सी. एल. हल का प्रबलन-सिद्धान्त | Reinforcement Theory

प्रबलन-सिद्धान्त" का प्रतिपादन सी. एल. हल (C. L. Hull) नामक अमरीकी मनोवैज्ञानिक ने 1915 में अपनी पुस्तक "Principles of Behaviour" में किया था।
Reinforcement-Theory

प्रबलन-सिद्धान्त 

(REINFORCEMENT THEORY)
प्रबलन-सिद्धान्त का प्रतिपादन सी. एल. हल (C. L. Hull) नामक अमरीकी मनोवैज्ञानिक ने 1915 में अपनी पुस्तक "Principles of Behaviour" में किया था। उसका यह सिद्धान्त थार्नडाइक (Thorndike) और पावलव (Pavlov) के सिद्धान्तों पर आधारित है।

प्रबलन-सिद्धान्त का अर्थ

हल (Hull) के सीखने के सिद्धान्त का अर्थ स्पष्ट करते हुए स्टोन्स (Stones) ने लिखा है- सीखने का आधार, आवश्यकता की पूर्ति की प्रक्रिया है। यदि कोई कार्य, पशु या मानव की किसी आवश्यकता को पूर्ण करता है, तो वह उसको सीख लेता है। 'आवश्यकता की पूर्ति' (Need satisfaction) के लिए हल (Hull ) ने 'आवश्यकता की कमी' (Need Reduction) का प्रयोग किया है।

'आवश्यकता की पूर्ति' किस प्रकार सीखने की प्रक्रिया का आधार है, इसको स्टोन्स (Stones) ने एक उदाहरण देकर स्पष्ट किया है। एक भूखा पशु पिंजड़े में बन्द है। पिंजड़े के बाहर भोजन रखा है। पिंजड़ा खटके को दबाने से खुलता है। अपनी भूख को सन्तुष्ट करने के लिए पशु क्रियाशील होता है। भोजन उसकी क्रियाशीलता को बलवती बनाता है अर्थात् प्रबलन (Reinforce) करता है। अत: वह पिंजड़े से बाहर निकलने के लिए सभी प्रकार के प्रयास करता है। अपने प्रयासों के फलस्वरूप वह खटके को दबाकर बाहर निकलना सीख जाता है। इस प्रकार, भोजन की आवश्यकता को सन्तुष्ट करने की प्रक्रिया द्वारा वह पिंजड़े को खोलना सीख जाता है। सीखने का आधार यही है। हल (Hull) का कथन है-"सीखना, आवश्यकता की पूर्ति की प्रक्रिया के द्वारा होता है।"

"Learning takes place through a process of need reduction." -Hull, Quoted by Stones

प्रबलन-सिद्धान्त के गुण तथा विशेषताएँ

हल (Hull) के सीखने के सिद्धान्त की पुखर विशेषताएँ निम्नांकित हैं 
1. आदर्श व सर्वश्रेष्ठ सिद्धान्त (ldcal and Most Elegant Theory)-स्किनर (Skinncr) ने इस सिद्धान्त को वैज्ञानिक होने के कारण आदर्श सिद्धान्त माना है और लिखा है-"अब तक सीखने के जितने भी सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये हैं, उनमें यह सर्वश्रेष्ठ है।"

2. चालक-न्यूनता सिद्धान्त (Drive Reduction Theory)-स्किनर (Skinner) के अनुसार-"हल का सीखने का सिद्धान्त चालक-न्यूनता का सिद्धान्त है।" 
("Hull's theory of learning is a drive-reduction theory.")

हल (Hull) का कहना है कि जब प्राणी की कोई आवश्यकता पूर्ण नहीं होती है, तथ । उसमें असंतुलन उत्पन्न हो जाता है; उदाहरणार्थ-भोजन की आवश्यकता पूर्ण न होने पर प्राणी तनाव उत्पन्न हो जाता है, जिसके फलस्वरूप उसकी दशा असंतुलित हो जाती है। साथ ही  भूख का चालक (Drive) उसे भोजन प्राप्त करने के लिए क्रियाशील बना देता है। कंचछ मा बाद वह ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है, जब उसकी भोजन की आवश्यकता सन्तुष्ट हो जाती है। इसके फलस्वरूप, भूख के चालक की शक्ति कम हो जाती है।

3. उद्दीपक प्रतिक्रिया सिद्धान्त (S. R. Theory)-स्किनर (Skinner) के अनुसार-"हल का सिद्धान्त, उद्दीपक-प्रतिक्रिया का सिद्धान्त है।" ("Hull's Theory isa stimulus-response theory.")। भूख या भोजन- उद्दीपक का कार्य करता है, जिसके कारण व्यक्ति विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियायें करता है।

4. प्राथमिक व द्वितीयक प्रबलन (Primary and Secondary Reinforcement)- हल (Hull) ने प्रबलन के दो रूप बताये हैं, जो विभिन्न अवस्थाओं में दृष्टिगोचर होते हैं। भोजन भूख के चालक को प्रबल बनाता है। यह अवस्था प्राथमिक प्रबलन (Primary Reinforcement) की है। पर भूख उस समय तक शान्त नहीं होती है, जब तक भोजन खा नहीं लिया जाता है। अतः भोजन खाने से पहले भूख का चालक फिर प्रबल हो जाता है । यह अवस्था द्वितीयक प्रबलन (Secondary Reinforcement) की है।

5. प्रेरणा पर बल (Stress on Motivation)-यह सिद्धान्त बालकों के शिक्षण में प्रेरणा पर अत्यधिक बल देता है, क्योंकि बालकों को प्रेरित करके ही उनके ज्ञान की आवश्यकता को पूर्ण किया जा सकता है।

6. बालकों की क्रियाओं व आवंश्यकताओं का सम्बन्ध (Association of Children's Activities and Needs)-इस सिद्धान्त की सबसे महत्वपूर्ण देन यह है कि यह बालकों की क्रियाओं और आवश्यकताओं में सम्बन्ध स्थापित किये जाने पर बल देता है। उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, उनकी क्रियाओं का वास्तविक जीवन से सम्बन्ध होना चाहिए। आधुनिक शिक्षा इन दोनों तथ्यों को स्वीकार करती है।

आज तक प्रतिपादित किये जाने वाले सीखने के सिद्धान्तों में हल (Hull) के सिद्धान्त को सर्वोतम स्कावीर करते हुए स्किनर (Skinner) ने लिखा है-"हल का कहना है कि सीखने का कारण किसी आवश्यकता का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूर्ण होना होता है अत: कुछ दृष्टियों से आधुनिक शिक्षा को हल के सिद्धान्त में एक सैद्धान्तिक आधार मिल जाता है।"
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