मत व्यक्त किया था कि विभिन्न राष्ट्रों के परस्पर सम्बन्धों में सुधार के लिये मानसिकता में बदलाव आवश्यक है.
- पृथ्वी शिखर में मतभेद के मुख्य तथ्य थे जनसंख्या, वन सम्पदा, ग्रीन हाउस गैसों को छोड़ना, पर्यावरण क्षति का दायित्व, जैविक विविधता, वायुमण्डल में बढ़ते कार्बन डाई ऑक्साइड आदि.
- वर्तमान में पर्यावरण की समस्याओं को दूर करने के लिए ऊर्जा की खपत पर क्रान्तिकारी परिवर्तन करना पड़ेगा जिसका उत्तरदायित्व विकसित राष्ट्रों पर है.
- वाहनों के प्रयोग से वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा निरंतर बढ़ रही है.
- विदेशी व्यापार के लिए विकसित देशों द्वारा विभिन्न संयंत्रों जैसे फ्रिज, एयर कंडीशनर तथा आग बुझाने वाले यंत्रों से बड़ी मात्रा में क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नामक गैस निकलती है.
- अमेरिका अकेले वायुमण्डल में उतनी क्लोरो फ्लोरो कार्बन छोड़ रहा है जितना विश्व के अन्य सभी देश मिलकर नहीं छोड़ते.
Earth + 5 सम्मेलन
- न्यूयॉर्क में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन को ही (Earth Plus Five Summit) कहा जाता है.
- यह सम्मेलन 23 से 27 जून को न्यूयॉर्क में हुआ था जिसमें 1992 में रियो सम्मेलन में लिये गये निर्णयों की प्रगति का मूल्यांकन करना है.
क्योटो ग्लोबल वार्मिंग कॉन्फ्रेंस
- यह अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 1 से 10 दिसम्बर तक 1997 में जापान के क्योटो शहर में हुआ था.
- इस सम्मेलन में विश्व के 160 देश सम्मिलित थे.
- भारत की ओर से इस सम्मेलन का प्रतिनिधित्व डॉ. आर. के. पचौरी ने किया था.
- इसमें यूरोपीय संघ से पृथ्वी का ताप बढ़ाने वाली 6 गैसों में 8 प्रतिशत कटौती करने को कहा गया.
- अमेरिका ने मई 2001 में क्योटो समझौते को मानने से इन्कार कर दिया था.
Points to Remember..!
- विश्व पर्यावरण दिवस किस दिन मनाया जाता है? - 5 जून
- फ्रिज, एयर कंडीशनर तथा आग बुझाने वाले यंत्रों से कौन-सी गैस निकलती है? - क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
- संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन को क्या कहा जाता है? - Earth Pluse Five Summit
- यूनेस्को ने 'मानव तथा जीवमण्डल कार्यक्रम' कब प्रारम्भ किया ? - 1991 में
- किसने 1 नवम्बर, 1980 को पर्यावरण सम्बन्धी पृथक् विभाग की स्थापना की? - भारत सरकार ने
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम कब प्रारम्भ हुआ? - 1982 में
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम नामक संस्था की स्थापना कब की गयी? - 1972 में
- कब पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित हुआ था? - 1986 ई. में
- भारत शासन ने पर्यावरण विभाग का गठन कब किया ? - 1980 में
अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण संस्थाए
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) नामक संस्था की स्थापना वर्ष 1972 में की गयी थी. इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में है.
- विश्व वन्य जीव कोष (W.W.F) नामक संस्था की स्थापना 1969 में स्विट्जरलैण्ड में की गयी.
- ट्रैफिक नामक संस्था पशुओं तथा उनकी हड्डियों, दाँत, खाल आदि के व्यापार को रोकने हेतु यह संस्था बनायी गयी है.
- 1991 में यूनेस्को ने मानव तथा जीवमण्डल कार्यक्रम प्रारम्भ किया.
- विश्व में एटमी प्रदूषण का लगातार विरोध करने वाली संस्था अन्तर्राष्ट्रीय ग्रीन कोष है.
- अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण सुविधा की प्रथम बैठक अप्रैल 1998 के प्रथम सप्ताह दिल्ली में सम्पन्न हुई थी.
पर्यावरण संरक्षण के भारतीय प्रयास
- अगस्त 1981 में पारिस्थितिकी विकास बोर्ड की स्थापना की गयी.
- भारत ने 1 नवम्बर, 1980 को पर्यावरण सम्बन्धी अलग विभाग की स्थापना की.
- भारत में केन्द्र की तरह राज्यों ने भी पर्यावरण विभागों की स्थापना की.
मॉन्ट्रियल सम्मेलन 1987
- यह सम्मेलन मॉन्ट्रियल में 16 सितम्बर, 1987 में सम्पन्न हुआ जिसमें ओजोन परत की रक्षा के लिए मिथाइल ब्रोमाइड का उत्पादन बन्द करने पर भी विचार किया गया.
- यह सम्मेलन 100 से अधिक देशों के मध्य हुआ था.
ओजोन परत नष्ट होने से बचाने के उपाय
- ओजोन परत के संरक्षण के लिए 1985 में वियना कन्वेंशन तथा 1987 में कनाडा कन्वेंशन हुई.
- इस कन्वेंशन में सभी देशों को क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का उत्पादन 2006 तक बन्द कर देना था.
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
भारत सरकार ने 23 मई, 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित किया, जिसमें 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन का संदर्भ है.
- इस अधिनियम में 26 भाग व 4 अध्याय हैं.
- इस अधिनियम में पर्यावरण की परिभाषा में हवा, पानी, भूमि, मनुष्यों, जीव-जंतुओं, पौधों, जीवाणुओं व प्रकृति के आपसी संबंध भी शामिल हैं.
- पर्यावरण में जैविक तथा अजैविक घटकों के सम्बन्धों पर जोर दिया गया है.
- इस अधिनियम की धारा 3 और 9 में केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण संबंधी कई प्रकार के अधिकार प्रदान किये गये हैं.
- इस अधिनियम की धारा 6 (1) में ध्वनि प्रदूषण पर सख्त रोक लगायी गयी है.
- पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 के अंतर्गत भारत के पर्यावरण सुरक्षा से सम्बन्धित नियमों एवं कानूनों के सभी पक्षों को शामिल किया गया है। इसे छाता विधान भी कहा जाता है.
- इस अधिनियम के कार्यक्षेत्र में खतरनाक पदार्थों के उपयोग हेतु नियम बनाने, पर्यावरण संबंधी दुर्घटनाएँ रोकने हेतु अनुसंधान, प्रदूषणकारी इकाइयों का निरीक्षण, प्रयोगशालाएँ बनाना तथा प्रदूषण सम्बन्धित जानकारी देना सम्मिलित है.
- कोई भी उद्योग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना प्रारम्भ नहीं किया जा सकता है। मानक पूरा न करने की दशा में कारावास व जुर्माने की राशि 1 लाख तक किया जा सकता है.
- खतरनाक पदार्थों के प्रयोग से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने का दायित्व केंद्र सरकार का होगा.
- केंद्र सरकार ऐसी दुर्घटनाओं से जिनसे पर्यावरण प्रदूषित हो सकता है, बचाव एवं दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपाय कर सकती है.
- केन्द्र सरकार किसी भी उद्योग या औद्योगिक प्रक्रिया को बंद करने, रोक लगाने या विनियमित करने के लिए सख्त निर्देश दे सकती है.
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