पर्यावरण संगठन (Environmental Organisation) - UNEP, NTCA, NGT, CPCB

वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर इण्डिया द बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी पर्यावरण शिक्षा केन्द्र विज्ञान और पर्यावरण केन्द्र
Environmental-Organisation
Environmental Organisation

पर्यावरण संगठन

वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर इण्डिया 

(World Wide Fund for Nature India)
  • इस संस्था का गठन मुम्बई में सन् 1969 में हुआ। इसकी बहुत-सी शाखाएँ हैं जो देशभर में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपना योगदान देती हैं। 
  • वर्तमान समय में इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली में है।
  • इस संस्था की पहचान मुख्य रूप से पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के लिए की जाती है।
  • इस संस्था ने स्कूलों में बच्चों के लिए भारतीय प्रकृति क्लब जैसे कार्यक्रमों को प्रारम्भ किया है।
  • यह संस्था पर्यावरण से सम्बन्धित सभी बिन्दुओं के साथ-साथ संरक्षण एवं सुरक्षा की भी देखरेख करती है।

द बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी 

(The Bombay Natural History Society)
  • इस संगठन का गठन 1883 ई. में केवल 6 व्यक्तियों ने मिलकर किया था।
  • पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी यह गैर-सरकारी सोसायटी मुख्यतः पर्यावरण संरक्षण से जुड़े शोधपरक कार्यों के लिए जानी जाती है।
  • संरक्षण अनुसंधानों से जुड़ी यह भारत की प्राचीनतम् सोसायटी है। इस सोसायटी का मुख्यालय मुम्बई में है।
  • इस सोसायटी द्वारा प्रकाशित 'हार्नबि' पत्रिका जहाँ पर्यावरण प्रेमियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है वहीं 'जर्नल ऑफ नेचुरल हिस्ट्री' इस सोसायटी द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध पत्रिका है।  
  • इस सोसायटी के अन्य प्रमुख प्रकाशन हैंडबुक ऑन बर्डस, बुक ऑफ इंडियन रेप्टाइल्स, बुक ऑफ इण्डियन ट्रीज आदि हैं।
  • इस सोसायटी का बहुचर्चित अभियान 'खामोश वादी को बचाओ' था।
  • जाने-माने पक्षीविद् सलीम अली इस सोसायटी से सम्बंधित थे। 

पर्यावरण शिक्षा केन्द्र 

(Centre for Environment Education)
  • इस केन्द्र की स्थापना अहमदाबाद (गुजरात) में सन् 1989 में की गयी। यह केन्द्र प्रमुख रूप से पर्यावरण शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है। 
  • पर्यावरण से जुड़ी शिक्षा सामग्री तैयार करना इस केन्द्र का मुख्य कार्य है।
  • यह केन्द्र पर्यावरण शिक्षा प्रशिक्षण (TEE) कार्यक्रम संचालित करता है। 
  • पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों को यह केन्द्र संचालित करता है।
  • CEE 'नेहरू फाउण्डेशन फॉर डेवलपमेंट' से मान्यता प्राप्त है।

विज्ञान और पर्यावरण केन्द्र 

(Centre for Science and Environment)
  • यह केंद्र दिल्ली में स्थापित है।
  • विज्ञान और प्रशिक्षण केंद्र व्यापक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए अभियान चलाता है। 
  • इस केंद्र द्वारा पाक्षिक पत्रिका 'डाउन टु अर्थ’ काफी लोकप्रिय है।
  • केन्द्र अपने प्रकाशनों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जनचेतना लाने का कार्य संचालित करता है। प्रकाशन के अतिरिक्त यह केंद्र पोस्टरों और वृत्तचित्रों का भी निर्माण करता है।
  • इस केंद्र द्वारा पर्यावरण पर केन्द्रित States of India Environment शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी।

सी. पी. आर. एनवायरमेंटल एजूकेशन सेंटर 

(C.P.R. Environmental Education Centre)
  • यह सेंटर सन् 1988 में मद्रास में स्थापित किया गया।
  • इस सेंटर के माध्यम से अध्यापकों, महिलाओं, बच्चों व युवकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है।
  • इस सेंटर द्वारा गैर-सरकारी संगठन अनेकों प्रकार के कार्यक्रम संचालित करते हैं।

पर्यावरण एवं विकास का विश्वव्यापी आयोग (W.C.F.D.)

