मानसिक रूप से मन्द बालक (Mentally Retarded Children) की शिक्षा, अर्थ, विशेषताए और उनके शिक्षक

स्किनर के अनुसार - 'मानसिक मन्दता' वाले बालकों के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे - मन्द बुद्धि, अल्प-बुद्धि, विकल-बुद्धि, धीमी
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Mentally Retarded Children

मानसिक रूप से मन्द बालक 

"मानसिक मन्दता" का सामान्य अर्थ है - औसत से कम मानसिक योग्यता । मानसिक मन्दता वाले बालकों की बुद्धि-लब्धि, साधारण बालकों की बुद्धि-लब्धि से कम होती है। अतः उनमें विभिन्न मानसिक शक्तियों की न्यूनता होती है।
स्किनर के अनुसार - 'मानसिक मन्दता' वाले बालकों के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे - मन्द बुद्धि, अल्प-बुद्धि, विकल-बुद्धि, धीमी गति से सीखने वाले, पिछड़े हुए और मूढ़।

सन् 1913 तक मन्द बुद्धि और पिछड़े हुए व्यक्तियों में किसी प्रकार का अन्तर नहीं किया जाता था। उस वर्ष England ने "Mental Deficiency Act" बनाकर इस अन्तर को जन्म दिया। इससे सम्बन्धित वहाँ और अमरीका के मनोवैज्ञानिकों ने अध्ययन करने प्रारम्भ किये। परिणामतः अमरीका में मन्द-बुद्धि बालकों और पिछड़े बालकों में स्पष्ट अन्तर कर दिया गया। साथ ही 'मानसिक मन्दता' की सरकारी परिभाषा इस प्रकार की गई - "मानसिक मन्दता औसत से निम्न मानसिक कार्यक्षमता का उल्लेख करती है। इसका आरम्भ बालक के विकास की अवधि में होता है और वह अग्रलिखित में से एक या अधिक से अनुकूल व्यवहार की कमी द्वारा सम्बन्धित रहती है 
(1) परिपक्वता, 
(2) अधिगम, और 
(3) सामाजिक समायोजन।"

मन्द-बुद्धि बालक का अर्थ

मन्द बुद्धि बालक मूढ़ होता है। इसलिए, उसमें सोचने, समझने और विचार करने की शक्ति कम होती है। इस सम्बन्ध में कुछ विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं
1. क्रो व क्रो "जिन बालकों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है, उनको मन्द बुद्धि बालक कहते हैं।"

2. स्किनर - प्रत्येक कक्षा के छात्रों को एक वर्ष में शिक्षा का एक निश्चित कार्यक्रम पूरा करना पड़ता है। जो छात्र उसे पूरा कर लेते हैं, उनको 'सामान्य छात्र' कहा जाता है। जो छात्र उसे पूरा नहीं कर पाते हैं, उनको मन्द बुद्धि छात्र की संज्ञा दी जाती है। विद्यालयों में यह धारणा बहुत लम्बे समय से चली आ रही है और अब भी है।
3. आधुनिक समय में मन्द-बुद्धि बालकों से सम्बन्धित उपर्युक्त धारणा में अत्यधिक परिवर्तन हो गया है। 

इस पर प्रकाश डालते हुए पोलक व पोलक ने लिखा है - "मन्द-बुद्धि बालक को अब क्षीण-बुद्धि बालकों के समूह में नहीं रखा जाता है, जिनके लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है। अब हम यह स्वीकार करते हैं कि उनके व्यक्तित्व के उतने ही विभिन्न पहलू होते हैं, जितने सामान्य बालकों के व्यक्तित्व के होते हैं।

मन्द बुद्धि बालक की विशेषताएँ

विभिन्न लेखकों ने मन्द-बुद्धि बालक की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख किया है। हम उनमें से मुख्य मुख्य का वर्णन कर रहे हैं-

 क्रो एवं क्रो के अनुसार 

  • दूसरों को मित्र बनाने की अधिक इच्छा।
  • दूसरों के द्वारा मित्र बनाये जाने की कम इच्छा।
  • विद्यालय में असफलताओं के कारण निराशा।
  • संवेगात्मक और सामाजिक असमायोजन।

