वर्दीमर, कोफ्का, कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त | Insight Theory

एक गेस्टाल्ट या आकृति एक समग्र है जिसकी विशेषतायें पता लगाई जाती हैं।' इस सिद्धान्त को सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त भी कहते हैं।
Insight-Theory
Insight Theory

सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त 

(INSIGHT THEORY)
इस सिद्धान्त को समग्राकृति (Gestalt) सिद्धान्त भी कहते हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन जर्मन मनोवैज्ञानिक वर्दीमर, कोफ्का तथा कोहलर ने किया था। गेस्टाल्ट मत के अनुयायियों का कहना है कि-'एक गेस्टाल्ट या आकृति एक समग्र है जिसकी विशेषतायें पता लगाई जाती हैं।' इस सिद्धान्त को सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त भी कहते हैं।

सूझ या अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त का अर्थ

हम कुछ कार्यों को करके सीखते हैं और कुछ को दूसरों को करते हुए देखकर सीखते हैं। कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं, जिन्हें हम बिना बताए अपने आप सीख लेते हैं। इस प्रकार के सीखने को 'सूझ द्वारा सीखना' कहते हैं। इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए गुड (Good) ने लिखा है-"सूझ, वास्तविक स्थिति का आकस्मिक, निश्चित और तात्कालिक ज्ञान है।"

कोहलर का प्रयोग

सूझ द्वारा सीखने के सिद्धान्त के प्रतिपादक जर्मनी के 'गेस्टाल्टवादी' हैं। इसीलिए, इस सिद्धान्त को 'गेस्टाल्ट-सिद्धान्त' (Gestalt Theory) कहते हैं। गेस्टाल्टवादियों का कहना है कि व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण परिस्थिति को अपनी मानसिक शक्ति से अच्छी तरह समझ लेता है और सहसा उसे ठीक-ठीक करना सीख जाता है। वह ऐसा अपनी सूझ के कारण करता है। इस सम्बन्ध में अनेक प्रयोग किए जा चुके हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध प्रयोग, कोहलर (Kohler) का है।

कोहलर ने छ: वनमानुषों को एक कमरे में बंद कर दिया। कमरे की छत में एक केला लटका दिया गया और कुछ दूर पर एक बक्सा रख दिया गया। वनमानुषों ने उछलकर केले को लेने का प्रयास किया, पर सफल नहीं हुए। उनमें एक वनमानुष का नाम सुलतान था वह थोड़ी देर कमरे में इधर-उधर घूमा, बक्स के पास खड़ा हुआ, उसे खींचकर केले के नीचे ले गया, उस पर चढ़ गया और उछल कर केला ले लिया। सुलतान के इन सब कार्यों से सिद्ध हुआ कि उसमें सूझ थी, जिसने उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता दी।

वनमानुष के समान बालक और व्यक्ति भी सूझ द्वारा सीखते हैं। सूझ का आधार कल्पना है। जिस व्यक्ति में कल्पना-शक्ति जितनी अधिक होती है, उसमें सूझ भी उतनी ही अधिक होती है और इसलिए उसे सफलता भी अधिक होती है बड़े-बड़े दार्शनिकों, इंजीनियरों और राजनीतिज्ञों की सफलता का रहस्य उनकी सूझ ही है।

सूझ या अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त का शिक्षा में महत्व

शिक्षा में सूझ द्वारा सीखने के सिद्धान्त के महत्व को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है
1. यह सिद्धान्त रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी है।
2. यह सिद्धान्त, बालकों की बुद्धि, कल्पना और तर्क-शक्ति का विकास करता है।
3. यह सिद्धान्त, गणित जैसे कठिन विषयों के शिक्षण के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध हुआ है। 
4. क्रो एवं क्रो (Crow and Crow) के अनुसार-यह सिद्धान्त-कला, संगीत और साहित्य की शिक्षा के लिए उपयोगी है। 
5. स्किनर (Skinner) के अनुसार-यह सिद्धान्त, आदत और सीखने के यान्त्रिक स्वरूपों के महत्व को कम करता है।
6. गेट्स तथा अन्य (Gates and Others ) के अनुसार-यह सिद्धान्त, बालक को स्वयं खोज करके ज्ञान का अर्जन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
7. ड्रेवर (Drever) के अनुसार-यह सिद्धान्त, बालक को किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उचित व्यवहार की चेतना प्रदान करता है।
8. गैरिसन व अन्य के शब्दों में-"विद्यालय में बालक के समस्या समाधान पर आधारित अधिकांश सीखने की इस सिद्धान्त के द्वारा व्याख्या की जा सकती है।"
"Much of the child's problem-solving learning in school can be explained by this theory." -Garrison and Others


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