  • इस आयोग की स्थापना 1984 ई. में हुई। 
  • यह आयोग पर्यावरण एवं विकास से सम्बन्धित विषयों पर पुनर्निरीक्षण करता है।
  • यह आयोग पर्यावरण के सापेक्ष में हरेक व्यक्ति के ज्ञान स्तर, सरकारी कार्यों और ऐच्छिक संगठनों का निर्धारण करता है।

भारती विद्यापीठ इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंट एजूकेशन एण्ड रिसर्च

(Bharti Vidyapeeth Institute of Environment Education & Research)
  • यह संस्था भारती विद्यापीठ अर्द्ध विश्वविद्यालय का एक घटक है। यह संस्था पुणे (महाराष्ट्र) में है जो जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट रूप से सक्रिय योगदान करती है। 
  • इस संस्था द्वारा प्राथमिक शिक्षा से स्नातकोत्तर तक पर्यावरण शिक्षा का प्रबन्ध करती है। 
  • यह संस्था पर्यावरण विज्ञान पर पी.एच.डी., स्नातकोत्तर व स्नातक स्तर तक के पाठ्यक्रम प्रदान करती है।
  • यहाँ से पर्यावरण शिक्षा का प्रवर्तनकारी डिप्लोमा भी सेवारत अध्यापकों द्वारा किया जाता है। इस संस्था द्वारा वार्षिक पर्यावरण कार्यक्रम भी चलाया जाता है।
  • यह संस्था पर्यावरण पर सहायक सामग्री भी तैयार करती है।

द बॉटनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया 

(The Botanical Survey of India)
  • यह पुरानी संस्था है, इसकी स्थापना 1890 में कोलकाता के रॉयल बॉटनिकल गार्डन में स्थापित की गयी थी।
  • यह संस्था 1939 के पश्चात् कई वर्षों तक बन्द रही, पुनः 1954 में इसने दोबारा कार्य प्रारम्भ कर दिया। 

भारत का वन्यजीव संस्थान

(The Wildlife Institute of India)
  • इस संस्थान का मुख्यालय देहरादून में है जो 1982 में स्थापित किया गया। 
  • यहाँ वन अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 
  • यह संस्थान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण दोनों से जुड़ा हुआ है।
  • इस संस्थान द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रकोष्ठ भी संचालित किया जाता है।
  • इसका प्रकाशन कार्य के रूप में प्लानिंग ए वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्टेड एरिया नेटवर्क फॉर इण्डिया विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

Remember!

  • ग्लोबल 500 पुरस्कार किस संस्था द्वारा दिया जाता है? - U.N.E.P. 
  • किस संस्था का प्रतीक विलुप्तप्राय प्राणी ज्वाइंट पांडा हैं? - विश्व वन्यजीव कोष
  • वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर का मुख्यालय कहाँ है? - स्विट्जरलैण्ड 
  • भारतीय प्रकृति क्लब सम्बन्धित है -W.F.I. 
  • दक्षिण एशिया वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क का सचिवालय कहाँ है? - काठमाण्डू
  • 'कल्पवृक्ष' कैसा संगठन है? - गैर-सरकारी
  • 'डाउन दु अर्थ' पाक्षिक पत्रिका किस संस्था से सम्बन्धित है? - विज्ञान और पर्यावरण केंद्र से
  • द बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी का मुख्यालय कहाँ है? - मुम्बई
  • आर्ट ऑफ लिविंग किसकी संस्था है? -श्री श्री रविशंकर 
  • C.P.R. सेंटर की स्थापना मद्रास में किस वर्ष की गयी? - 1988

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) 

  • इसका गठन 1972 ई. में नैरोबी (केन्या) में किया गया। जो इसका मुख्यालय भी है। 
  • विविध पर्यावरणीय कार्यक्रमों और संगठनों के प्रबन्धन हेतु अन्तर्राष्ट्रीय रूपरेखाओं के निर्माण के लिए यह गठित की गयी।
  • प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस यूनेप (UNEP) ही देन है। 
  • प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 1974 में मनाया गया था।

भारतीय वन सर्वेक्षण (F.S.I.)