स्किनर के अनुसार 

  • सीखी हुई बात को नई परिस्थिति में प्रयोग करने में कठिनाई।
  • व्यक्तियों और घटनाओं के प्रति ठोस और विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ। 
  • मान्यताओं के सम्बन्ध में अटल विश्वास।
  • दूसरों की तनिक भी चिन्ता न करने के बजाय केवल अपनी चिन्ता। 
  • किसी बात का निर्णय करने में परिस्थितियों की अवहेलना। उदाहरणार्थ धन की चोरी बुरी बात, पर भोजन और अन्य वस्तुओं की चोरी बिल्कुल ठीक बात।  
  • कार्य और कारण के सम्बन्ध में ऊटपटाँग धारणाएँ उदाहरणार्थ, अपनी बीमारी के लिए थर्मामीटर पर दोषारोपण।

फ्रँडसन के अनुसार 

  • आत्म विश्वास का अभाव।
  • 50 से 70 या 75 तक बुद्धि-लब्धि।
  • विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार के व्यवहार; जैसे - प्रेम, भय, मौन, चिन्ता, विरोध, पृथकता या आक्रमण पर आधारित व्यवहार। 
  • मन्द बुद्धि बालक धीरे-धीरे सीखते हैं, अनेक गलतियाँ करते हैं, जटिल परिस्थितियों को ठीक तरह से नहीं समझते हैं, कार्य-कारण सम्बन्धों को समझने में साधारणतः असफल होते हैं और अनेक कार्यों के परिणामों पर उचित विचार किये बिना बहुघा भावावेशपूर्ण व्यवहार करते हैं।

मन्द बुद्धि बालक की शिक्षा

मन्द बुद्धि बालक की शिक्षा का वही स्वरूप होना चाहिए, जो पिछड़े बालक की शिक्षा का है। अतः हम उसकी पुनरावृत्ति न करके, अमरीका में मन्द बुद्धि बालकों के लिए कार्यान्वित किये गये कार्यक्रमों, पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्तों और कुछ अन्य उल्लेखनीय बातों को अंकित कर रहे हैं।

कार्यक्रम 

स्किनर के अनुसार - अमरीका में मन्द-बुद्धि बालकों के लिए तीन विशेष कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं।

1. अपनी देखभाल का प्रशिक्षण 
मन्द बुद्धि बालकों को अपनी देखभाल का प्रशिक्षण - कपड़े पहिनने और उतारने के अभ्यास, भोजन करते समय शिष्टाचार, सफाई की आदतों और अपनी वस्तुओं एवं वस्त्रों की रक्षा करने की शिक्षा द्वारा दिया जाता है।

2. सामाजिक प्रशिक्षण 
मन्द-बुद्धि बालकों को सामाजिक प्रशिक्षण - सहयोगी खेलों, सामूहिक कार्यों, पर्यटनों, अध्ययन की योजनाओं और विशिष्ट शिष्टाचार की शिक्षा द्वारा दिया जाता है।

3. आर्थिक प्रशिक्षण 
मन्दबुद्धि बालकों को आर्थिक प्रशिक्षण - हस्तशिल्पों और छोटे-छोटे घरेलू कार्यों की शिक्षा द्वारा दिया जाता है।

पाठ्यक्रम

स्किनर के अनुसार अमरीका के इलेनॉइस राज्य में मन्द-बुद्धि बालकों के लिए उनके जीवन की समस्याओं के आधार पर अग्रलिखित पाठ्यक्रम तैयार किया गया है
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की शिक्षा।
  • पौष्टिक भोजन, सफाई और आराम की आदतों के साथ-साथ वास्तविक आत्म मूल्यांकन की शिक्षा
  • सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और आचरण सम्बन्धी नियमों की शिक्षा।
  • सुनने, निरीक्षण करने, बोलने और लिखने की शिक्षा
  • घर और परिवार के उत्तरदायित्वों एवं उनके सदस्यों के रूप में सभी कार्यों को करने की शिक्षा।
  • स्थानीय यात्राओं को कुशलता से करने की शिक्षा।
  • निष्क्रिय और सक्रिय मनोरंजनों की शिक्षा।
  • अन्तर वैयक्तिक और सामूहिक समाजीकरण में कुशलता प्राप्त करने की शिक्षा।
  • विभिन्न वस्तुओं का मूल्य आँकने की शिक्षा।
  • धन, समय और वस्तुओं का उचित प्रबन्ध करने की शिक्षा।
  • कार्य, उत्तरदायित्व एवं साथियों और निरीक्षकों से मिलकर रहने की शिक्षा।
  • मान्यताओं और विवेकपूर्ण नियमों की शिक्षा।