  • भारतीय वन सर्वेक्षण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार का एक संगठन है, यह वन संसाधनों का मूल्यांकन करता है।
  • इस संगठन की स्थापना 1 जून, 1981 को हुई थी इसका मुख्यालय देहरादून में है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अन्तर्गत कार्य करने वाला एक संगठन है जो वन क्षेत्रों और वन संसाधनों से संबंधित सूचना एवं आँकड़े एकत्र करता है।
  • यह संगठन प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तारण का कार्य करता है। 
  • FSI के चार क्षेत्रीय कार्यालय शिमला, कोलकाता, नागपुर और बेगलुरु में हैं। 
  • जून 1981 में प्री इंवेस्टमेंट सर्वे ऑफ फॉरेस्ट रिसोर्सेज को एफ. एस. आई. में पुनर्गठित किया गया है।
  • राष्ट्रीय कृषि आयोग ने 1976 में अपनी रिपोर्ट में समय-समय पर देशव्यापी विस्तृत वन संसाधन सर्वेक्षण के जरिए विश्वसनीय आँकड़ा एकत्र करने हेतु FSI बनाने की सिफारिश की थी।

वानिकी अनुसंधान संगठन

वानिकी अनुसंधान संगठन मुख्यालय
वन अनुसंधान संस्थान देहरादून
बंजर वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर
वर्षा वन अनुसंधान संस्थान जोरहाट
लकड़ी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान बंगलुरु
उष्ण कटिबंधीय वन संस्थान जबलपुर
आनुवांशिकी तथा वृक्ष प्रजनन वन संस्थान कोयंबटूर
हिमालयन वन अनुसंधान केंद्र शिमला
वन उत्पादकता केंद्र राँची
सामाजिक वानिकी और पारिस्थितिकी पुनस्थापना संस्थान इलाहाबाद(प्रयागराज)
भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भोपाल
भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान संस्थान बंगलुरु
मानव संसाधन विकास संस्थान छिंदवाड़ा

ओजोन प्रकोष्ठ

  • वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ओजोन प्रकोष्ठ की स्थापना की है।
  • यह ओजोन प्रकोष्ठ उद्योगों में ओजोन से सम्बन्धित जनचेतना पैदा करने के लिए उनकी कार्यशालाएँ और गोष्ठियाँ आयोजित करता है। 
  • यह प्रकोष्ठ ओजोन संबंधित विषयों पर एक द्विभासी न्यूजलेटर प्रकाशित करता है।

जलवायु और पर्यावरण अनुसंधान संस्थान 

(National Institute for Research on Climate & Environment)
  • यह संस्थान इसरो और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में खोला गया। 
  • यह संस्थान जलवायु परिवर्तन संबंधी डाटाबेस तथा जलवायु परिवर्तन की घरेलू मापन तकनीक संबंधी शोध की ओर अग्रसर होता है।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण

(Zoological Survey of India-ZSI)
  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की स्थापना 1 जुलाई, 1916 को की गयी। इस समय देश में 16 क्षेत्रीय संस्थान हैं। 
  • वर्गिकी और पारिस्थितिकी पर इस संस्थान ने महत्वपूर्ण काम किया है। 
  • यह एशिया का वह संस्थान है, जहाँ उपलब्ध प्रजातियों के नमूनों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है।
  • यह संस्थान प्राणी जगत के व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए जाना जाता है।
  • भारत में प्राणी जीवन के अध्ययन का प्रारम्भ वर्ष 1875 में कोलकाता में स्थापित भारतीय संग्रहालय में संग्रहीत नमूनों से हुई थी।
  • यह संस्थान देश के प्राणी जगत की संकटापन्न प्रजातियों की सूची बनाना तथा उनकी निगरानी करना है।

हिमनद प्राधिकरण

  • इस प्राधिकरण का गठन उत्तराखण्ड सरकार द्वारा हिमालय के ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए किया गया।
  • इस प्राधिकरण का नाम स्नो एण्ड ग्लेशियर अथॉरिटी होगा। मुख्यमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है।
  • उत्तराखण्ड का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा हिमाच्छादित है तथा राज्य के अंदर एवं निकटवर्ती हिमालयी क्षेत्र में 1400 से अधिक ग्लेशियर हैं।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय

  • 20 फरवरी, 2009 को केंद्र सरकार द्वारा गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा व राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन किया गया।
  • गंगा कार्य योजना 1985 में प्रारम्भ की गयी जो कि पहली नदी कार्य योजना थी। पहले चरण में गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का लक्ष्य रखा गया। दूसरे चरण में गंगा की सहायक नदियों दामोदर, गोमती, महानंदा और यमुना को भी प्रदूषण मुक्त रखने का लक्ष्य रखा गया। दूसरे चरण में उन 60 शहरों को शामिल किया गया जहाँ से गंगा नदी गुजरती है।
  • पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 के प्रावधानानुसार NGRBA को गंगा नदी के संरक्षण के लिए एक शक्ति सम्पन्न नियोजन, वित्तपोषण, मॉनीटरिंग और समन्वयन प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया है।
  • यह संस्थान गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रभावी कदम उठायेगा। 

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (C.P.C.B.)

  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल प्रदूषण निवारक एवं नियंत्रण एक्ट, 1974 के अंतर्गत सितम्बर 1974 में किया गया था।
  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) एक्ट, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गये।
  • जल प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में कुँओं और सरिताओं को स्वच्छता को सुधारना, देश में वायु प्रदूषण के निराकरण अथवा नियंत्रण, निवारण के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार लाना।
  • वायु गुणवत्ता प्रबोधन वायु गुणवत्ता प्रबन्धन का एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • राष्ट्रीय वायु प्रबोधन कार्यक्रम की स्थापना वर्तमान गुणवत्ता की स्थिति और प्रवृत्ति को सुनिश्चित करने तथा उद्योगों और अन्य स्रोतों के प्रदूषण को नियमित कर नियंत्रित करने तथा वायु गुणवत्ता मानकों के अनुरूप रखने की दृष्टि से लक्षित किया गया है। 
  • स्वच्छ जल खेती-बाड़ी उद्योगों के प्रयोग हेतु वन्य जीव तथा मत्स्य पालन के प्रजनन तथा मानव के अस्तित्व के लिए एक चिरस्थायी जरूरी संसाधन है।
  • केन्द्रीय बोर्ड नई दिल्ली स्थित एक स्वचालित प्रबोधन केंद्र पर श्वसन निलम्बित व्यक्ति कण, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड तथा निलम्बित विविक्त कण भी नियमित रूप से सम्बोधित किया जा रहा है।
  • जल प्रदूषण से संबंधित तकनीकी तथा सांख्यिकी आँकड़ों को एकत्र करना, मिलाना तथा उसका प्रसारण करना केंद्रीय बोर्ड का एक अधिदेश है।
  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित कार्यक्रम निम्नलिखित हैं वायु गुणवत्ता/प्रदूषण, जल गुणवत्ता/प्रदूषण, शहरी पर्यावरण, औद्योगिक पर्यावरण, पर्यावरणीय योजना, नगरीय ठोस अपशिष्ट ध्वनि प्रदूषण
  • बोर्ड में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होता है जिसे पर्यावरणीय संरक्षण से सम्बद्ध मामलों में विशेष ज्ञान या अनुभव हो । पाँच से अनधिक सदस्य केंद्र सरकार द्वारा उसका प्रतिनिधित्व करने वाले नामित किये जाते हैं।
  • राज्य बोर्डों को तकनीकी सहायता व मार्गदर्शन उपलब्ध कराना, वायु प्रदूषण से सम्बन्धित समस्याओं तथा उसके निवारण, नियंत्रण अथवा उपशमन हेतु अनुसंधान और उसके उत्तरदायी कारकों की खोज करना है।
  • स्टैक गैस क्लीनिंग डिवाइसिस, स्टैक्स और डक्टस सहित मलजल तथा व्यावसायिक बर्हिस्रावों के विसर्जन तथा शोधन सम्बन्ध में नियमावली, आचार संहिता और दिशा-निर्देश तैयार करना।
  • भारत सरकार की निर्धारित नीति के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल अधिनियम, 1974, जल उपकर अधिनियम, 1977 तथा वायु अधिनियम, 1981 के अंतर्गत संघ शासित प्रदेशों के विषय में अपनी शक्तियाँ तथा कार्य संबंधित स्थानीय प्रशासनों को प्रत्यायोजित कर दी है।
  • परिवेशी जल तथा वायु की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना तथा अपशिष्ट जल शोधन स्थापनाओं, वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों, औद्योगिक संयंत्रों अथवा विनिर्माण प्रक्रियाओं का निरीक्षण करना तथा जल तथा वायु प्रदूषण की रोकथाम तथा निवारण व नियंत्रण के लिए उठाये गये कदमों तथा उनकी निष्पादन क्षमता का मूल्यांकन करना।
  • सीवेज और व्यावसायिक बर्हिस्रावों का भूमि पर विसर्जन।
  • सीवेज और व्यावसायिक बर्हिस्राव तथा वायु प्रदूषण नियंत्रण उपस्कारों हेतु विश्वसनीय और किफायती विधियों का उपयुक्त विकास, वायु अधिनियम 1981 के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र के रूप में अथवा किसी क्षेत्र का पता लगाना।
  • सीवेज के शोधन तथा व्यावसायिक बर्हिस्रावों तथा ऑटोमोबाइल्स के उत्सर्जनों, औद्योगिक संयंत्रों तथा अन्य किसी प्रदूषणकारी स्रोतों के लिए मानकों का निर्धारण करना।