व्यक्तिगत शिक्षण व छात्र संख्या 

फ्रैंडसन के अनुसार, मन्द बुद्धि बालकों को व्यक्तिगत शिक्षण की आवश्यकता है। अतः कक्षा में छात्रों की संख्या 12 से 15 तक होनी चाहिए।

विशिष्ट कक्षाएँ

फ्रैंडसन के अनुसार, मन्द बुद्धि बालक अपनी सीमित योजनाओं के कारण सामान्य कक्षाओं में ज्ञान का अर्जन नहीं कर पाते हैं। ये कक्षायें उनमें सामाजिक असमायोजन का दोष भी उत्पन्न कर देती हैं। अतः उनको विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा विशिष्ट कक्षाओं में शिक्षा दी जानी चाहिए। 

शिक्षा के उद्देश्य 

फ्रँडसन के अनुसार, मन्द बुद्धि बालकों की शिक्षा के निम्नांकित उद्देश्य होने चाहिए -
  • जन्मजात व्यक्तियों का विकास करना। 
  • दैनिक जीवन में वैयक्तिक, सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  • शारीरिक स्वास्थ्य की उन्नति करना। 
  • स्वस्थ आदतों का निर्माण करना।
  • स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की भावनाओं का विकास करना।

मन्द बुद्धि (पिछड़े) बालकों का शिक्षक 

मन्द-बुद्धि या पिछड़े वालकों को शिक्षा देने वाले अध्यापक में निम्नलिखित गुण, विशेषतायें या योग्यतायें होनी चाहिए। 
  1. शिक्षक को बालकों का सम्मान करना चाहिए।
  2. शिक्षक को बालकों की सहायता, परामर्श और निर्देशन देने के लिए तैयार रहना चाहिए। 
  3. शिक्षक को बालकों में संवेगात्मक सन्तुलन और सामाजिक समायोजन के गुणों का विकास करना चाहिए। 
  4. शिक्षक को बालकों की आवश्यकताओं का अध्ययन करके, उनको पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए।
  5. शिक्षक को बालकों के स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक दशाओं के प्रति व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए।
  6. शिक्षक को बालकों की कमियों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए, पर साथ ही उसे विश्वास होना चाहिए कि वे प्रगति कर सकते हैं।
  7. शिक्षक को बालकों को दी जाने वाली शिक्षा का उनके वास्तविक जीवन से सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।
  8. शिक्षक को बालकों को एक या दो हस्तशिल्पों की शिक्षा देने में कुशल होना चाहिए। 
  9. शिक्षक को बालकों को उनकी संस्कृति से परिचित कराने के लिए सांस्कृतिक विषयों की शिक्षा देनी चाहिए।
  10. शिक्षक को स्वयं शारीरिक श्रम को महत्त्व देना चाहिए और बालकों को उसे महत्त्व देने की शिक्षा देनी चाहिए। 
  11. शिक्षक को बालकों को शिक्षा देने के लिए सरल विधियों, मूर्त्त वस्तुओं और सामूहिक क्रियाओं का प्रयोग करना चाहिए।
  12. शिक्षक को धीमी गति से पढ़ाना चाहिए और पढ़ाये हुए पाठ को बार-बार दोहराना चाहिए।
  13.  शिक्षक को अपने शिक्षण को रोचक बनाने के लिए सभी प्रकार के उपयुक्त उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए।
  14. शिक्षक में धैर्य और संकल्प के गुण होने चाहिए ताकि वह बालकों की मन्द प्रगति से हतोत्साहित न हो जाय।
  15. शिक्षक में बालकों के प्रति प्रेम, सहानुभूति और सहनशीलता का व्यवहार करने का गुण होना चाहिए।
सार रूप में, हम कुप्पूस्वामी के शब्दों में कह सकते हैं - "मन्द बुद्धि बालकों के शिक्षकों को, उनको शिक्षा देने के लिए विशिष्ट कुशलता और प्रशिक्षण से सुसज्जित होने के अलावा बहुत धैर्यवान, सहनशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।"
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