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (N.G.T.)

  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की स्थापना 18 अक्टूबर, 2010 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण एक्ट के तहत पर्यावरण वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों सम्बन्धी मामलों की सुनवाई के लिए किया गया है।
  • यह प्राधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दी गयी सुसज्जित कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है।
  • अधिकरण से सम्बद्ध अधिकारी पर्यावरण से सम्बन्धित विवादों में शीघ्र न्याय देंगे। यह न्यायाधिकरण उच्च न्यायालयों के विवादों के भार को कम करने में सहायता करेगा।
  • इस न्यायाधिकरण की बैठक का मुख्य स्थल नई दिल्ली है।
  • इस न्यायाधिकरण की 4 पीठें भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में हैं।
NGT की महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं -
  • ट्रिब्यूनल के विरुद्ध अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकेगी।
  • किसी व्यक्ति के निहित स्वार्थ या फिर राजनीतिक रूप से प्रेरित या किसी प्रकार के प्रचार को हासिल करने के मंतव्य से दाखिल की गई जनहित याचिकाओं पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। पर्यावरण से क्षति होने पर आम आदमी पर भी वाद दायर कर सकेगा। न्यायाधिकरण को विश्वविद्यालय आयोग की सिफारिशों पर स्थापित किया गया है। 
  • इसमें विभिन्न एजेंसियों के बीच पर्यावरण संबंधी मामलों का भी निपटारा किया जाएगा। 
  • इसमें अदालतों में मुकदमों के लंबित होने से मुक्ति मिलेगी। सर्किट पीठों को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत मामले सुनने की आज्ञा होगी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)

  • यह प्राधिकरण 1972 में प्रारम्भ किया गया। 
  • इसका लक्ष्य आर्थिक, सौन्दर्य, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक तथा पारिस्थितिकी मूल्यों हेतु भारत में बाघों की संख्या को बनाए रखने के काम को सुनिश्चित करना।
  • प्रत्येक क्षण जैव विविधता के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ, शिक्षा एवं जनता के मनोरंजन हेतु राष्ट्रीय विरासत के रूप में संरक्षित रखना है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 20 जनवरी, 2015 को भारत में बाघों की स्थिति पर नूतन रिपोर्ट 2014 जारी की। रिपोर्ट के अनुसार देश में बाघों की अनुमानित संख्या 226 है।

उत्कृष्टता केन्द्र

1983 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पर्यावरण विज्ञान एवं प्रबन्धन के प्राथमिकता वाले क्षेत्र में जागरूकता, अनुसंधान और प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाने हेतु निम्नलिखित उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की गयी। सीपीआर पर्यावरण शिक्षा केंद्र चेन्नई, खनन पर्यावरण केंद्र धनबाद, पर्यावरण शिक्षा केंद्र अहमदाबाद, पारिस्थितिकी अवक्रमण के लिए पर्यावरण प्रबंधन संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली, खनन पर्यावरण केंद्र धनबाद, सलीम अली पक्षी विज्ञान तथा प्राकृतिक विज्ञान केंद्र कोयम्बटूर, जीव-जंतु पर्यावरण केंद्र बेंगलुरु, कटिबन्धीय बागान और अनुसंधान संस्थान तिरुवनंतपुरम, पर्यावरण आर्थिकी में उत्कृष्टता केंद्र मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स चेन्नई।
  • सन् 2009 में पिक राइट और कौन बनेगा भारत का पर्यावरण अम्बेसडर अभियान प्रारम्भ किया गया।
  • पिक राइट का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और उ कारणों व प्रभावों के विषय में जनचेतना फैलाना है। 
  • पर्यावरण अम्बेसडर अभियान से किसी व्यक्ति को पर्यावरणीय मामलों पर प्रवक्ता चुनने में सहायता होती है।
  • पारिस्थितिकी विज्ञान केंद्र बेंगलुरु ने मालिक्यूलर पारिस्थितिकी विज्ञान में नए कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये।
  • जैव भौगोलिक बाधा के रूप में जाना जाने वाला 'पालघाट गैप' से आनुवांशिकी विभिन्नता वाले पश्चिमी घाट के बड़े स्तनधारी जीवों का पता चला है। 

Remember!

  • राष्ट्रीय वन सेवा के अधिकारियों का प्रशिक्षण कहाँ होता है? - इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वानिकी अकादमी देहरादून
  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का मुख्यालय कहाँ है? - चेन्नई 
  • केन्द्र प्रायोजित बाघ परियोजना कब प्रारम्भ की गयी? - 1972 
  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की स्थापना कब की गयी? - 18 अक्टूबर 2010 
  • हरित जलवायु कोष का कार्यालय कहाँ स्थित है? - दक्षिण कोरिया 
  • भारतीय वन सर्वेक्षण संगठन की स्थापना कब हुई? - 1 जून 1981 
  • वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो का मुख्यालय कहाँ है? - दिल्ली

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड

  • यह विश्व में अपनी तरह का प्रथम भारतीय पशु कल्याण बोर्ड है। इसकी स्थापना का उद्देश्य पशु हिंसा की रोकथाम है। 
  • पशु हिंसा रोकथाम अधिनियम की स्थापना 1960 के तहत 1962 में की गयी। 
  • इस बोर्ड का मुख्यालय चेन्नई में स्थापित किया गया है। बोर्ड का गठन 28 सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  • इस बोर्ड में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक वन महानिरीक्षक, पशुपालन आयुक्त, गृह मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय प्रत्येक से एक-एक प्रतिनिधि लोकसभा से 4 सदस्य राज्यसभा 4 सदस्य मानवतावादी विषयों से सम्बन्धित तीन सदस्य एवं अन्य सदस्य होते हैं।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के कार्य निम्नलिखित हैं-
  • केंद्र सरकार को पशुओं के अस्पताल में दी जाने वाली चिकित्सकीय देखभाल से सम्बन्धित मामलों पर परामर्श देना और जब कभी बोर्ड आवश्यक समझे पशु अस्पतालों को वित्तीय एवं अन्य सहायता उपलब्ध कराना।
  • वित्तीय सहायता एवं अन्य तरीके से पिंजरा, शरणगाहों, पशु शेल्टर, अभयारण्य इत्यादि के निर्माण या अवस्थापना को बढ़ावा देना जहाँ पशुओं एवं पक्षियों को आश्रय मिल सके जब वे वृद्ध हो जाते हैं एवं बेकार हो जाते हैं या जब उन्हें संरक्षण की आवश्यकता होती है।
  • लगातार अध्ययन के तहत पशुओं के विरुद्ध हिंसा रोकने वाले भारत में लागू कानूनों को अद्यतन रहना और समय-समय पर इनमें संशोधन करने का सरकार को सलाह देना।
  • केंद्र सरकार को पशुओं की अनावश्यक पीड़ा या परेशानी रोकने के संदर्भ में नियम बनाने की सलाह करना।
  • भार ढोने वाले पशुओं के बोझ को कम करने हेतु केंद्र सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या अन्य व्यक्ति को पशुओं द्वारा चालित वाहनों के आकार में सुधार करना।

आपदा प्रबन्धन

  • विश्वव्यापी प्रकोष तथा आपदाओं एवं पर्यावरणीय दशाओं में व्यापक परिवर्तनों के मापन निगरानी आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण घटक हैं, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर विविध संस्थाओं, अभिकरणों एवं विभागों द्वारा किया जा रहा है।
पर्यावरण सम्बन्धित भारतीय संगठन
संगठन स्थापना वर्ष कृत्य
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड (CPCB) 1974 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोड़ों व प्रदूषण नियंत्रण समितियों की गतिविधियों का समन्वय आदि।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वानिकी अकादमी, देहरादून - भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण।
राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, नई दिल्ली 1978 पर्यावरण व संरक्षण के क्षेत्र में अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून 1982 वन्य जीवों के बारे में नीति निर्धारण तथा उनकी सुरक्षा व संरक्षण का वैज्ञानिक अध्ययन।
भारतीय वन्य जीव बोर्ड (अध्यक्ष प्रधानमंत्री) 1985 वन्य जीव संरक्षण की योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी व निर्देशन।
भारतीय वन प्रबंध संस्थान - भोपाल में स्थित, वन प्रबंध से संबंधित शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श प्रदान करना।
जी. बी. पंत हिमालयी पर्यावरण एवं विकास संस्थान, अल्मोड़ा 1988 समस्त भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण व बेहतर पर्यावरण विकास हेतु वैज्ञानिक जानकारियाँ उपलब्ध कराना आदि।
बॉटेनिक गार्डन ऑफ द इंडियन रिपब्लिक (BGIR) - नोएडा में स्थापित यह संस्थान देश की दुर्लभ, संकटग्रस्त, देशज वनस्पतियों का संरक्षण करने, उनका प्रसार करने तथा रिसर्च एवं प्रशिक्षण के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में कार्य करने तथा क्षेत्र में संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण की आवश्यकताओं को पूरा करने और वनस्पति विविधता के संरक्षण की आवश्यकताओं पर जन जागरूकता बनाने के लिए कार्य करता है।
राष्ट्रीय वनारोपण और पारिस्थितिकी विकास बोर्ड (NAEB) 1992 देश में वनारोपण, पारिस्थितिकी संतुलन तथा पारिस्थितिकी विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देना।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् संयुक्त वन प्रबंधन प्रकोष्ठ 1998 देश में वानिकी शिक्षा का विस्तार और विकास करना, संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम की निगरानी और नीति निर्धारण

राष्ट्रीय संगठन और अभिकरण

  • सरकारी मंत्रालय और विभाग - राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति, भारतीय मौसम विभाग अपने 4000 निगरानी केंद्रों द्वारा सूखा वर्षा चक्रवात तथा फसलों के बारे में अनुमान लगाना, कृषि मंत्रालय, राष्ट्रीय प्रबंध समूह, अंतरिक्ष विभाग, रेलवे मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय आदि ।
  • गैर सरकारी संगठन - आपदा शमन संस्थान अहमदाबाद, बाढ़ मुक्ति अभियान, कल्पवृक्ष, पुणे।
  • अनुसंधान संगठन - वन अनुसंधान संस्थान, रक्षा, अनुसंधान और विकास संगठन, विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र।

शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थान

  • रुड़की विश्वविद्यालय
  • भारतीय लोक प्रशासन संस्थान
  • इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय 
  • यशवन्त अकादमी राव चौहान विकास प्रशासन
  • इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एण्ड एन्वायरमेंट, नई दिल्ली 
  • पुणे विश्वविद्यालय, पुणे
  • सिक्किम मनीला विश्वविद्यालय 
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन एवं अभिकरण - स्कोप, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, यूनीसेफ।

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